लोकसभा 2019ः मोदी-शाह गुजरात में 2014 नहीं दोहरा पाए तो पीएम की दावेदारी पर भी प्रश्नचिन्ह लगेगा?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 20, 2019 11:22 PM2019-01-20T23:22:52+5:302019-01-20T23:22:52+5:30

लोस चुनाव 2014 में गुजरात में नरेन्द्र मोदी सुपर पाॅलिटिकल स्टार बन कर उभरे थे और भाजपा ने 59.1 प्रतिशत वोट हांसिल करते हुए 26 में से 26 सीटों पर कब्जा जमा लिया था.

Lok Sabha election: Modi-Shah will not repeat 2014 in gujrat then doubt on PM | लोकसभा 2019ः मोदी-शाह गुजरात में 2014 नहीं दोहरा पाए तो पीएम की दावेदारी पर भी प्रश्नचिन्ह लगेगा?

लोकसभा 2019ः मोदी-शाह गुजरात में 2014 नहीं दोहरा पाए तो पीएम की दावेदारी पर भी प्रश्नचिन्ह लगेगा?

इस वक्त गुजरात ही नहीं, देश और खासकर राजस्थान-गुजरात के संयुक्त क्षेत्र में भी बड़ा सवाल है कि- क्या लोस चुनाव 2019 में गुजरात में मोदी-शाह, 2014 की कामयाबी दोहरा पाएंगे? गुजरात की सियासी हवा ने ही राजस्थान में भाजपा को बड़ी कामयाबी दिलवाई थी, तो गुजरात विस चुनाव के बाद आए बदलाव ने ही राजस्थान में उपचुनाव से लेकर विस चुनाव 2018 तक में भाजपा के लिए चुनौती खड़ी कर दी थी. 

लोस चुनाव 2014 में गुजरात में नरेन्द्र मोदी सुपर पाॅलिटिकल स्टार बन कर उभरे थे और भाजपा ने 59.1 प्रतिशत वोट हांसिल करते हुए 26 में से 26 सीटों पर कब्जा जमा लिया था. कांग्रेस को 32.9 प्रतिशत वोट तो मिले, लेकिन एक भी सीट नसीब नहीं हुई.

विस चुनाव 2017 में गुजरात में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार राइजिंग पाॅलिटिकल स्टार बने. कांग्रेस, गुजरात में सरकार तो नहीं बना सकी, लेकिन भाजपा की सियासी पतंग नीचे जरूर उतार दी, 182 सीटों वाली गुजरात विस में भाजपा शतक भी पूरा नहीं कर पाई. सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह रहा कि प्राप्त मत प्रतिशत में कांग्रेस ने छलांग लगाई और 41.4 प्रतिशत वोट हांसिल किए, जबकि भाजपा का वोट घट कर 49.1 प्रतिशत पर आ गया.

वर्ष 2014 में- गुजरात का गौरव नरेन्द्रभाई मोदी, बड़ा इमोश्नल मुद्दा था, लेकिन अब पांच साल का पीएम मोदी सरकार का कामकाज देखने के बाद यह कमजोर पड़ गया है. यहां तक कि अब पीएम मोदी के गुजरात के विभिन्न कार्यक्रमों में भी 2014 वाला जनजोश दिखाई नहीं देता है. और इसीलिए बड़ा प्रश्न यह है कि आम चुनाव 2019 में मोदी-शाह अपने ही प्रदेश गुजरात में 26 में से कितनी सीटें जीत पाएंगे? यदि गुजरात ने ही पीएम मोदी को नकार दिया तो पूरा देश कैसे स्वीकार करेगा?

गुजरात में मोदी-शाह के सामने कई कारणों से चुनौती बढ़ती जा रही है, एक तो- मोदी मैजिक गुजरात में भी कमजोर पड़ गया है, दूसरा- कांग्रेस 2014 की तरह कमजोर नहीं है, और तीसरा सबसे महत्वपूर्ण- मोदी और शाह को विपक्ष के साथ-साथ अपने ही 2014 के कई पुराने साथियों से मोर्चा लेना है, अर्थात- मोदी और शाह को दो मोर्चो पर सियासी जंग लड़नी है!

वर्तमान में पीएम मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकप्रियता को लेकर सर्वे आ रहे हैं और उनमें पीएम मोदी कई प्रदेशों में राहुल गांधी से आगे हैं, लेकिन यह पीएम मोदी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं है, यह तो राहुल गांधी की उपलब्धि है कि वे 2014 में मोदी के सापेक्ष सियासी तस्वीर में कहीं नहीं थे, जबकि अब वे ज्यादातर राज्यों में मोदी के विकल्प के रूप में नजर आ रहे हैं, बल्कि कुछ राज्यों में वे बतौर पीएम, मोदी से आगे हैं.

आजतक की ओर से गुजरात के लिए अक्टूबर 2018 में आयोजित पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज के बाद से पीएम मोदी की लोकप्रियता में अब 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जहां अक्टूबर 2018 में पीएम मोदी की लोकप्रियता 61 प्रतिशत दर्ज की गई थी, वहीं अब जनवरी 2019 में, यह 62 प्रतिशत दर्ज की गई है, जबकि राहुल गांधी ने लोकप्रियता के मामले में स्थिरता बनाए रखी है. अक्टूबर, 2018 में उनकी लोकप्रियता 28 प्रतिशत थी और अब, जनवरी 2019 में भी 28 प्रतिशत ही है. 

यह नतीजा पहली नजर में मोदी के पक्ष में दिखाई देता है, किन्तु वास्तव में यह राहुल गांधी की बढ़ती सियासी ताकत का अहसास करा रहा है. वैसे भी किसी भी सर्वे में तत्कालीन पीएम की लोकप्रियता वास्तविक से ज्यादा झलकती है, लेकिन खास बात यह है कि 2014 के मुकाबले जहां मोदी की लोकप्रियता कम हुई है, वहीं राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ी है, मतलब- लोस चुनाव 2014 में राहुल गांधी, मोदी के लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे, विशेषकर गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों में जहां कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है!

Web Title: Lok Sabha election: Modi-Shah will not repeat 2014 in gujrat then doubt on PM