लोकसभा चुनावः इन दो टिकटों ने कांग्रेस-बीजेपी को हिलाकर रख दिया, जानिए क्या है कहानी
By हरीश गुप्ता | Published: April 28, 2019 08:01 AM2019-04-28T08:01:46+5:302019-04-28T08:01:46+5:30
कांग्रेस को भी हरियाणा में बड़ा सत्ता संघर्ष देखना पड़ा जो काफी हद तक निष्प्रभावी रहा. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी उस समय हिल गई जब हरियाणा में दो बार मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरोधियों ने पार्टी हाईकमान से उन्हें सोनीपत से मैदान में उतारने की मांग की.
भाजपा की मौजूदा सांसद मीनाक्षी लेखी को प्रतिष्ठित नई दिल्ली लोकसभा सीट से अपने टिकट के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सबसे अधिक धन्यवाद देना चाहिए. अगर राहुल राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के हवाले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'चौकीदार चोर है' नहीं कहते, तो वह अलग-थलग पड़ गई थीं. भाजपा उनको बाहर का रास्ता दिखाने के लिए तरह तैयार थी. इसके बावजूद कि वह जनसंघ के संस्थापक पी. एन. लेखी की बहू हैं.
उनकी जगह क्रिकेटर गौतम गंभीर को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया गया था. वित्त मंत्री अरुण जेटली के मित्र गौतम दिल्ली में पार्टी के मामलों के प्रभारी थे. वहीं, लेखी की किस्मत के अनुकूल राहुल गांधी ने विवादास्पद बयान दिया और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर टिकट पक्की कर ली.
लेखी की याचिका से प्रधानमंत्री मोदी बेहद खुश थे. उन्होंने पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की टिप्पणी के लिए उनके वकील को फटकार लगाई. उसके बाद से राहुल ने मोदी को 'चौकीदार चोर है' कहने पर खुद को नियंत्रित किया. इससे खुश मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह टीम ने नई दिल्ली से लेखी को टिकट देकर गौतम गंभीर को पूर्वी दिल्ली में धकेल दिया. इस फैसले ने भाजपा के कई नेताओं को हिलाकर रख दिया.
कांग्रेस को भी हरियाणा में बड़ा सत्ता संघर्ष देखना पड़ा जो काफी हद तक निष्प्रभावी रहा. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी उस समय हिल गई जब हरियाणा में दो बार मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरोधियों ने पार्टी हाईकमान से उन्हें सोनीपत से मैदान में उतारने की मांग की.
हुड्डा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा पहले से ही रोहतक से उम्मीदवार हैं. उनको राज्यभर में यात्रा करनी होगी क्योंकि यहां एक चरण में वोटिंग होगी जो कठिन है. राहुल से निकटता के कारण हुड्डा का कांग्रेस में काफी प्रभाव है. रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े जमीन सौदे में राहुल गांधी के साथ हुड्डा पर भी अंगुली उठने के बाद उनके विरोधियों ने भी सिर उठाया.
कांग्रेस को सोनीपत में मजबूत उम्मीदवार नहीं मिल रहा था. ऐसे में हुड्डा के प्रतिद्वंद्वियों ने राहुल ने उनकी उम्मीदवारी स्वीकार करने के लिए कहा. रूठे हुड्डा को लेकर हुए फैसले के झटके अभी भी दिल्ली में महसूस किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों जगहों पर रैलियों को संबोधित करेंगे.
गंभीर ही नहीं जेटली भी थे नाखुश
पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर धकेलने के भाजपा के फैसले से क्रिकेटर से राजनेता बने गौतम गंभीर नाखुश थे. वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इससे नाराज थे, लेकिन हालात ऐसे थे कि लेखी को टिकट देने से इनकार नहीं किया जा सकता था. सूत्रों का कहना है कि इस फैसले से भाजपा के कई लोग तिलमिला गए थे. लेखी को टिकट देने की प्रक्रिया में भाजपा सांसद महेश गिरी को पूर्वी दिल्ली से टिकट देने से इनकार कर दिया गया.