लोकसभा चुनावः राजस्थान में सशक्त तीसरे मोर्चे की संभावना ढेर, बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल को साथ लिया

By प्रदीप द्विवेदी | Published: April 5, 2019 06:25 PM2019-04-05T18:25:03+5:302019-04-05T18:25:03+5:30

हनुमान बेनीवाल का साथ कुछ सीटों पर बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह निर्णय वसुंधरा राजे समर्थकों को शायद ही रास आए.

Lok Sabha election: BJP has changed the game after hanuman beniwal joins bjp in rajasthan | लोकसभा चुनावः राजस्थान में सशक्त तीसरे मोर्चे की संभावना ढेर, बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल को साथ लिया

लोकसभा चुनावः राजस्थान में सशक्त तीसरे मोर्चे की संभावना ढेर, बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल को साथ लिया

Highlightsवर्ष 2009 में नागौर से कांग्रेस से ज्योति मिर्धा सांसद बनी थी. वे 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद वे मात्र 75 हजार वोटों से ही हारी थी.आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल भी 2008 में पहली बार बीजेपी विधायक बने.

राजस्थान में सशक्त तीसरे मोर्चे की संभावना ढेर हो चुकी है. विस चुनाव से पहले किरोड़ीलाल मीणा भाजपा में शामिल हो गए थे, विस चुनाव के बाद कुछ समय पहले घनश्याम तिवाड़ी कांग्रेस में चले गए, तो अब बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन कर लिया है, मतलब- अब कांग्रेस और भाजपा-आरएलपी गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा.

ये तीनों ही नेता पहले बीजेपी में ही थे, किन्तु पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ सियासी छत्तीसी के कारण बीजेपी छोड़ी थी. 

एक समय तो इन तीनों नेताओं ने राजनीतिक ताकत दिखाते हुए तीसरे मोर्चे की बड़ी भूमिका तैयार की थी, किन्तु विस चुनाव- 2018 के दौरान यह तीसरा मोर्चा बिखरने लगा. सबसे बड़ी वजह यह रही कि यह तीसरा मोर्चा आधे राजस्थान में तो एकदम बेअसर था ही, विस चुनाव में भी कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पाया.

संघ और भाजपा से जुड़े किरोड़ी लाल मीणा ने बीजेपी छोड़ने के बाद राजपा का गठन किया, पूरे प्रदेश में ताकत भी लगाई, लेकिन बड़ी कामयाबी नजर नहीं आई, लिहाजा दस साल बाद पुनः बीजेपी में लौट आए.

संघ और बीजेपी से शुरू से जुड़े घनश्याम तिवाड़ी ने करीब चार साल तक बीजेपी में रहकर तत्कालीन सीएम राजे का विरोध तो किया, मगर केन्द्रीय नेतृत्व ने उन्हें साथ नहीं दिया. विस चुनाव- 2018 से पहले बीजेपी छोड़कर भावापा बनाई और विस चुनाव भी लड़ा, किन्तु नाकामयाबी मिली. अंततः तिवाड़ी ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया.

आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल भी 2008 में पहली बार बीजेपी विधायक बने, परन्तु उनकी भी राजे के साथ नहीं बनी, तो वे भी बीजेपी से बाहर हो गए. बाद में 2013 में बतौर निर्दलीय और 2018 में आरएलपी से एमएलए बने. वर्ष 2018 विस चुनाव में आरएलपी ने चुनाव के दौरान अपनी ताकत दिखाई, ढाई प्रतिशत से कुछ कम वोट भी मिले और तीन सीटें भी जीती, किन्तु जैसी अपेक्षा की जा रही थी, वैसी सफलता तो नहीं मिली. 

अब बीजेपी ने समझौते के तहत नागौर से हनुमान बेनीवाल के लिए सीट छोड़ी है. वर्ष 2009 में नागौर से कांग्रेस से ज्योति मिर्धा सांसद बनी थी. वे 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद वे मात्र 75 हजार वोटों से ही हारी थी. अब उन्हें फिर से कांग्रेस ने टिकट दिया है, जाहिर है बीजेपी के लिए यह सीट बचाना बेहद मुश्किल था, लिहाजा बीजेपी ने यह सीट आरएलपी को दे दी.

हनुमान बेनीवाल का साथ कुछ सीटों पर बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह निर्णय वसुंधरा राजे समर्थकों को शायद ही रास आए.

देखना दिलचस्प होगा कि हनुमान बेनीवाल का साथ मिलने से बीजेपी को कितना लाभ मिलता है? और, क्या हनुमान बेनीवाल नागौर से कांग्रेस को मात दे पाएंगे?

Web Title: Lok Sabha election: BJP has changed the game after hanuman beniwal joins bjp in rajasthan