लोकसभा चुनावः अमित शाह की डिनर डिप्लोमेसी में उद्धव की मौजूदगी नहीं है तय, BJP अध्यक्ष ने खुद किया आमंत्रित
By संतोष ठाकुर | Published: May 21, 2019 07:38 AM2019-05-21T07:38:15+5:302019-05-21T07:38:15+5:30
समझा जाता है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम से दो दिन पहले हो रही इस बैठक में गठबंधन की आगामी रणनीति पर चर्चा होगी. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, शाह ने स्वयं ठाकरे और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डिनर के लिए आमंत्रित किया है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से मंगलवार को राजग नेताओं के लिए आयोजित डिनर पार्टी में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की शिरकत को लेकर आज देर शाम तक संशय बना रहा. भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ''शिवसेना प्रमुख को आमंत्रित किया गया है, लेकिन उनकी उपस्थिति को लेकर फिलहाल हमारे पास कोई जवाब नहीं है. शिवसेना की ओर से इसमें कौन शिरकत करेगा, यह मंगलवार की सुबह तक स्पष्ट होगा.
समझा जाता है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम से दो दिन पहले हो रही इस बैठक में गठबंधन की आगामी रणनीति पर चर्चा होगी. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, शाह ने स्वयं ठाकरे और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डिनर के लिए आमंत्रित किया है.
हालांकि दोनों नेताओं ने उपस्थिति से इनकार नहीं किया है, लेकिन फिलहाल ठाकरे ने अपनी उपस्थिति को लेकर कोई सहमति नहीं जताई है. भाजपा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उन्हें लाने की जिम्मेदारी सौंपी है. इसकी वजह यह है कि चुनावी गठबंधन के बाद भी शिवसेना और भाजपा के बीच तनातनी सामने आती रही है. ऐसे में भाजपा नहीं चाहती है कि उनकी अनुपस्थिति से कोई गलत संदेश जाए. भाजपा के एक नेता ने कहा, ''हमने सभी सहयोगी दलों को इसमें आमंत्रित किया है. यह एक तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से सहयोगी दलों को धन्यवाद भोज है.''
सहयोगी दलों की इच्छा जानने की मंशा
सूत्रों का कहना है कि संभवत: भाजपा आलाकमान डिनर डिप्लोमेसी के जरिये सहयोगी दलों की इच्छा जानना चाहती है ताकि सरकार गठन के समय कोई विरोध नहीं हो. लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान पहले भी साफ कर चुके हैं कि अगली सरकार में वह अपने बेटे चिराग पासवान को मंत्री बनवाना चाहते हैं चाहे इसके लिए उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर ही क्यों न होना पड़े. इसी तरह शिवसेना मौजूदा सरकार में खुद को कमतर आंके जाने वाले मंत्रालय दिए जाने पर सार्वजनिक तौर पर विरोध जता चुकी है.