लोकसभा चुनाव 2019: क्या पीएम मोदी के खिलाफ बनारस में एकजुट हो सकेंगे विरोधी दल?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 15, 2019 08:41 AM2019-03-15T08:41:25+5:302019-03-15T08:41:25+5:30
लोकसभा चुनाव में वाराणासी संसदीय सीट पर पीएम मोदी के खिलाफ टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी चुनाव प्रचार को लेकर काफी उत्साहित है तो भीम सेना के प्रमुख व दलित नेता चंद्रशेखर आजाद चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर चुके हैं।
वेंकटेश केसरी
लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी से लड़ने को लेकर स्थिति साफ होने के साथ ही यह सवाल उठने लगा है कि क्या इस मर्तबा विरोधी दल एकजुट हो सकेंगे या फिर अपनी ढपली अपना राग का ही खेल चलता रहेगा? तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी वाराणसी में मोदी के खिलाफ चुनाव प्रचार को लेकर उत्साहित हैं तो भीम सेना के प्रमुख व दलित नेता चंद्रशेखर आजाद चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर चुके हैं.
बुआ-बबुआ की जोड़ी रणनीति उजागर करने के मूड में नहीं दिख रही है. आगामी लोकसभा चुनाव में मुकाबला मोदी बनाम बाकी दल का दिख रहा है. जहां तक वाराणसी की बात है तो विरोधी दलों के बीच संयुक्त रणनीति का अभाव बनारस में मोदी की राह और आसान बना देगा. दारोमदार प्रियंका पर कांग्रेस पार्टी का दारोमदार स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा पर ही होगा. उम्मीद की जा रही है कि वह उत्तरप्रदेश में पार्टी की किस्मत में बदलाव लाएंगी.
वाराणसी के उम्मीदवार का नाम तय नहीं
कांग्रेस ने उम्मीदवारों की दो सूचियां जारी कर दी हैं, लेकिन अब तक वाराणसी के उम्मीदवार का नाम जाहिर नहीं किया है. सपा-बसपा ने भी अपने उम्मीदवार का ऐलान रोक रखा है. सपा-बसपा का अलग राग पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा उत्तरप्रदेश में 80 में से 71 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इस बार मुकाबले त्रिकोणीय होने की संभावना है. भाजपा, कांग्रेस जहां अकेले लड़ रहे हैं वहीं सपा-बसपा जोड़ी बनाकर मैदान में होंगे.
कांग्रेस का गठबंधन पर जोर
कांग्रेस की परेशानी जहां तक गठबंधन की बात है तो कांग्रेस को राकांपा (महाराष्ट्र), द्रमुक (तमिलनाडु), राजद (बिहार), तेदेपा (आंध्रप्रदेश), जद एस (कर्नाटक), झामुमो (झारखंड) और नेशनल कांफ्रेंस (जम्मू-कश्मीर) के साथ गठबंधन में कोई दिक्कत नहीं दिखती. दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस (प. बंगाल), बीजू जनता दल (ओडिशा), आम आदमी पार्टी (दिल्ली) गठबंधन की स्थिति में दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं चाहते. वामपंथी जहां बंगाल में कांग्रेस से हाथ मिलाना चाहते हैं तो केरल, त्रिपुरा में उनके खिलाफ मैदान में होंगे.