लोकसभा चुनाव 2019: गुजरात के तीन जिलों के इन गांव में लोगों ने नहीं डाले एक भी वोट, ये हैं कारण
By विनीत कुमार | Published: April 24, 2019 04:25 PM2019-04-24T16:25:37+5:302019-04-24T16:25:37+5:30
जामनगर लोकसभा क्षेत्र के कलेक्टर और रिटर्निंग ऑफिसर रवि शंकर ने बताया कि उन्होंने गांव वालों मनाने की पूरी कोशिश की लेकिन वे नाकाम रहे।
लोकसभा चुनाव-2019 के तीसरे चरण में करीब 63 प्रतिशत मतदान हुआ हालांकि, गुजरात के जामनगर, कच्छ और तापी जिले में कुछ ऐसे गांव हैं जिन्होंने मतदान का पूरी तरह से बहिष्कार किया। रिपोर्ट्स के अनुसार यह लोग सूखे से प्रभावित, फसल के उचित दाम नहीं मिलने, खेती के लिए पर्याप्त मात्र में पानी नहीं मिलने से नाराज हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार जामनगर लोकसभा क्षेत्र के भांगोर गांव में तीन पोलिंग बूथ पर 3,344 वोटरों में से कोई भी वोट के लिए नहीं आया।
जामनगर लोकसभा क्षेत्र के कलेक्टर और रिटर्निंग ऑफिसर रवि शंकर ने बताया कि उन्होंने गांव वालों मनाने की पूरी कोशिश की लेकिन वे नाकाम रहे। किसान अपने फसल के लिए बीमा के तौर पर कम पैसे मिलने से भी नाराज थे। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार रविशंकर ने कहा, 'हमने अपने तालुका विकास अधिकारी को भेजा था, कुछ सीनियर अधिकारी और एसपी भी गये। हालांकि, वे नहीं माने।'
ऐसे ही तापी जिले के सोंगाध तालुका के तीन गांव में भी लोगों ने वोटिंग का बहिष्कार किया। यह गांव बारडोली लोकसभा क्षेत्र में आते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार यहां के गांव वाले पानी, हेल्थकेयर, शिक्षा, सड़क और बिजली नहीं मिलने से नाराज थे। इन तीन गांव के नाम बुधवाडा, ओल्ड अमलपाडा और ओल्ड कुईलिवेल हैं। निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि इन गांव में करीब 1200 वोटर हैं।
कच्छ जिले के नांदा गांव में भी लोगों ने वोटिंग का बहिष्कार किया। यह गांव रापर के 50 किलोमीटर पूर्व में रण ऑफ कच्छ में स्थित हैं और यहां 549 पंजीकृत वोटर हैं। गांववालों के अनुसार सरकार उन्हें पीने का पानी भी मुहैया नहीं करा रही है और इसलिए वे वोट नहीं देंगे। बता दें कि कच्छ इन दिनों हाल के वर्षों में सबसे खराब सूखे से गुजर रहा है। गुजरात में सभी 26 लोकसभा क्षेत्रों के लिए वोट 23 अप्रैल को डाले गये। इस दौरान 57.53 प्रतिशत वोट हुए। यह विधान सभा चुनाव में डाले गये 63.67 वोट प्रतिशत से 6.14 कम है।