लोकसभा चुनाव 2019: सीटों को लेकर महागठबंधन में मारामारी तय, BJP नेताओं का ये है हाल
By एस पी सिन्हा | Published: December 26, 2018 06:46 PM2018-12-26T18:46:54+5:302018-12-26T18:46:54+5:30
महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि सीट बंटवारे पर बातचीत चल रही है. लेकिन अब तक कुछ तय नहीं हो पाया है कि कौन सी पार्टी कितनी सीट पर लडेगी. कुछ समीकरण जरूर सामने आए हैं, जिसमें राजद के 20 और कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के 20 सीटों पर लड़ने की बात कही जा रही है.
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में महागठबंधन में अब तक सीटों को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. यहां कई पार्टियों के इकट्ठा होने से असमंजस की स्थिति बन गई है. हालांकि, इधर एनडीए में सीट शेयरिंग पर मुहर लगने के बाद भाजपा में अपनी सीट बचाने के लिए नेताओं में भी छटपटाहट दिख रही है. जबकि महागठबंधन में दलों की भीड़ उमड़ रही है. साथ ही नेताओं की जुटान भी बढ़ती जा रही है. ऐसे में टिकटों की मारामारी तय है. कई नेता अभी से बेटिकट होने के अंदेशे में दुबले हो रहे हैं.
महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि सीट बंटवारे पर बातचीत चल रही है. लेकिन अब तक कुछ तय नहीं हो पाया है कि कौन सी पार्टी कितनी सीट पर लड़ेगी. कुछ समीकरण जरूर सामने आए हैं, जिसमें राजद के 20 और कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के 20 सीटों पर लड़ने की बात कही जा रही है.
वहीं, दूसरा फॉर्मूला है कि राजद 18 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे वहीं कांग्रेस 8-12 और बाकी पार्टियां बची हुई सीटों पर अपना भाग्य आजमाए. वहीं राजद और कांग्रेस का कहना है कि वो सभी दलों से संपर्क हैं और बातचीत पूरी हो जाने के बाद इसकी घोषणा करेंगे.
हालांकि, राजद प्रमुख लालू यादव की सहमति के बिना इसपर मुहर नहीं लग सकती है. सीट बंटवारे पर लालू यादव से परामर्श के बाद सीटों का ऐलान होगा. उसके बाद कौन सी पार्टी किस सीट पर लड़ेगी, इसपर भी माथापच्ची बाकी है. जबकि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए नेताओं का दल-बदल जारी है.
उपेंद्र कुशवाहा पाला बदलकर महागठबंधन में शामिल हो चुके हैं. भाजपा हो या राजद-कांग्रेस, सभी दलों के नेता टिकट सुनिश्चित करने के लिए जुगाड़ में लग गए हैं. खासकर विपक्षी महागठबंधन में भाजपा विरोधी दलों व नेताओं की जुटान लगातार बढ़ती जा रही है. साथ ही नेताओं में टिकट को लेकर आशंका बढ़ती जा रही है.
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के महागठबंधन में आने के बाद सीट बंटवारा भी काफी दिलचस्प हो गया है. हम अध्यक्ष जीतन राम मांझी पहले से महागठबंधन का हिस्सा हैं. वहीं, एनसीपी के एक मात्र सांसद तारिक अनवर भी अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. साथ ही शरद यादव भी सीटों को लेकर दावा ठोक रहे हैं. लेकिन, ये वक्त ही बताएगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा?
वहीं, राजग की बात करें तो उस खेमे के कई नेता अभी भी हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं. टिकट की गारंटी हो जाए तो किसी भी समय उधर से इधर हो जाएंगे. पसंद के कई विकल्प हैं. राष्ट्रीय पार्टी पसंद है तो कांग्रेस हाजिर है. क्षेत्रीय और सामाजिक न्याय की धारा को पसंद करने वालों के सामने कई विकल्प हैं- राजद, रालोसपा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम). जबकि भाजपा की सीटें घटने के बाद टिकट को लेकर नेताओं में छटपटाहट साफ देखी जा रही है.
भाजपा के फिलहाल 22 सांसद हैं, लेकिन जदयू के शामिल होने के बाद दोनों ने 17-17 सीटों पर चुनाव लडने का फैसला किया है. यानि भाजपा के पांच सांसदो को अपनी सीट गवानी पड सकती है. पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और दरभंगा के सांसद कीर्ति आजाद का भाजपा से टिकट कटना तय माना रहा है.
वहीं, सांसद भोला प्रसाद सिंह के निधन के बाद बेगूसराय की सीट भी खाली हो गई है. कुछ नए नाम भी इस बार अपनी उम्मीदवारी पेश कर रहे हैं. ऐसे में सीटिंग एमपी अपनी-अपनी सीटों को लेकर खासे चिंतित हैं. बेगूसराय सीट खुद रखने या सहयोगी को देने के लिए भाजपा में माथापच्ची जारी है.
भाजपा कोटे की नवादा सीट भी विवादों में है, इसपर लोजपा ने अपना दावा पेश कर दिया है. अगर भाजपा ये सीट छोड़ती है तो यहां के सांसद गिरिराज सिंह बेगूसराय या मुजफ्फरपुर से चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि भाजपा का कहना है कि नफा-नुकसान से गठबंधन नहीं होता है. लेकिन, ये वक्त ही बताएगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा?