प्रियंका गांधी ने जब 'बेटी जैसा' बताने पर नरेंद्र मोदी को दिया था जवाब, जानिए कांग्रेस की इस नई 'उम्मीद' का पूरा सफरनामा

By विनीत कुमार | Published: March 12, 2019 11:34 AM2019-03-12T11:34:56+5:302019-03-12T11:39:29+5:30

इस लोकसभा चुनाव-2019 में कांग्रेस को प्रियंका का साथ मिलने से कितना फायदा होगा ये देखने वाली बात होगी।

lok sabha election 2019 congress priyanka gandhi political journey | प्रियंका गांधी ने जब 'बेटी जैसा' बताने पर नरेंद्र मोदी को दिया था जवाब, जानिए कांग्रेस की इस नई 'उम्मीद' का पूरा सफरनामा

प्रियंका गांधी का राजनीति सफरनामा (फाइल फोटो)

Highlightsप्रियंका गांधी ने इसी साल ली राजनीति में औपचारिक एंट्रीकांग्रेस के लिए कई मौकों पर पर्दे के पीछे से निभाती रही हैं बड़ी भूमिका

राहुल गांधी ने जब 2004 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया तब भी और आज के दौर में भी अक्सर यह बात होती है उनके मुकाबले प्रियंका गांधी को राजनीति में पहले उतार देना चाहिए था। प्रियंका पिछले करीब दो दशक से पर्दे के पीछे से अपनी भूमिका निभा रहीं हैं लेकिन बतौर चेहरा कांग्रेस ने सोनिया गांधी के बाद राहुल को ही आगे रखा। 

हालांकि, 2019 में वैसे यह समीकरण थोड़ा बदला-बदला नजर आने लगा है। प्रियंका ने राजनीति में औपचारिक एंट्री ले ली है। प्रियंका गांधी को इसी साल पूर्वी यूपी के लिए कांग्रेस की ओर से महासचिव नियुक्त किया गया है। वैसे, प्रियंका को सीधे तौर पर राजनीतिक मैदान में उतारने की मांग दबी जुबान में ही सही कांग्रेस के अंदर लंबे समय से आती रही है। यह और बात है कि अब इसे कांग्रेस की जरूरत समझें या फिर राजनीतिक मजबूरी, उन दबी हुई आवाजों को जरूरी समझा गया।

प्रियंका ने जब 1999 में दिया बीजेपी को 'झटका'

प्रियंका का राजनीतिक रैलियों से रिश्ता पुराना रहा है। वह बचपन से ही पिता राजीव गांधी और मां सोनिया के साथ अमेठी-रायबरेली जाती रही हैं। जाहिर है वह तमाम दांव-पेंच और चुनावी भाषाओं से परिचित हैं। प्रियंक गांधी के राजनीतिक सफर की बात जब भी होगी तो 1999 का साल अहम होगा जब उन्होंने रायबरेली में तब के कांग्रेस उम्मीदवार कैप्टन सतीश शर्मा के लिए प्रचार किया। इस सीट से बीजेपी ने राजीव गांधी के चचेरे भाई अरुण नेहरू को मैदान में उतारा था। प्रियंका ने इन चुनाव में सतीश शर्मा के लिए प्रचार करते हुए एक रैली में कहा- 'क्या आप उस व्यक्ति के लिए वोट करेंगे जिसने मेरे पिता की पीठ में छुरी भोंकी?' कैप्टन सतीश ये चुनाव आखिरकार जीत गये और अरुण नेहरू चौथे स्थान पर रहे। 

प्रियंका में दिखती हैं इंदिरा गांधी!

प्रियंक गांधी को अच्छी वक्ता माना जाता है और जब भी वह किसी रैली में जनता के सामने आई हैं, उन्होंने इसे साबित किया है। इसके अलावा लोगों के साथ आसानी से जुड़ जाना, हर छोटी-बड़ी भीड़ में लोगों से आसानी से बात करने की कला जैसी बातें उन्हें कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय बनाती हैं। कई कार्यकर्ता तो उनमें और इंदिर गांधी में समानता देखते हैं। 


इंदिरा गांधी और फिर राजीव गांधी की हत्या

प्रियंका गांधी केवल 12 साल की थीं जब उनकी दादी और तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1984 में हत्या कर दी गई। इसके बाद मई-1991 में राजीव गांधी की एक चुनावी रैली में हत्या कर दी गई। राजीव की हत्या के बाद प्रियंका सार्वजनिक जीवन में अपनी शादी तक नजर नहीं आई। 

प्रियंका ने 1997 में बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा से शादी की और इसके बाद से वह लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं। शादी के बाद से राजनीति में आने को लेकर उनके बारे में तमाम तरह की बातें कही गईं और इस सवाल का जवाब उन्होंने हमेशा टालने की कोशिश की। हालांकि, साल 2009 में एक इंटरव्यू में उन्होंने जरूर कहा था कि वे राजनीति में नहीं आएंगी लेकिन राजनीति के अनिश्चित मिजाज की तरह उनके इस जवाब को भी वक्त ने गलत ठहरा दिया।

प्रियंका ने जब दिया था मोदी को जवाब

राजनीति में औपचारिक एंट्री से पहले भी कई ऐसे मौके रहे हैं जब प्रियंका ने बेबाक बोल का परिचय दिया है। यही कारण भी है कि कई लोग उनमें इंदिरा की छवि देखते हैं। साल 2104 में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जब नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रियंका तो उनकी बेटी जैसी हैं, इस पर उन्होंने जवाब दिया- 'मैं राजीव गांधी की बेटी हूं।' उसी साल मोदी ने जब RSVP (राहुल, सोनिया, वाड्रा और प्रियंका) कहकर गांधी परिवार पर तंज कसा तो प्रियंका ने जवाब दिया, 'आप किसी प्राथमिक स्कूल में नहीं पढ़ा रहे हैं। आप देश को संबोधित कर रहे हैं, लोगों को आप अंग्रेजी का ककहरा जैसे ABCD या RSVP मत पढ़ाए।'

राजनीति में प्रियंका का सफरनामा

प्रियंका की राजनीति में एंट्री भले ही इस साल हुई है लेकिन 1999 के चुनाव से लेकर अब तक देखें तो यह सबकुछ उनके यहां तक पहुंचने का एक सफरनामा ही है। 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा के लिए, साल 2004 में राहुल गांधी के पहली बार अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान प्रियंका रैली करती नजर आई। प्रियंक ने 2009 में भी राहुल के लिए अमेठी से और फिर रायबलेरी से सोनिया गांधी के लिए प्रचार किया। यही नहीं। 2009 में प्रियंका के सुल्तानपुर से चुनाव लड़ने की मांग भी खूब उठी थी 

प्रियंका 2018 में भी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में नजर आई जहां राहुल को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाना था। कहा जाता है कि कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस-जेडी (एस) के गठबंधन में भी उनकी भूमिका अहम रही। यहां तक कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के लिए मुख्यमंत्री तय करने के दौरान उनकी भूमिका को अहम बताया जाता है। कुल मिलाकर पर्दे के पीछे प्रियंका कांग्रेस के लिए कई बड़े काम करती आई हैं।

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