लोकसभा चुनावः यहां पर BJP का पलड़ा भारी, लेकिन इस बार कांग्रेस पलट देगी बाजी?

By रामदीप मिश्रा | Published: February 6, 2019 03:43 PM2019-02-06T15:43:11+5:302019-02-06T16:43:55+5:30

भीलवाड़ा लोकसभा सीट: यह जिला राजस्थान के प्रमुख जिलों में से एक है और मेवाड़ का एक नगर है। ऐतिहासिक धरोहरों के चलते पर्यटकों के बीच बहुत ही लोकप्रिय है। इसका इतिहास 11वीं शताब्दी से संबंधित है और उस समय यह क्षेत्र मेवाड़ राजाओं के अधीन था।

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लोकसभा चुनावः यहां पर BJP का पलड़ा भारी, लेकिन इस बार कांग्रेस पलट देगी बाजी?

Highlightsभीलवाड़ा लोकसभा सीट से अभी बीजेपी की ओर से सुभाष बहेरिया सांसद हैं।यहां पहली बार 1952 में चुनाव हुआ था और पहली बार यहां से राम राज्य परिषद (आरआरपी) की जीत हुई थी।चुनाव आयोग के मुताबिक, 2014 के चुनाव में भीलवाड़ा लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख, 53 हजार, 764 थी।

राजस्थान में विधानसभा चुनाव का संग्राम थमा ही नहीं था कि लोकसभा चुनाव के लिए सरगर्मियां तेज हो गईं। यहां कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की है और 73 सीटों के साथ बीजेपी विपक्ष में है। यही वजह है कि कांग्रेस का दबदबा है और पिछले कुछ सालों से ट्रेंड चला आ रहा है कि प्रदेश में जिसकी सरकार रहती है उसका पलड़ा भारी रहता है। आज हम आपको एक ऐसी सीट के बारे में बताने जा रहे हैं जोकि फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कब्जे में है और इस बार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है....

भीलवाड़ा लोकसभा सीट

हम बात कर रहे भीलवाड़ा लोकसभा सीट की। यह जिला राजस्थान के प्रमुख जिलों में से एक है और मेवाड़ का एक नगर है। ऐतिहासिक धरोहरों के चलते पर्यटकों के बीच बहुत ही लोकप्रिय है। इसका इतिहास 11वीं शताब्दी से संबंधित है और उस समय यह क्षेत्र मेवाड़ राजाओं के अधीन था। बताया जाता है कि इस शहर का नाम स्‍थानीय जनजाति भील के नाम पर पड़ा था। वर्तमान में यह शहर कपड़ा नगरी के नाम से विख्यात है और अगर क्षेत्र में घूमने के लिहाज से दरगाह हजरत गुल अली बाबा, गांधी सागर तालाब, हरणी महोदव, बदनोर, कोटडी, बनेड़ा, मेनाल, जहाजपुर, बिजोलिया, माण्डल और माण्डलगढ़ है।

भीलवाड़ा लोकसभा सीट का इतिहास

भीलवाड़ा लोकसभा सीट सामान्य है और यहां पहली बार 1952 में चुनाव हुआ था और पहली बार यहां से राम राज्य परिषद (आरआरपी) की जीत हुई थी, इसके बाद 1957, 1962, 1967 में कांग्रेस का ही राज रहा। 1971 में भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज की, जबकि 1977 का चुनाव भारतीय लोक दल (बीएलडी) ने जीता। 1980 और 1984 में कांग्रेस जीती। इसके बाद 1989 में जनता पार्टी ने विजय हासिल की। 1991 में फिर से कांग्रेस जीती। वहीं, पहली बार बीजेपी ने 1996 में अपना खाता खोला। लेकिन, 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने उसे दोबारा हरा दिया। इसके बाद 1999 और 2004 में बीजेपी ने जीत दर्ज की और 2009 में कांग्रेस ने फिर से वापसी की, लेकिन 2014 के चुनाव में वह बीजेपी से हार गई।

इस समय बीजेपी का पलड़ा भारी? 

भीलवाड़ा लोकसभा सीट से अभी बीजेपी की ओर से सुभाष बहेरिया सांसद हैं। अगर पिछले कुछ चुनावों को देखा जाए तो इस सीट पर बीजेपी का पलड़ा भारी कहा जाता रहा है क्योंकि 1996 से लेकर अबतक छह बार चुनाव हुए हैं, जिसमें चार बार बीजेपी ने जीत हासिल की है और कांग्रेस दो बार ही जीत सकी है। ब्राह्मण बहुल इलाका होने की वजह से 2009 में कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता सीपी जोशी पर दांव आजमाया था और उन्होंने बीजेपी को चित्त कर दिया था। 

पिछले चुनाव के आंकड़े

चुनाव आयोग के मुताबिक, 2014 के चुनाव में भीलवाड़ा लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख, 53 हजार, 764 थी। जिसमें से 11 लाख, 2 हजार, 150 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 62.84 फीसदी वोटिंग हुई थी। बीजेपी के उम्मीदवार सुभाष बहेरिया को 6 लाख, 3 हजार, 317 वोट मिले थे। वही, कांग्रेस के उम्मीदवार अशोक चंद्र को 3 लाख, 84 हजार, 53 वोट मिले थे। कुल मिलाकर सुभाष बहेरिया ने कांग्रेस को 2 लाख, 46 हजार, 264 वोटों के अंतर से हराया था।   

English summary :
bhilwara parliament seat: We are talking about Bhilwara Lok Sabha seat. This district is one of the major districts of Rajasthan and is a city of Mewar. Due to historical heritage, it is very popular among tourists.


Web Title: lok sabha election 2019: bhilwara parliament seat congress bjp fight