बांका लोकसभा सीट: RJD-JDU और निर्दलीय पुतुल कुमारी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला, जानें इस सीट का इतिहास
By भाषा | Published: April 16, 2019 04:13 PM2019-04-16T16:13:52+5:302019-04-16T16:13:52+5:30
इस बार लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे तीनों ही प्रत्याशी बांका से सांसद रह चुके हैं । बीते लोकसभा चुनाव में पुतुल कुमारी दस हजार मतों के अंतर से जयप्रकाश नारायण यादव से हारी थीं। बांका में 18 अप्रैल को मतदान है ।
बिहार में आमतौर पर राजग और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है लेकिन बांका लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति है । बांका सीट पर महागठबंधन की ओर से राजद उम्मीदवार जय प्रकाश नारायण यादव है, वहीं जद (यू) प्रत्याशी विधायक गिरिधारी यादव राजग की ओर से चुनावी मैदान में हैं।
पिछली बार दूसरे स्थान पर रहीं पुतुल कुमारी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरी हैं और खुद को 'राजग का असली उम्मीदवार' बता रही हैं । इस बार चुनाव मैदान में उतरे तीनों ही प्रत्याशी बांका से सांसद रह चुके हैं । बीते लोकसभा चुनाव में पुतुल कुमारी दस हजार मतों के अंतर से जयप्रकाश नारायण यादव से हारी थीं । बांका में 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 16,87,940 मतदाता हैं जिनमें से 56 फीसदी पुरूष तो 44 फीसदी महिला मतदाता हैं। बांका में 18 अप्रैल को मतदान है ।
क्या कहती है जातीय समीकरण
बांका में दलों के बीच जातीय गणित से हित साधने और मुद्दों को लेकर सरगर्मी तेज़ हो गई है । यहां यादव और राजपूत आबादी ज्यादा है लेकिन अंतिम परिणाम पर अन्य पिछड़ी जातियों का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है। इस क्षेत्र में उद्योगों का अभाव और सिंचाई की बेहतर व्यवस्था का न होना भी अहम मुद्दा है।
पुतुल कुमारी ने कहा कि हम लोग निर्दलीय लड़ने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे लेकिन स्थितियाँ ऐसी बनी कि ये फैसला लेना पड़ा। सब लोगों को लगता था कि राजग की उम्मीदवार मैं ही हो सकती थी और अब सहज तौर से लोग मुझे ही राजग का प्रत्याशी मान रहे हैं। लोगों में कहीं कोई भ्रम नहीं है । सभी कह रहे हैं कि हम असली उम्मीदवार को समर्थन दे रहे हैं । राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक जीतने वाली अंतरराष्ट्रीय शूटर और अर्जुन पुरस्कार प्राप्त श्रेयसी सिंह पुतुल कुमारी की छोटी बेटी हैं और अपनी मां के लिए चुनाव प्रचार कर रही हैं । जदयू प्रत्याशी गिरिधारी यादव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सफल विदेश और रक्षा नीति और उनके गरीबी मिटने के कार्यों के आधार पर जनता से आर्शीवाद मांग रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि हमारी लड़ाई किसी से नहीं है और जीत का अंतर बहुत बड़ा होगा । उन दोनों (जय प्रकाश नारायण यादव और पुतुल कुमारी) के बीच दूसरे और तीसरे नंबर के बीच की लड़ाई है । जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा, "इस बार राजग के दो उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं और इस कारण मुकाबला करने वाले अपने में टकरा कर खुद बर्बाद हो रहे हैं।"
तीनों सांसद के बीच कड़ा मुकाबला
बांका लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र आते है जिनमें सुल्तानगंज, अमरपुर, दोरैया, बांका, कटोरिया और बेलहर शामिल है। इन क्षेत्रों में धान की खेती काफी अच्छी होती है और इसलिए इसे बिहार में चावल का कटोरा भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में शकुंतला देवी, पुतुल कुमारी, मनोरमा सिंह आदि ने राजनीति में महिलाओं को उपस्थिति को मजबूती से रखा। चुनाव में वैसे तो कुल 20 उम्मीदवार खड़े हैं लेकिन टक्कर तीन प्रमुख प्रत्याशियों के बीच ही मानी जा रही है। इनमें जदयू से गिरिधारी यादव, राजद से जयप्रकाश नारायण यादव और भाजपा की बागी निर्दलीय पुतुल कुमारी शामिल हैं। बांका को एक तरफ भगवान मधुसूदन की धरती कहा जाता है तो दूसरी तरफ अष्टावक्र की भूमि के रूप में भी जाना जाता है। बांका जिले के बौंसी प्रखंड में मंदार पर्वत अवस्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह वही मंदार पर्वत है जो देवासुर संग्राम के समय समुद्र मंथन में उपयोग किया गया था।
बांका लोकसभा सीट का इतिहास
बांका लोकसभा का गठन 1957 में किया गया। पहली बार बांका का नेतृत्व महिला के हाथ में गया तथा शकुंतला देवी यहां की सांसद बनी। शकुंतला देवी 1957 एवं 1962 में सांसद चुनी गई थीं। दिग्विजय सिंह 1998 एवं 1999 में हुए चुनाव में सांसद चुने गए थे। वर्तमान में बांका के जदयू उम्मीदवार गिरिधारी यादव को बांका का सांसद बनने का दो बार मौका मिला था। वे 1996 एवं 2004 में सांसद चुने गए थे। इसके अलावा जयप्रकाश नारायण यादव ने 2014 के चुनाव में जीत दर्ज की थी । पुतुल कुमारी को 2010 के उपचुनाव में जीत कर सांसद बनने का मौका मिला है। वर्ष 2014 का लोस चुनाव भी काफी दिलचस्प रहा था। पुतुल कुमारी भाजपा की उम्मीदवार थीं जबकि उनका सीधा मुकाबला राजद के जयप्रकाश नारायण यादव से हुआ था। पुतुल कुमारी करीब 10 हजार मतों से हार गई थीं।