लोकसभा चुनाव 2019: सियासी वजूद बचाने मैदान में उतर रहे जयंत चौधरी, जानें बागपत संसदीय क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण
By भाषा | Published: March 15, 2019 09:00 AM2019-03-15T09:00:32+5:302019-03-15T09:02:25+5:30
2019 का लोकसभा चुनाव रालोद के लिए अस्तित्व की लड़ाई भी माना जा रहा है. बागपत की सियासत में सबसे ज्यादा दखल जाट समुदाय से आनेवाले चौधरी परिवार की रही.
पश्चिमी यूपी का सियासी गढ़ और जाटलैंड माने जानेवाली लोकसभा सीट बागपत पर इस बार भी पूरे देश की नजरें हैं. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और उनके बेटे अजीत सिंह के कर्म क्षेत्र के रूप में भी यह सीट जानी जाती है. लेकिन 2014 में मोदी लहर के दम पर भाजपा ने यहां परचम लहराया और मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर सत्यपाल सिंह सांसद चुने गए. वहीं रालोद प्रमुख अजीत सिंह इस सीट पर तीसरे स्थान पर रहे थे.
रालोद के सामने होगी चुनौती
रालोद के सामने 2019 के चुनाव में जीत दर्ज कर सियासी वजूद बचाने की चुनौती होगी. 2019 का लोकसभा चुनाव रालोद के लिए अस्तित्व की लड़ाई भी माना जा रहा है. बागपत की सियासत में सबसे ज्यादा दखल जाट समुदाय से आनेवाले चौधरी परिवार की रही. इस परिवार से यहां के वोटरों का 1998 और 2014 को छोड़कर कभी मोहभंग नहीं हुआ.
बागपत संसदीय सीट का इतिहास
1977 से 1984 तक चौधरी चरण सिंह यहां काबिज रहे. वहीं इसके बाद उनके पुत्र अजीत सिंह ने 1989 से उनकी विरासत संभाली. तब से 1998 और 2014 को छोड़कर यह सीट अजीत के पास ही रही. माना जा रहा है कि भाजपा यहां से एक बार फिर सत्यपाल सिंह को मौका दे सकती है. अजीत सिंह के पुत्र जयंत के सामने अपने परिवारिक गढ़ को बचाने की जद्दोजहद होगी. 2014 में जयंत ने मथुरा से चुनाव लड़ा था और हार गए थे. हालांकि इस सीट से उन्होंने 2009 में जीत हासिल की थी.