लोकसभा चुनाव 2019: नरेंद्र मोदी हटाने के लिए कांग्रेस PM पद कुर्बान करने को तैयार, इन तीन नेताओं पर खेल सकती है दांव
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 16, 2019 01:36 PM2019-05-16T13:36:27+5:302019-05-16T13:36:27+5:30
कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'जब तक हमें पीएम का पद ऑफर नहीं किया जाता है, हम इस बारे में कुछ नहीं कहेंगे और किसी के भी जिम्मेदारी संभालने पर ऐतराज नहीं होगा।'
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे 23 मई को आएंगे। अभी सातवें और आखिरी चरण का चुनाव बाकी है, लेकिन केंद्र में गैर बीजेपी सरकार बनाने के लिए कई दलों ने अपना अभियान शुरू कर दिया है। बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए तीसरे मोर्चे की सरकार को कांग्रेस बाहर से समर्थन दे सकती है।
कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को कहा है कि हम पहले ही अपना स्टैंड क्लियर कर चुके हैं। यदि कांग्रेस के पक्ष में सहमति बनती है तो हम नेतृत्व स्वीकार करेंगे। लेकिन, हमारा लक्ष्य हमेशा यह रहा है कि एनडीए की सरकार सत्ता में वापस नहीं लौटनी चाहिए। हम सर्वसम्मति से लिए गए फैसले के साथ जाएंगे।
कांग्रेस महासचिव ने कहा, 'जब तक हमें पीएम का पद ऑफर नहीं किया जाता है, हम इस बारे में कुछ नहीं कहेंगे और किसी के भी जिम्मेदारी संभालने पर ऐतराज नहीं होगा।'
पहले भी तीसरे मोर्चे का समर्थन कर चुकी है कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी ने 1979 में चौधरी चरण सिंह और 1990 में चंद्रशेखर सरकार को बाहर से समर्थन दे चुकी है। इसके अलावा 1996 में केंद्र में अटल बिहारी सरकार के गिरने के बाद कांग्रेस ने यूनाइटेड फ्रंट की सरकार को भी समर्थन दिया था। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अगर पार्टी 140 सीटों से कम रह गई तो वह पीएम पद की दावेदारी पेश नहीं करेगी।
कांग्रेस के सूत्र बने स्टालिन
सोमवार को ही डीएमके नेता एमके स्टालिन और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बीच मुलाकात हुई है। केसीआर-स्टालिन मुकालात के बाद डीएमके प्रवक्ता सर्वनन अन्नादुरै ने ट्वीट कर कहा कि, “हमारे नेता एम के स्टालिन ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से कहा है कि वे कांग्रेस गठबंधन को समर्थन दें।”
शरद-माया-ममता के नाम की चर्चा
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दावेदारों में शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस को इनके नाम से कोई आपत्ति नहीं है। पवार और ममता दोनों ने 1970 के दशक में कांग्रेस से ही राजनीति की शुरुआत की थी।
पवार को मिल सकता है शिवसेना का साथ
एनडीए में रहने के बावजूद 2007 में शिवसेना ने प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के नाम का समर्थन राष्ट्रपति पद के लिए किया था। इसके अलावा चुनाव शुरू होने के एक महीने पहले तक बीजेपी-शिवसेना में काफी तनातनी की खबरें आती रही हैं। अगर शरद पवार का नाम आगे बढ़ता है तो शिवसेना साथ खड़ी हो सकती है।
वहीं कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार पहले दलित प्रधानमंत्री के लिए पार्टी बसपा अध्यक्ष मायावती का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। लेकिन इसके लिए मायावती को अन्य दलों से अपने नाम पर सहमति बनानी होगी।
चुनाव सर्वेक्षण की कहानी अलग
गौरतलब है कि कुछ चुनाव सर्वेक्षण इस ओर इशारा कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाला एनडीए बहुमत से कुछ सीटें पीछे रह सकता है। ऐसे में केंद्र में किसकी सरकार बनेगी यह तय करने में क्षेत्रीय पार्टियों की बड़ी भूमिका हो सकती है।
वाईएस जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस, के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली टीआरएस, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाला बीजद और बीएसपी-एसपी (मायावती और अखिलेश यादव) गठबंधन, जिन्होंने बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए दोनों से बराबर की दूरी बना रखी है, इन सभी पर खास नजर रहेगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी भी केंद्र में सरकार बनाने में भूमिका निभा सकते हैं।