रॉबर्टसगंज लोकसभा: पिछले 8 चुनावों में से 5 बार बीजेपी रही विजयी, सपा-बसपा-कांग्रेस की साझीदारी बिगाड़ सकती है 2019 में खेल
By रंगनाथ सिंह | Published: March 20, 2019 06:49 PM2019-03-20T18:49:48+5:302019-04-16T18:27:11+5:30
रॉबर्टसगंज लोकसभा सीट पर 1989 से लेकर 2014 तक बीजेपी पाँच बार जीत हासिल कर चुकी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले साल रॉबर्टसगंज लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे बीजेपी सांसद राम सकल को राज्यसभा के लिए नामित किया था।
वाराणसी से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित रॉबर्टसगंज आमतौर पर राजनीतिक सुर्खियों से बाहर रहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित रॉबर्टसगंज पिछले साल अप्रैल में तब राजनीतिक चर्चा में आया जब यहाँ के बीजेपी सांसद छोटेलाल ने अप्रैल 2018 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पीएम मोदी को शिकायती पत्र लिखा।
जुलाई 2018 में रॉबर्टसगंज फिर से तब चर्चा में आया जब यहाँ से तीन बार लोकसभा सांसद रहे राम सकल को बीजेपी ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। दलित नेता राम सकल के भारतीय संसद के उच्च सदन में नामित करके बीजेपी ने साफ कर दिया कि वो लोकसभा चुनाव 2019 में भी दलित और पूर्वी यूपी को तवज्जो देना जारी रखेगी।
इसी हफ्ते यह सीट फिर से चर्चा में तब आई जब सोशल मीडिया पर एक फेक मैसेज वायरल हो गया जिसमें बीजेपी के 28 सांसदों को इस चुनाव में टिकट न मिलने का दावा किया गया था। इस लिस्ट में रॉबर्टसगंज के सांसद छोटेलाल का भी नाम था।
आइए जानते हैं अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रॉबर्टसगंज लोकसभा सीट का संक्षिप्त चुनावी इतिहास।
ब्रिटिश कमांडर के नाम पर पड़ा है रॉबर्टसगंज नाम
कैमूर और विंध्याचल पहाड़ियों की शृंखला से घिरे रॉबर्टसगंज का नाम ब्रिटिश सैन्य कमांडर फ्रेडरिक रॉबर्टस के नाम पर पड़ा है। फ्रेडरिक रॉबर्टस को ब्रिटेन सरकार ने फील्ड मार्शल की उपाधि दी थी।
रॉबर्टसगंज लोकसभा सीट पर पहली बार 1962 में चुनाव हुआ था जिसमें कांग्रेस के राम स्वरूप ने जीत हासिल की थी। 1967 और 1971 के आम चुनाव में भी राम स्वरूप ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की।
अभी तक इस सीट पर हुए कुल 14 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी को पाँच बार जीत मिली है। इस सीट पर सपा और बसपा को भी एक-एक बार जीत मिल चुकी है। वहीं 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी के शिव सम्पत राम ने जीत हासिल की थी।
1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी विरोधी लहर में भले ही कांग्रेस यह सीट हार गयी हो लेकिन 1980 में हुए अगले ही आम चुनाव में कांग्रेस के राम प्यारे पनिका ने जीत हासिल कर ली। पनिका ने 1984 के चुनाव में दोबारा यह सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी। लेकिन मंडल और कमंडल की राजनीति के दौर में हुए 1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सूबेदार प्रसाद ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली।
1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का पलटा पासा
1889 से 2014 तक रॉबर्टसगंज लोकसभा सीट के लिए हुए कुल आठ चुनावों में पाँच में बीजेपी ने जीत हासिल की है जिससे जाहिर है कि यह सीट पार्टी का मजबूत गढ़ है।
1991 के आम चुनाव में जनता पार्टी के राम निहोर राय इस सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। 1996, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राम सकल लगातार तीन बार इस सीट से जीतकर निचले सदन में पहुंचे। इन्हीं राम सकल को बीजेपी ने पिछले साल राज्यसभा के लिए मनोनीत किया।
लोकसभा चुनाव 2014 का समीकरण
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यह रॉबर्टसगंज सीट भारी अंतर से जीती थी। कुल मतदान का 42.69 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिला था। बीजेपी के विजयी उम्मीदवार छोटेलाल को कुल तीन लाख 78 हजार 211 वोट मिले थे। बसपा के शारदा प्रसाद को एक लाख 87 हजार 725 वोट मिले थे जो कुल मतदान का 21.19 प्रतिशत था।
वहीं तीसरे स्थान पर सपा के पकौड़ी लाल कोल थे जिन्हें एक लाख 35 हजार वोट 966 वोट मिले थे। खास बात यह कि इस सीट पर चौथे स्थान पर कांग्रेस रही और पाँचवें स्थान पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) रही। कांग्रेस को 86 हजार 235 वोट मिले थे और सीपीआई को 24 हजार 363 वोट मिले थे।
लोकसभा चुनाव 2009 का समीकरण
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से सपा के पकौड़ी लाल ने जीत हासिल की थी। पकौड़ी लाल को कुल दो लाख 16 हजार 478 वोट मिले थे जो कुल मतदान का 36.36 प्रतिशत थे। दूसरे स्थान पर बसपा के राम चंद्र त्यागी थे जिन्हें कुल एक लाख 66 हजार 219 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर बीजेपी के राम सकल थे जिन्हें एक लाख चार हजार 411 वोट मिले थे। कांग्रेस के राम आधार जोसेफ 55 हजार 809 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे।
लोकसभा चुनाव 2004 का समीकरण
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में रॉबर्टसगंज सीट से बसपा के लाल चंद्र ने एक लाख 89 हजार 521 वोट पाकर जीत हासिल की थी। लाल चंद्र को कुल मतदान का 26.15 प्रतिशत मत मिला था। दूसरे स्थान पर सपा के पकौड़ी लाल रहे थे जिन्हें एक लाख 79 हजार 159 वोट मिले थे।
तीसरे स्थान पर बीजेपी के राम सकल रहे थे जिन्हें एक लाख 67 हजार 211 वोट मिले थे। चौथे स्थान पर रहे कांग्रेस के बृज किशोर कनौजिया को 65 हजार 916 वोट मिले थे।
लोकसभा चुनाव 2019 में क्या हो सकता है?
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यूपी की कुल 17 सीटों पर जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस के खाते में सूबे की एक भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट नहीं आई।
लेकिन 2019 के चुनाव में सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) गठबंधन करके चुनाव लड़ रहे हैं। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले कांग्रेस यूपी के इस महागठबंधन से खुला या भीतरी सीटवार समझौता कर सकती है।
अगर साल 2014 के चुनाव को छोड़ दें तो इस सीट पर साल 2004 और 2009 के वोटिंग पैटर्न से साफ है कि अगर सपा, बसपा और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा तो बीजेपी के लिए इस बार यह सीट निकालना मुश्किल होगा।
रॉबर्टसगंज लोकसभा सीट के लिए आम चुनाव के सातवें और आखिरी चरण में 19 मई को मतदान होगा। बाकी ऊँट किस करवट बैठेगा यह जानने के लिए हमें 23 मई को चुनाव परिणाम आने तक इंतजार करना होगा।