बिहारः इस बार में बदली रहेगी चुनावी फिजा, लालू की खलेगी कमी और NDA का मोर्चा संभालेंगे नीतीश कुमार

By एस पी सिन्हा | Published: March 11, 2019 05:32 PM2019-03-11T17:32:50+5:302019-03-11T17:32:50+5:30

2014 के चुनाव से पहले जदयू भाजपा से अलग हो गई थी, लेकिन इस बार दोनों साथ हैं. वहीं राजद के साथ रहने वाली जदयू इस बार उससे अलग होकर चुनौती दे रही है. 2015 में लालू के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने वाले नीतीश एक बार फिर भाजपा के साथ हैं तो कांग्रेस हमेशा की तरह भाजपा के सामने खड़ी है.

lok sabha chunav 2019: lalu prasad yadav and nitish kumar role in parliament election 2019 | बिहारः इस बार में बदली रहेगी चुनावी फिजा, लालू की खलेगी कमी और NDA का मोर्चा संभालेंगे नीतीश कुमार

बिहारः इस बार में बदली रहेगी चुनावी फिजा, लालू की खलेगी कमी और NDA का मोर्चा संभालेंगे नीतीश कुमार

बिहार की 40 सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने वाला है. 2014 के मुकाबले बिहार में इस बार तस्वीर बदली हुई है. एनडीए की स्टार प्रचारकों की टीम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान तो प्रमुख तौर पर रहेंगे हीं. लेकिन, राज्य में हुए विकास कार्य व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि को आधार बना कर एनडीए चुनाव मैदान में उतरेगा. 

वैसे बिहार में इस बार 2014 के लोकसभा चुनाव जैसा माहौल नहीं है क्योंकि पिछले चुनाव के दुश्मन इस बार दोस्त हैं।बिहार में मुकाबला इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि कई विपक्षी चेहरे जो कभी सरकार के साथ होते थे इस बार चुनावी मैदान में आमने-सामने होंगे. यूं कहें कि इस बार पांच साल पहले की स्थिति से काफी कुछ बदल गई है. 

2014 के चुनाव से पहले जदयू भाजपा से अलग हो गई थी, लेकिन इस बार दोनों साथ हैं. वहीं राजद के साथ रहने वाली जदयू इस बार उससे अलग होकर चुनौती दे रही है. 2015 में लालू के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाने वाले नीतीश एक बार फिर भाजपा के साथ हैं तो कांग्रेस हमेशा की तरह भाजपा के सामने खड़ी है. इन सब के बीच जहां एनडीए को मोदी-नीतीश के चेहरे पर भरोसा है तो महागठबंधन को लालू की कमी का ऐहसास भी बखूबी हो रहा है. 

पांच साल के इस लंबे समय में भाजपा से भी उसके सहयोगियों का साथ छूटा है जिसमें उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता शामिल हैं, साथ ही जीतन राम मांझी जैसे नेताओं की भी कई पार्टियां भी इस चुनाव में ताल ठोंक रही हैं. भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए की बात करें तो इस बार भी उसके साथ जदयू और लोजपा जैसे दल हैं, जिनके बीच सीटों की शेयरिंग का फार्मूला भी तय हो चुका है. लेकिन महागठबंधन में अभी तक न तो सीटों के बंटवारे को लेकर बात बनी है और न ही महागठबंधन की बिहार में अगुआई करने वाले नेता की.

इन सब के बीच सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक समेत बिहार में की गई शराबबंदी और सवर्णों को दिए गए आरक्षण के मसले ऐसे हैं, जो एनडीए को महागठबंधन के वनस्पत फिलहाल मजबूत दिख रहे हैं. चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने 13 प्वांइंट रोस्टर पर भी बड़ी फैसला लेकर बड़ी जीत हासिल करने की कोशिश की है. 

वहीं, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा इस बार एनडीए से बाहर हो गई है. उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन के साथ खड़े हैं. उनके साथ पार्टी के एक सांसद रामकुमार शर्मा भी हैं. दूसरा खेमा जहानाबाद के सांसद अरुण कुमार का है. अरुण कुमार ने अपनी अलग पार्टी बना ली है. चुनाव आयोग ने उन्हें अलग चुनाव चिह्न भी आवंटित कर दिया है. तीसरा खेमा रालोसपा के दो विधायकों की है, यह खेमा जदयू के साथ खड़ा है. 

रालोसपा में रहे और उपेंद्र कुशवाहा को राज्य का अगला मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि ने भी उनका साथ छोड़ अब उन्हें चुनौती भी दे रहे हैं. नागमणि ने जदयू के साथ आने का संकेत दिया है. फिलहाल एनडीए के साथ जदयू के अलावा लोजपा मजबूती के साथ खड़ी दिख रही है. दूसरी ओर महागठबंधन में उपेंद्र कुशवाहा और सन ऑफ मल्लाह के आने से विरोधी कुनबा अपने को दमदार मान रहा. 

महागठबंधन के साथ जीतनराम मांझी और भाकपा-माले भी होगी. पिछले 43 सालों में पहली बार ऐसा मौका होगा, जब चुनावी परिदृश्य से राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव बाहर होंगे और जेल से ही चुनावी कमान संभालेंगे. हालांकि उनके वकीलों ने जमानत याचिका दाखिल की है. लेकिन अगर उन्हें जमानत मिल भी गई तो चुनाव प्रचार करने की इजाजत मिलेगी या नहीं, यह कोई नहीं जानता. ऐसे में बिहार में मुकाबला इसबार  रोचक होने का अनुमान लगाया जा रहा है.

Web Title: lok sabha chunav 2019: lalu prasad yadav and nitish kumar role in parliament election 2019