लोकसभा चुनाव: यहां कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बनी हुई है BJP, इस बार लगाएगी जीत का चौका?
By रामदीप मिश्रा | Published: March 11, 2019 04:43 PM2019-03-11T16:43:10+5:302019-03-11T16:43:10+5:30
जालोर लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो यहां पहली बार 1952 में भवानी सिंह ने जीत हासिल की थी और वह निर्दलीय चुनाव लड़े थे। इसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस जीती।
निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है, जिसके बाद चुनावी बिगुल बज गया है और राजनीतिक पार्टियां पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रचार में जुट गई हैं। राजस्थान में भी चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया है। यहां 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा और करीब 4 करोड़, 86 लाख लाख मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। आज हम जिस लोकसभा सीट की बात करने जा रहे हैं उस पर अभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का कब्जा है और उसके बात जीत का चौका लगाने का मौका है।
जालोर लोकसभा सीट
दरअसल, हम राजस्थान के जालोर लोकसभा सीट की कर रहे हैं। यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है और यहां बीजेपी से देवजी पटेल सांसद हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली जालोर लोकसभा सीट पिछले तीन चुनावों से बीजेपी के कब्जे में है और अगर वह 2019 के चुनाव में विजय पाती है तो जीत का चौका लगाएगी। हालांकि बीते साल के आखिरी में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत से पार्टी के हौसले बुलंद हैं। यहां तक कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी कह चुके हैं कि प्रदेश में पार्टी सभी सीटों पर जीत हासिल करेगी।
जालोर लोकसभा सीट का इतिहास
अगर जालोर लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो यहां पहली बार 1952 में भवानी सिंह ने जीत हासिल की थी और वह निर्दलीय चुनाव लड़े थे। इसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस जीती। 1967 में स्वतंत्र पार्टी ने कब्जा जमाया, लेकिन 1971 के चुनाव में कांग्रेस ने वापसी कर ली। वहीं, 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने जीत दर्ज की। फिर, 1980 और 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने दर्ज की। 1989 के चुनाव में पहली बार बीजेपी ने अपना विजय पताका फहराया। 1991, 1996, 1998, 1999 के चुनाव में कांग्रेस जीती। उसके बाद 2004, 2009, 2014 में हुए चुनावों से लगातार बीजेपी जीतती आ रही है।
जालोर लोकसभा सीट पर है इनका दबदबा
जालोर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से 6 सीटों पर पटेल-चौधरी जाति के लोगों का खासा असर रहता है। इसके अलावा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोट भी निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। इसी सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह चार बार चुनाव जीते। उनके प्रभाव को कम करने के लिए उत्तर भारत से आने वाले बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारु लक्ष्मण खुद 1999 के लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे थे, लेकिन बूटा सिंह के आगे उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
पिछले चुनाव के आंकड़े
चुनाव आयोग के अनुसार, साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जालोर लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख, 24 हजार, 818 थी। इनमें से 10 लाख, 87 हजार, 555 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था और 59.60 फीसदी वोटिंग हुई थी। बीजेपी के उम्मीदवार देवजी पटेल के खाते में 5 लाख, 80 हजार, 508 वोट गए थे। वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार आंजना उदयलाल को 1 लाख, 99 हजार, 363 वोट मिले थे। बीजेपी ने उन्हें 3 लाख, 81 हजार, 145 वोटों के अंतर से हराया था।
राजस्थान में कुल वोटरों की संख्या
चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार राजस्थान में कुल 4 करोड़, 86 लाख, 3 हजार, 329 मतदाता हैं। इसमें 2 करोड़, 53 लाख, 86 हजार, 133 पुरुष और 2 करोड़, 32 लाख, 16 हजार, 965 महिला मतदाता हैं। वहीं, 1 लाख, 24 हजार, 100 सर्विस मतदाता भी हैं। लोकसभा चुनाव 2014 की तुलना में 27 लाख, 38 हजार, 82 पुरूष और 28 लाख, 70 हजार, 385 महिला एवं 25 हजार, 297 सर्विस वोटर्स लोकसभा चुनाव-2019 में बढ़े हैं।