लोकसभा चुनाव 2019: मिडिल क्लास को रिझाने में कितना सफल हुए पीएम मोदी?
By विकास कुमार | Published: February 9, 2019 01:49 PM2019-02-09T13:49:38+5:302019-02-09T15:25:26+5:30
2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए सरकार में अप्रत्याशित रूप से बढ़ती महंगाई और जॉब के मिटते नामोनिशान ने मिडिल क्लास को नरेन्द्र मोदी के प्रति आशान्वित कर दिया था.
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने कोर वोटबैंक को साधने का प्रयास करना शुरू कर दिया है. मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए अंतिम बजट में 3 करोड़ मध्यम वर्ग के लोगों को राहत देते हुए आयकर की सीमा को बढ़ाते हुए 5 लाख कर दिया था, जिसे देश में आजादी के बाद एक बहुत बड़ा टैक्स रिफार्म माना जा रहा है. 2018-19 में देश में 6.85 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया था और सरकार के इस फैसले के बाद टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले लोगों में 3 करोड़ की कमी आ सकती है.
अप्रत्यक्ष कर का दायरा बढ़ेगा
आर्थिक विश्लेषकों के मुताबिक इससे लोगों की क्रय क्षमता में बढ़ोतरी होगी जिससे अप्रत्यक्ष कर में बढ़ोतरी होगी. यह कदम अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा साबित हो सकता है. सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में आयकर से प्राप्त राशि का लक्ष्य 11 लाख करोड़ रखा था और बहुत हद तक इस लक्ष्य को प्राप्त भी कर लिया था. लेकिन अब प्रत्यक्ष कर में इसके अलावा पीयूष गोयल ने पेश किए अगये अंतिम बजट में 12 करोड़ किसानों के लिए न्यूनतम आय की घोषणा की है जिससे छोटे किसानों को छोटे स्तर पर ही सही लेकिन एक आर्थिक सपोर्ट सरकार की तरफ से मुहैया करवाया जायेगा.
नोटबंदी की मार और मिडिल क्लास
देश में जब नोटबंदी की गई तो उसका सबसे बुरा असर मिडिल क्लास पर ही पड़ा था. और उसके तुरंत बाद जिस तरह से बिना तैयारियों के जीएसटी लागू किया गया उसने छोटे व्यापारियों की कमर तोड़ दी. नोटबंदी और जीएसटी के बाद मिडिल क्लास की नाराजगी मोदी सरकार को लेकर बहुत ज्यादा बढ़ गई थी, जिसने सरकार को हाल के दिनों में बैलेंस फैसले लेने पर मजबूर कर दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी का सबसे बड़ा समर्थक मिडिल क्लास ही था क्योंकि यूपीए सरकार में अप्रत्याशित रूप से बढ़ती महंगाई और जॉब के मिटते नामोनिशान ने मिडिल क्लास को नरेन्द्र मोदी के प्रति आशान्वित कर दिया था.
पीएम मोदी की योजना
पिछले साल मोदी सरकार ने छोटे व्यापारियों के लिए एक योजना लांच की थी जिसके तहत उन्हें 59 मिनट में ऑनलाइन लोन की सुविधा मुहैया करवाई गई थी. जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड व्यापारियों को 1 घंटे के भीतर 1 करोड़ के लोन लेने की योजना ने मोदी सरकार को मिडिल क्लास के हितैषी के रूप में साबित करने में सफल रही थी.
नोटबंदी के बाद जिस तरह से रियल एस्टेट के दामों में कटौती आई. इसके पहले फ्लैट की कीमत आसमान छू रहे थे जो मिडिल क्लास की पहुंच के बाहर थे. लेकिन नोटबंदी के बाद कीमतें कम होने से इसका बड़ा फायदा मध्यम वर्ग को मिला. प्रधानमंत्री आवास योजना के कारण भी मिडिल क्लास को फायदा हुआ है. सरकार की योजनाएं मिडिल क्लास को बहुत हद तक रिझाने में सफल हुई हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार अभी से ये दावा कर ले कि उसने पूरी तरह से मिडिल क्लास को फिर से साध लिया है.