लॉकडाउन: दिल्ली से पैदल ही अपने घर MP के मुरैना जिला के लिए चला था मजदूर, आगरा में हुई मौत
By अनुराग आनंद | Published: March 28, 2020 08:32 PM2020-03-28T20:32:38+5:302020-03-28T20:32:38+5:30
लॉकडाउन में दिल्ली से पैदल मध्य प्रदेश के मुरैना जा रहे एक युवक की शनिवार सुबह सिकंदरा के कैलाश मोड़ पर हालत बिगड़ गई। सूचना पर पहुंची पुलिस उसे अस्पताल लेकर आई, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
आगरा: देश भर में कोरोना महामारी के फैलने की आशंका को देखते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने लॉकडाउन की घोषणी की। लेकिन, सरकार की यह लॉकडाउन उन लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ने लगा है, जो दिहाड़ी-मजदूरी के लिए दिल्ली आए थे। रोजगार गंवाने के बाद बड़े शहरों को छोड़कर ये मजदूर पैदल ही घर लौट रहे हैं। ऐसे में आगरा में दिल को झकझोर देने वाली खबर आई है।
एनबीटी की मानें तो लॉकडाउन में दिल्ली से पैदल मध्य प्रदेश के मुरैना जा रहे एक युवक की शनिवार सुबह सिकंदरा के कैलाश मोड़ पर हालत बिगड़ गई। सूचना पर पहुंची पुलिस उसे अस्पताल लेकर आई, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। परिजनों को सूचना दे दी गई है।
बता दें कि मृतक रघुवीर पुत्र राम लाल (40) निवासी गांव बरफड़ा, मुरैना का रहने वाला था। दिल्ली के तुगलकाबाद में एक रेस्टोरेंट में काम करता था। यह रेस्टोरेंट्स फूड सर्विस से जुड़ा हुआ है। रघुवीर डिलीवरी ब्वॉय का काम करता था। लॉकडाउन के बाद घर लौट रहा था।
गृह मंत्रालय ने नियम बदले, प्रवासी मजदूरों को खाने, रहने के साथ-साथ मिलेंगी हेल्थ सुविधाएं
कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की समस्या को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य आपदा राहत कोष ने नियम बदले हैं। गृह मंत्रालय ने कहा है कि बंद के दौरान राज्य आपदा राहत कोष से प्रवासी मजदूरों को चिकित्सकीय सहायता और कपड़े मुहैया कराए जाएंगे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के तहत दी जाने वाली सहायता के नियमों में शनिवार को बदलाव किया जिसके तहत 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन और ठहरने की अस्थायी व्यवस्था के लिए इस कोष से पैसा दिया जाएगा।
मंत्रालय ने सभी मुख्य सचिवों को भेजे पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित बंद के दौरान प्रवासी मजदूरों को चिकित्सा सेवा एवं कपड़े भी उपलब्ध कराए जा सकते हैं। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक एसडीआरएफ के नये नियमों के तहत अस्थायी आवास, भोजन, कपड़े, चिकित्सीय देखभाल आदि का प्रावधान बंद के चलते फंसे प्रवासी मजदूर समेत बेघर लोगों तथा राहत शिविरों या अन्य स्थानों पर रह रहे लोगों पर लागू होगा।
ऐसी खबरें सामने आई हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपना कार्य स्थल छोड़ कर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर अपने पैृतक स्थानों पर लौट रहे हैं और रास्ते में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा के बाद सामान्य यातायात सेवाएं बंद हो जाने के कारण प्रवासी मजदूरों के पास पैदल चलकर घर पहुंचने का ही विकल्प बचा है।
गरीबों के लिए त्रासदी बना कोरोना वायरस
कोरोना वायरस से चलते हुए देशव्यापी लॉकडाउन का सबसे बुरा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है। अपने गांव को छोड़कर दूसरे राज्यों में कमाने गए मजदूर अब दर-दर भटक रहे हैं। लॉकडाउन के चलते ना ही उनके पास खाने का पैसा बचा है और ना ही वो घर पहुंच पा रहे हैं।
विभिन्न राज्यों में काम कर रहे मजदूर काम-धंधा बंद होने जाने की वजह से वापस अपने घर लौटने के लिए मजबूर है। पिछले तीन दिनों से खबरें आ रही थी कि सड़कों पर मजदूर पैदल ही जा रहे हैं। अपने घर वापसी के लिए कई लोग हजारों किलोमीटर तक का सफर कर रहे हैं।