लॉकडाउन: मोदी सरकार ने ट्रांसजेंडर्स के लिए किया भत्ते का ऐलान, कांग्रेस महासचिव अप्सरा रेड्डी ने कहा-देखना होगा ये कितना प्रभावी
By स्वाति सिंह | Published: May 31, 2020 10:37 AM2020-05-31T10:37:05+5:302020-05-31T10:41:50+5:30
मोदी सरकार के फैसले के बाद कांग्रेस महासचिव अप्सरा रेड्डी ने लोकमत से खास बातचीत में कहा, 'मैं ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पुनर्वास या सहायता के लिए किसी भी प्रगतिशील कदम का स्वागत करती हूं। हालांकि, केंद्र सरकार ने भुखमरी और चरम सामाजिक अलगाव और अस्थिरता के दिनों में उनकी सहायता के लिए कुछ नहीं किया।
नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच ट्रांसजेंडर समुदाय के 2,000 से अधिक लोगों ने गृह, वित्त एवं सामाजिक न्याय के केंद्रीय मंत्रालयों को पत्र लिखकर अपने समुदाय के लिए विशेष पैकेज की मांग की थी। जिसके बाद सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद्र गहलोत ने ट्विटर पर बताया कि मंत्रालय ने प्रत्येक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को, जिसने मंत्रालय से सहायता मांगी है, 1500 रु का निर्वाह भत्ता दिया है। देशभर में लगभग 4922 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लगभग 73 लाख रुपये की राशि प्रत्यक्ष लाभार्थी अंतरण डीबीटी के माध्यम से जारी की गई है।
उन्होंने आगे लिखा, 'NBCFDC ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान सोशल आइसोलेशन या अन्य कारणों से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों द्वारा महसूस किए जा रहे मानसिक तनाव और चिंता संबंधी मुद्दों के बारे में हर रोज मनोवैज्ञानिक परामर्श देने के एक हेल्पलाइन भी शुरू की है, उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत 14 अप्रैल से की गई है।'
इस फैसले के बाद कांग्रेस महासचिव अप्सरा रेड्डी ने लोकमत से खास बातचीत में कहा, 'मैं ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पुनर्वास या सहायता के लिए किसी भी प्रगतिशील कदम का स्वागत करती हूं। हालांकि, केंद्र सरकार ने भुखमरी और चरम सामाजिक अलगाव और अस्थिरता के दिनों में उनकी सहायता के लिए कुछ नहीं किया। हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि यह हेल्पलाइन कितनी कार्यात्मक और प्रभावी है।' बता दें कि कांग्रेस की महासचिव अप्सरा रेड्डी देश की किसी भी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी की महासचिव बनने वाली पहली ट्रांसजेंडर हैं।
बता दें कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने सरकार से स्थिति सामान्य होने तक प्रत्येक ट्रांसजेंडर (किन्नर) व्यक्ति को हर महीने कम से कम 3,000 रुपये की मदद देने का आग्रह किया था। मंत्रालयों को लिखे गए उनके पत्र में कहा गया, “यह इसलिए जरूरी है क्योंकि ज्यादातर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, ज्यादातर राज्यों में उन्हें पेंशन नहीं मिलती है और कई ट्रांसजेंडर व्यक्ति किराए के घरों में रहते हैं।”
NBCFDC ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान सोशल आइसोलेशन/अन्य कारणों की वजह से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों द्वारा महसूस किए जा रहे मानसिक तनाव तथा चिंता संबंधी मुद्दों के बारे में प्रतिदिन मनोवैज्ञानिक परामर्श देने के लिए दिनांक 14.4.2020 से एक ‘कोविड हेल्पलाइन’ भी शुरू की है। #1YearofModi2https://t.co/PyaemrORkJ
— Thawarchand Gehlot (@TCGEHLOT) May 30, 2020
उन्होंने सरकार से किन्नरों समेत सभी जरूरतमंद नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) को सर्वव्यापी बनाने की भी अपील की। पत्र में कहा गया, “एक आदेश जारी करें जिसमें यह अनिवार्य किया जाए कि किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को किराया देने के लिए मजबूर न किया जाए या किराया नहीं देने पर उनके मकान मालिकों द्वारा उन्हें घर से नहीं निकाला जाना चाहिए।”
इसमें कहा गया, “ज्यादातर किन्नर अत्यंत गरीबी में, समाज में हाशिए पर रहते हैं और भीख मांगने तथा यौन कार्यों के जरिए आजीविका चलाते हैं और दोनों ही काम ऐसे हैं जिसमें लोगों की मौजूदगी और शारीरिक संपर्क जरूरी है।” पत्र में कहा गया, “सामाजिक दूरी अनिवार्य बनाए जाने के बाद ट्रांसजेंडर लोगों के लिए आय का स्रोत ही छिन गया है। आय का स्थायी स्रोत नहीं होने के कारण हमारी स्थिति दिहाड़ी मजदूरों जितनी ही संवेदनशील है।” समुदाय के प्रतिनिधियों ने सरकार से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सभी जरूरी दवाओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की भी अपील की।