उद्योगपति राजीव बजाज बोले, लोग सरकार से डरे हुए हैं, अर्थव्यवस्था हो गई है तबाह
By शीलेष शर्मा | Published: June 4, 2020 04:30 PM2020-06-04T16:30:28+5:302020-06-04T16:30:28+5:30
आर्थिक पैकेज पर राहुल बजाज ने कहा कि दुनिया के कई देशों ने जो पैकेज दिया है, उसमें से दो तिहाई लोगों के हाथ में गया है लेकिन हमारे यहां घोषित पैकेज की रकम सिर्फ 10 फीसदी ही लोगों के हाथों तक सीमित रखी गई है।
मोदी सरकार द्वारा देश भर में जिस तरह लॉक डॉउन लागू किया गया वास्तव में वह एक क्रूर लॉक डॉउन है, जिससे न तो संक्रमण का प्रसार रुका, बल्कि उल्टे अर्थव्यवस्था तबाह हो गई। यह बात देश के जाने माने उद्योगपति राजीव बजाज ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से वीडियो चैट पर कोरोना वायरस को लेकर हुई चर्चा के दौरान कही।
बजाज ने दो टूक कहा कि हमारी सरकार ने पश्चिमी देशों की ओर देखा और क्रूर लॉकडाउन लगाने का प्रयास किया, जिसका नतीज़ा हमारे सामने है। उन्होंने साफ़ किया कि हम अनिश्चितता में निश्चितता खोजने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे जैसे लोग इसे सहन कर सकते हैं लेकिन आस पास व्यवसायों और जनता जिसमें गरीब मज़दूर ,किसान जैसा वर्ग है उसके लिये यह एक अति कड़वा समय है जिसके बारे में नीतियां बनाने वाले गंभीर नज़र नहीं आते।
राहुल बजाज ने कहा कि हर दिन एक नई सीख ले कर आता है, चाहे वह चिकित्सा की बात हो, व्यापार की बात या कोई व्यक्तिगत मुद्दा, हमे उससे सबक लेकर अपने को दुरुस्त करना चाहिये जो हम नहीं कर सके। राहुल गांधी और राहुल बजाज के बीच हुई यह बातचीत ने राजनैतिक हलकों में हंगामा खड़ा कर दिया है क्योंकि मोदी सरकार के 6 साल के शासन में बजाज पहले उद्योगपति हैं जिन्होंने सरकार को खरी खरी सुना कर मोर्चा खोला हो। इससे पहले देश के किसी उद्योगपति के पास इतना साहस नहीं था कि वह खुलकर सरकार के फैसलों की आलोचना करें।
राहुल से संवाद के दौरान राजीव बजाज इतने आक्रामक थे कि उन्होंने बिना किसी भय के लॉकडाउन से जुड़े सवाल पर कहा कि दुर्भाग्यवश हमने पश्चिम खासकर सुदूर पश्चिम की तरफ देखा और पूर्व की तरफ नहीं देखा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने क्रूर लॉकडाउन लागू करने का प्रयास किया जिसमें खामियां ही खामियां थीं, इसलिए मुझे लगता है कि देश को आखिर में दोनों तरफ से नुकसान हुआ। इस तरह के लॉकडाउन के बाद भी वायरस मौजूद है और वायरस मौजूद रहेगा। आप इस वायरस की समस्या से न तो निपट पाए उल्टे अपनी अर्थव्यवस्था को तबाह कर बैठे।''
बजाज ने अपने सगे संबंधियों का जिक्र करते हुये कहा कि जापान, सिंगापुर, यूरोप, अमेरिका में रह रहे इन रिश्तेदारों ने बताया कि ऐसा लॉकडॉउन कहीं नहीं हुआ जैसा भारत में हुआ है। विश्व युद्ध के दौरान भी दुनिया ने ऐसा क्रूर बंद नहीं देखा था ,जो हम देख रहे हैं। हमारे यहां खुलासा करने और सच्चाई को उजागर करने में कमी रही है, नारायण मूर्ति ठीक ही कहते हैं जहां संदेह होता है वहां खुलासा भी जरूर होता है। सच तो यह है कि जब प्रसिद्ध लोग प्रभावित होते हैं तो खबर सुर्ख़ियों में होती है लेकिन अफ्रीका में 8000 बच्चे भूख से मरते हैं तो कोई ध्यान नहीं देता।
दरअसल बजाज का इशारा उन प्रवासी मजदूरों की तरफ था जो घरों को लौटने के लिये हज़ारों किलोमीटर नंगे पांव सड़कों पर निकल पड़े थे। उनके पास न रोजगार , न पैसा और न ही खाने को कुछ था। बजाज ने यह खुलासा भी किया कि उद्योग जगत ही नहीं आज देश के लोग सरकार से डरे हुए हैं उनको लगता है कि सरकार के खिलाफ कुछ बोला तो सरकार संकट में डाल देगी, यह जानते हुए मैंने अपनी बात खुल कर रखने का निर्णय किया।
राजीव बजाज बोले, ‘मुझे लगता है कि पहली समस्या लोगों के दिमाग से डर निकालने की है। इसे लेकर साफ मन से विचार होना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुये कहा, ‘‘मुझे लगता है कि लोग प्रधानमंत्री की बात सुनते हैं। अब उनको यह कहने की जरूरत है कि हम आगे बढ़ रहे हैं, सब नियंत्रण में है और संक्रमण से मत डरिए।''