सुरक्षा नियम से बना रहेगा लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का बंगला!
By संतोष ठाकुर | Published: June 12, 2019 08:01 AM2019-06-12T08:01:21+5:302019-06-12T08:01:21+5:30
ऐसे समय में जब पूर्व सांसदों और चुनाव नहीं जीतने वाले पूर्व मंत्रियों से उनके बंगले वापस लेने की प्रक्रि या केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने शुरू कर दी है, उसने संकेत दिए हैं कि इस बार चुनाव नहीं लड़ने वाले भाजपा के दो दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से उनके बंगले शायद वापस नहीं लिए जाएं.
इसकी वजह यह बताई जा रही है कि दोनों ही सुरक्षा प्राप्त नेता हैं. उन्हें विभिन्न आतंकी संगठनों से जान का खतरा है. ऐसे में उन्हें सुरक्षा प्रावधान के तहत वर्तमान बंगला जारी रह सकता है. पहले यह चर्चा थी कि चुनाव नहीं लड़ने की वजह से पूर्व सांसद हुए इन वरिष्ठ नेताओं को वर्तमान बंगले से छोटे आवासीय इकाई में भेजा जा सकता है.
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि एसपीजी, जेड प्लस और जेड श्रेणी के सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों को बंगला देने का नियम रहा है. इसी प्रावधान की वजह से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा एवं एम. एस. बिट्टा को बंगला आवंटित रहा है. लालकृष्ण आडवाणी को कई आतंकी संगठनों की ओर से लगातार जान का खतरा रहा है. ऐसे में अगर उनसे बंगला लिया जाता है या फिर उन्हें कोई छोटा आवास दिया जाता है तो इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों से थ्रैट-परसेप्शन या उनके जानमाल की सुरक्षा को लेकर मूल्यांकन कराने की जरूरत होगी. उनकी रिपोर्ट के बाद ही बंगला खाली कराने या फिर छोटा आवास देने पर कोई निर्णय हो सकता है.
इसी तरह की प्रक्रिया मुरली मनोहर जोशी के संदर्भ में भी अपनानी होगी. वहीं, दूसरी ओर सरकार की ओर से फिलहाल पहले से अधिक बंगलों की मांग नहीं हुई है. जिससे मंत्रालय पर सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों से बंगला खाली कराने का दबाव भी नहीं है. ऐसे में इन नेताओं को बिना सांसद रहे भी लुटियन दिल्ली में बंगला जारी रह सकता है. एक अधिकारी ने कहा कि दोनों ही नेता अतिसंवेदनशील सुरक्षा श्रेणी में हैं. ऐसे में उन्हें खास तरह की सुरक्षा की जरूरत है. उसके लिए उनके वर्तमान बंगलों में पर्याप्त व्यवस्था है. नए बंगलों में इन नेताओं को भेजना, सभी सुरक्षात्मक उपाय पर फिर से मशक्कत-निवेश करना होगा. जो अनावश्यक और जोखिम से भी भरा होगा. ऐसे में वर्तमान बंगले का आवंटन ही सही रहेगा.
नए सरकारी आवास में जा सकते हैं जेटली
अस्वस्थ होने के कारण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्री नहीं बने भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के समय मिला आलीशान बंगला जल्द ही खाली कर नए सरकारी आवास में जा सकते हैं. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि जेटली ने अपने नए सरकारी आवास को लेकर अंतिम फैसला नहीं किया है. दिल्ली की कैलाश कॉलोनी में उनका अपना मकान है.
जेटली को 2014 में 2, कृष्ण मेनन मार्ग का सरकारी बंगला आवंटित किया गया था. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वह राज्यसभा में सदन के नेता थे. ऐसे में यदि मौजूदा सरकार में उन्हें फिर से वही जिम्मेदारी दी जाती है तो वह बड़े सरकारी बंगले के हकदार होंगे. 'टाइप-8' बंगले में भूखंड का आकार सामान्यत: 8250 वर्गफुट होता है और इसमें 8 बेडरूम, घरेलू सहायकों के 4 क्वार्टर, दो गैरेज, आगे और पीछे लॉन होते हैं.
ऐसी अटकलें हैं कि जैसे ही जेटली की सेहत में सुधार होता है, उन्हें मोदी सरकार में बिना किसी प्रभार का मंत्री बना दिया जाएगा. पेशे से वकील जेटली मोदी कैबिनेट के सबसे अहम नेता रहे हैं. वह सरकार को मुश्किल स्थिति से बाहर निकालने वाले नेता के तौर पर भी जाने जाते हैं.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में नई मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले 29 मई को पूर्व वित्त मंत्री जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि वह स्वास्थ्य कारणों से नई सरकार में मंत्री नहीं बनना चाहते हैं. राज्यसभा सदस्य जेटली ने कहा कि पिछले 18 महीनों से वह स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चुनौतियों से जूझ रहे हैं और इसलिए भविष्य में 'किसी जिम्मेदारी' से खुद को दूर रखना चाहेंगे तथा इलाज एवं स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करेंगे.