चिराग पासवान बोले- ‘हनुमान को अगर राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर राम काहे के’
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 16, 2021 07:27 PM2021-06-16T19:27:07+5:302021-06-16T19:28:29+5:30
चिराग पासवान ने कहा कि बिहार चुनाव के दौरान उससे पहले भी उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था।
नई दिल्लीः लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता चिराग पासवान ने जनता दल (यूनाइटेड) और नीतीश कुमार पर हमला बोला। अपनी पार्टी में विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया।
यह पूछे जाने पर कि क्या ‘‘हनुमान’’ जो अब मुश्किल में हैं, क्या ‘‘राम’’ से मदद मांगेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘‘हनुमान को अगर राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर हनुमान काहे के और राम काहे के।’’ बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘‘राम’’ हैं और वह उनके ‘‘हनुमान’’ हैं।
रामविलास पासवान द्वारा स्थापित पार्टी के लिए लड़ेंगे
चिराग पासवान ने कहा कि चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट द्वारा लिए गए फैसलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया पार्टी का संविधान उन्हें ऐसा कोई अधिकार नहीं देता है। पार्टी में विभाजन के बाद मीडिया के साथ अपनी पहली बातचीत में, उन्होंने खुद को ‘‘शेर का बेटा’’ बताया और कहा कि वह अपने पिता रामविलास पासवान द्वारा स्थापित पार्टी के लिए लड़ेंगे।
बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी, उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था: चिराग पासवान pic.twitter.com/Flg7GayNnc
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 16, 2021
समूह की लड़ाई पारस के नेतृत्व में पार्टी के पांच अन्य सांसदों के गुट से
विभाजन के लिए जद (यू) को दोषी ठहराते हुए, उन्होंने इस घटनाक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भूमिका के बारे में सवालों से किनारा कर लिया और कहा कि जो हुआ है वह एक आंतरिक मामला है, जिसके लिए वह दूसरों को निशाना नहीं बनाएंगे। पासवान ने कहा कि यह एक लंबी लड़ाई होने जा रही है। उन्होंने कहा कि क्योंकि लोजपा के स्वामित्व का दावा करने के लिए उनके नेतृत्व वाले समूह की लड़ाई पारस के नेतृत्व में पार्टी के पांच अन्य सांसदों के गुट से है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता रामविलास पासवान जब जीवित थे तब भी जद (यू) लोजपा को बांटने के काम में लगी थी, जब मैं बीमार था तब भी साजिश रची गई थी।’’ उन्होंने कहा कि जद (यू) ने हमेशा दलितों को बांटने और उसके नेताओं को कमजोर करने का काम किया है। उन्होंने दावा किया लोजपा को बिहार की सबसे बड़ी दलित जाति पासवानों का समर्थन प्राप्त है। जमुई के 38 वर्षीय सांसद ने अपने चाचा पर निशाना साधने के लिए बिना किसी कड़े शब्दों का इस्तेमाल किए, प्रतिद्वंद्वी समूह से मुकाबला करने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया।
चाचा परिवार के संरक्षक की भूमिका निभाएंगे
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल जब मेरे पिता का निधन हुआ तो मैं खुद को अनाथ महसूस नहीं कर रहा था। लेकिन मुझे अब ऐसा लगता है।’’ उन्होंने कहा उन्हें उम्मीद थी कि उनके चाचा परिवार के संरक्षक की भूमिका निभाएंगे, लेकिन इसके बजाय उन्होंने उन्हें (चिराग को) छोड़ दिया। पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टक्कर देने के लिए बिहार में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से बाहर निकलने के अपने फैसले को याद किया, और कहा कि कई लोग चाहते थे कि वह आरामदायक जीवन चुनें।
We wanted to contest the election in alliance with NDA but he (Chirag Paswan) didn't agree to it. This is the reason why LJP is on the verge of an end: Pashupati Kumar Paras, LJP pic.twitter.com/Sqq7knN7Wv
— ANI (@ANI) June 16, 2021
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए मुझे नीतीश कुमार के सामने झुकना होगा। मैं ऐसा नहीं कर सका। मेरे चाचा ने चुनाव प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई।’’ उन्होंने प्रतिद्वंद्वी समूह के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने चुनाव के दौरान एकतरफा फैसले लिए। पासवास ने कहा कि चुनाव उनकी पार्टी के लिए 'बड़ी जीत' है क्योंकि उसे करीब छह प्रतिशत वोट मिले हैं।
लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा
पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने का विरोध करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि यह लोजपा के विधान के विरुद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘लोजपा के संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत केंद्रीय संसदीय बोर्ड को यह अधिकार है कि वह यह फैसला करे कि लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा।
ऐसे में पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में लोजपा का नेता घोषित करने का फैसला हमारी पार्टी के संविधान के प्रावधान के विपरीत है।’’ चिराग पासवान की अगुवाई वाले गुट ने पारस समेत पांच सांसदों को पार्टी से निष्कासित करने का दावा किया है तो पारस के नेतृत्व वाले गुट ने चिराग को अध्यक्ष पद से हटा दिया है।