विधान पार्षद विश्वनाथ मई 2021 तक सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य रहेंगे : उच्च न्यायालय
By भाषा | Published: December 1, 2020 03:02 PM2020-12-01T15:02:06+5:302020-12-01T15:02:06+5:30
बेंगलुरु, एक दिसंबर विधान परिषद के भाजपा सदस्य ए. एच. विश्वनाथ को बड़ा झटका देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि दल-बदल कानून के तहत विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए गए एमएलसी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता।
उच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विश्वनाथ ने कहा कि वह फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे। गौरतलब है कि विश्वनाथ को विधान परिषद में मनोनित किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओक और न्यायमूर्ति एस. विश्वजीत शेट्टी की खंड पीठ ने वकील ए. एस. हरीश की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। वकील ने अपनी अर्जी में कहा था कि विश्वनाथ को संविधान के अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत मई-2021 में विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त होने तक अयोग्य घोषित किया गया है।
वहीं अन्य दो विधान पार्षदों आर. शंकर और एम. टी. बी. नागराज को अदालत से राहत मिल गई है। अदालत ने कहा कि दोनों के विधान परिषद में निर्वाचित होने के कारण उनकी अयोग्यता अब लागू नहीं होगी।
अर्जी पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘पहली नजर में यह तय नहीं होता है कि आर. शंकर और एन. नागराज अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत अयोग्य घोषित किए गए हैं। हम मानते हैं कि ए. एच. विश्वनाथ अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत अयोग्य घोषित किए गए हैं।’’
पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री को विश्वनाथ को अयोग्य ठहराए जाने के तथ्य को ध्यान में रखना होगा। अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सिफारिश किए जाने की स्थिति में राज्यपाल को विश्वनाथ को अयोग्य घोषित किए जाने के तथ्य पर विचार करना होगा।
आवेदक वकील ने आरोप लगाया है कि विश्वनाथ, शंकर और नागराज को पिछले दरवाजे से विधान परिषद में प्रवेश दिया गया है ताकि उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सके जबकि विश्वनाथ और नागराज अयोग्य घोषित किए जाने के बाद से अपनी-अपनी सीटों से उपचुनाव में हार गए थे।
आवेदक ने दावा किया है कि शंकर ने तो उपचुनाव में हिस्सा भी नहीं लिया।
गौरतलब है कि एमएलसी विश्वनाथ, शंकर और नागराज उन 17 विधायकों में शामिल हैं जिन्हें कर्नाटक विधानसभा से अयोग्य घोषित किया गया था और इसी कारण एच. डी. कुमारस्वामी नीत तत्कालीन जद(एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिर गई थी।
शंकर और नागराज कांग्रेस के जबकि विश्वनाथ जद(एस) की टिकट पर चुनाव जीते थे। अयोग ठहराए जाने के बाद तीनों भाजपा में शामिल हो गए।
फैसले पर विश्वनाथ ने मंगलवार को कहा, ‘‘मैं विधि के शासन और अदालत के फैसले का स्वागत करता हूं। मैं फैसले का स्वागत करता हूं। मैं फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दूंगा।’’
इसबीच अदालत के फैसले को लेकर कृष्णराजा नगर से जद(एस) विधायक एस. आर. महेश और विश्वनाथ के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है।
महेश ने आरोप लगाया कि धन और सत्ता के लोभ में पार्टी को धोखा देने वाले विश्वनाथ को देवी चामुंडेश्वरी ने सजा दी है।
इस पर जवाब देते हुए विश्वनाथ ने महेश की तुलना गोबर से की और कहा कि उनके साथ इस कहासुनी में नहीं पड़ेंगे।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।