राजस्थानः हुक्का बार को लेकर प्रदेश का कानून सख्त, एक वर्ष की जेल और 50 हजार से एक लाख रुपए तक जुर्माना!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: August 3, 2019 04:34 PM2019-08-03T16:34:54+5:302019-08-03T16:34:54+5:30

उल्लेखनीय है कि इस विधेयक के जरिए केवल हुक्का बार पर पाबंदी रहेगी, घरों में देसी हुक्का पर पाबंदी के प्रावधान नहीं किए हैं. 

Law of the state over the hookah bars, one year jail and fine ranging Rajasthan | राजस्थानः हुक्का बार को लेकर प्रदेश का कानून सख्त, एक वर्ष की जेल और 50 हजार से एक लाख रुपए तक जुर्माना!

राजस्थानः हुक्का बार को लेकर प्रदेश का कानून सख्त, एक वर्ष की जेल और 50 हजार से एक लाख रुपए तक जुर्माना!

Highlightsकेन्द्रीय अधिनियम संख्या 2003 के 34 की धारा 27 में अधिनियम के अंतर्गत किए गए उल्लंघन जमानती प्रकृति के हैं। केन्द्रीय अधिनियम 2003 के मुकाबले राजस्थान संशोधन विधेयक, 2019 सैद्धान्तिक रूप से ज्यादा सख्त है

राजस्थान में हुक्का बार चलाने पर एक वर्ष की जेल और 50 हजार से एक लाख रुपए तक जुर्माना होगा. प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा का कहना है कि केन्द्रीय अधिनियम, 2003 के मुकाबले राजस्थान संशोधन विधेयक, 2019 ज्यादा असरदार होगा. 

डॉ. शर्मा का कहना है कि केन्द्रीय अधिनियम की धारा 4 का उल्लंघन करने पर मात्र 200 रुपए तक जुर्माना किए जाने का प्रावधान है, जबकि राजस्थान संशोधन विधेयक, 2019 में उपबंधों का उल्लंघन करने पर 3 वर्ष तक का कारावास, जो कि 1 वर्ष से कम नही होगा. इसके अलावा 50 हजार से एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है, लिहाजा यह अधिनियम कहीं अधिक सख्त है. 

डॉ. शर्मा का मानना है कि हुक्का बार की वजह से प्रदेश के युवा नशे की लत में घुसते जा रहे थे, इसलिए इसे रोकना जरूरी था, लेकिन हुक्का बार के खिलाफ कोई कानून नहीं होने की वजह से पुलिस कोई भी एक्शन नहीं ले पा रही थी. इस विधेयक में धारा 4 में संशोधन करके हुक्का बार के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. 
उल्लेखनीय है कि इस विधेयक के जरिए केवल हुक्का बार पर पाबंदी रहेगी, घरों में देसी हुक्का पर पाबंदी के प्रावधान नहीं किए हैं. 

याद रहे, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के घोषणा पत्र में हुक्का बार पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया गया था.
डॉ. शर्मा का कहना है कि केन्द्रीय अधिनियम संख्या में परिभाषाओं की व्याख्या अस्पष्ट हैं, जबकि राजस्थान संशोधन विधेयक, 2019 के अंतर्गत ‘हुक्का बार’ को स्पष्टता से परिभाषित किया है. नए संशोधन के अनुसार जहां लोग किसी सामुदायिक हुक्के से, या नारगील से जो व्यक्तिगत रूप से उपलब्ध कराया जाता है, तम्बाकू का धूम्रपान करने के लिए एकत्र होते हैं.

केन्द्रीय अधिनियम में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान प्रतिबंधित किया गया है तथा साथ ही 30 कमरों के होटल, रेस्त्रां जिनमें 30 या इससे अधिक लोगों के बैठने की क्षमता हो एवं एयरपोर्ट में अलग से धूूम्रपान कक्ष बनाए जाने का प्रावधान है, जबकि राजस्थान संशोधन विधेयक, 2019 के तहत किसी भी व्यक्ति स्वयं या किसी दूसरे व्यक्ति की शह से हुक्का बार का संचालन रेस्त्रां होटल सहित किसी भी स्थान पर, जहां पर किसी भी तरह का खाना या अल्पाहार का विक्रय अथवा वितरण किया जाता है, हुक्का बार संचालन को प्रतिबंधित किया गया है. 

जहां केन्द्रीय अधिनियम में उपनिरीक्षक एवं उससे उच्च रैंक के पुलिस अधिकारी तथा खाद्य एवं औषध प्रशासन तथा अन्य अधिकारी जो पुलिस उपनिरीक्षक एवं उच्च रैंक के हैं, को तथा जिन्हें केन्द्र अथवा राज्य सरकार के द्वारा अधिकृत किया गया है, वह ऐसे सिगरेट अथवा अन्य तम्बाकू उत्पादों अथवा विज्ञापन सामग्री की जब्ति कर सकेंगे, जिनमें इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है, लेकिन राजस्थान संशोधन विधेयक, 2019 में उपनिरीक्षक पुलिस एवं उससे उच्च रैंक का पुलिस अधिकारी जिसे राज्य सरकार द्वारा अधिकृत किया गया हो, वह इस अधिनियम की धारा (4क) के उपबंधों का उल्लंघन होने पर हुक्का बार की विषय-वस्तु या साधन के रूप में उपयोग की गयी किसी भी सामग्री या वस्तु का अभिग्रहण कर सकेगा.

यही नहीं, केन्द्रीय अधिनियम संख्या 2003 के 34 की धारा 27 में अधिनियम के अंतर्गत किए गए उल्लंघन जमानती प्रकृति के हैं, जबकि राजस्थान संशोधन विधेयक, 2019 में अधिनियम की धारा (4क) के अंतर्गत किये गये उल्लंघनों को संघीय अपराध घोषित करने का प्रावधान किया गया है.

केन्द्रीय अधिनियम 2003 के मुकाबले राजस्थान संशोधन विधेयक, 2019 सैद्धान्तिक रूप से ज्यादा सख्त है, यदि इसके प्रभावी प्रायोगिक परिणाम प्राप्त होते हैं तो प्रदेश में नशे के बढ़ते असर को नियंत्रित किया जा सकेगा!

Web Title: Law of the state over the hookah bars, one year jail and fine ranging Rajasthan

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