लालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने जमा किया ₹3 लाख 61 हजार रुपये का बिजली बिल, विभाग ने थमाया था नोटिस
By एस पी सिन्हा | Updated: December 7, 2025 16:40 IST2025-12-07T16:40:12+5:302025-12-07T16:40:12+5:30
विभागीय रिकॉर्ड्स के मुताबिक, उन्होंने अंतिम बार जुलाई 2022 में बिजली बिल जमा किया था। इसके बाद लगातार मासिक बिलों की अनदेखी और नियमानुसार लगने वाले चक्रवृद्धि ब्याज के कारण बकाया राशि ₹3 लाख के आंकड़े को पार कर गई थी।

लालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने जमा किया ₹3 लाख 61 हजार रुपये का बिजली बिल, विभाग ने थमाया था नोटिस
पटना: राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और जनशक्ति जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेज प्रताप यादव ने अपना बकाया बिजली बिल जमा कर दिया। बिहार के विद्युत विभाग ने उन्हें ₹3 लाख 61 हजार रुपये का बिल भेजा था, जिसका भुगतान विभागीय नोटिस मिलने के बाद किया गया है। विभाग के अनुसार, पटना के बेउर इलाके में स्थित तेज प्रताप यादव के निजी आवास का बिजली बिल पिछले लगभग तीन वर्षों से बकाया चल रहा था। विभागीय रिकॉर्ड्स के मुताबिक, उन्होंने अंतिम बार जुलाई 2022 में बिजली बिल जमा किया था। इसके बाद लगातार मासिक बिलों की अनदेखी और नियमानुसार लगने वाले चक्रवृद्धि ब्याज के कारण बकाया राशि ₹3 लाख के आंकड़े को पार कर गई थी।
बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि तेज प्रताप यादव का कनेक्शन 2018 से सक्रिय है और उनके आवास की औसत मासिक बिजली की खपत लगभग 500 यूनिट है। वर्ष 2022 से उन्होंने बिल का भुगतान करना बंद कर दिया था, जिसके चलते यह बड़ी राशि बकाया हो गई थी। नोटिस मिलने के बाद, उन्होंने बिना किसी विलम्ब के पूरी बकाया राशि का भुगतान कर दिया। तेज प्रताप यादव द्वारा बकाया जमा करने के बाद अब बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
विद्युत विभाग के नियमों के अनुसार, किसी भी सामान्य उपभोक्ता पर ₹25 हजार से अधिक का बकाया होने पर उसका बिजली कनेक्शन तुरंत काट दिया जाता है। राज्य भर में लाखों उपभोक्ताओं के कनेक्शन हर वर्ष इसी आधार पर काटे जाते हैं, ताकि राजस्व वसूली सुनिश्चित की जा सके। लेकिन, तेज प्रताप यादव के मामले में, जब बकाया ₹3 लाख 61 हजार तक पहुंच गया, तब भी उनका कनेक्शन नहीं काटा गया। राजनीतिक रसूख वाले व्यक्ति के मामले में नियमों की इस अनदेखी और कथित ढिलाई ने विभाग पर पक्षपात का आरोप लगा दिया है।
आलोचकों का कहना है कि यह मामला स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सामान्य जनता और राजनीतिक हस्तियों के लिए नियम अलग-अलग हैं। विभाग को अब इस बात का स्पष्टीकरण देना होगा कि किन कारणों से नियमों का उल्लंघन करते हुए इतने लम्बे समय तक कनेक्शन चालू रखा गया, जबकि बकाया राशि लगातार बढ़ती रही। यह घटना बिहार के विद्युत विभाग की पारदर्शिता और जवाबदेही पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है।