चारा घोटाले में लालू यादव की और बढ़ेगी मुश्किल! जिस स्कूल में पढ़ती थीं बेटियां, वहीं से मिले थे अहम सबूत
By एस पी सिन्हा | Published: March 27, 2021 03:26 PM2021-03-27T15:26:23+5:302021-03-27T15:29:28+5:30
चारा घाटोला के एक अन्य मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
पटना: संयुक्त बिहार के बहुचर्चित चारा घोटला के चार मामलों में सजायाफ्ता राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर एक अन्य मामले में सजा की तलवार लटकने लगी है.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने यह जानकारी दी है कि किस तरह से चारा घोटाले में पैसे की बंदरबांट की गई थी.
डोरंडा कोषागार से 139.5 करोड की अवैध निकासी के मामले में रांची की सीबीआई की विशेष अदालत में जारी सुनवाई के क्रम में गवाह ने 80-20 में पैसे के बंदरबांट की जानकारी दी है.
इस मामले में वादामाफ गवाह आपूर्तिकर्ता दीपेश चांडक की गवाही का उल्लेख करते हुए घोटाले में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, घोटाले के किंगपिंग पशुपालन विभाग के निदेशक रहे एसबी सिन्हा और आपूर्तिकर्ता मो सईद के आपसी रिश्ते से अदालत को अवगत कराया गया.
बीएमपी सिंह ने दलीलें दी कि चारा घोटाले में आरोपी बनाया गया आपूर्तिकर्ता बिना आपूर्ति किए पैसे उठाता था. बकौल गवाह रांची के बिशप स्कॉट गर्ल्स स्कूल में लालू प्रसाद यादव की 4 बेटियां पढती थीं और यहीं से अहम सबूत सीबीआई को हाथ लगे थे.
चारा घोटाले की जांच के क्रम में इस स्कूल में लालू के राजदारों से जुड़ी पूरी जानकारी सामने आई थी. अभियोजक बीएमपी सिंह ने लालू प्रसाद यादव, चारा घोटाला के किंग पिन क्षेत्रीय निदेशक श्याम बिहारी सिन्हा (अब मृत) व सप्लायर मो सईद की संलिप्तता की जानकारी दी.
उन्होंने बिशप वेस्टकॉट गर्ल्स स्कूल, नामकुम की प्राचार्या एन जैकब की ओर से दिये गये साक्ष्यों को अदालत में पढ़कर सुनाया.
कहा गया कि प्राचार्या द्वारा बताया गया था कि लालू प्रसाद यादव की चार बेटियां बिशप स्कूल में पढती थीं, जिनके स्थानीय अभिभावक के रूप में चारा घोटाले के किंगपिन श्याम बिहारी सिन्हा और बिहार के पूर्व मंत्री, अलकतरा घोटाले के आरोपी इलियास हुसैन के कर्मचारी सूरज का नाम अंकित था. जबकि सूरज कुमार ने बताया था कि उसने ऐसा कोलकाता के आपूर्तिकर्ता मो सईद के कहने पर किया था.
दीपेश चांडक ने कहा है कि सप्लायर घोटाला का 20 प्रतिशत रखकर सारा पैसा श्याम प्रसाद सिन्हा को देते थे. उसमें 30 प्रतिशत राशि एसबी सिन्हा और निदेशक केएम प्रसाद आपस में बांटते थे.
वहीं 30 प्रतिशत राशि आय-व्यय पदाधिकारियों, डॉक्टरों व आय-व्यय ऑफिस में कार्यरत कर्मियों के बीच बांटी जाती थी. पांच-पांच प्रतिशत क्षेत्रीय निदेशक के ऑफिस के कर्मियों के बीच भी बंदरबांट होती थी.
पांच प्रतिशत राशि कोषाध्यक्ष और पदाधिकारियों के बीच भी बांटी जाती थी. यह खेल अनवरत जारी रहा. बता दें कि डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड रुपए अवैध निकासी से जुडे मामले में आगे की बहस की तारीख छह अप्रैल निर्धारित की गयी है. आरसी 47/96 से जुडे इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित 110 आरोपित ट्रायल फेस कर रहे हैं.