लालू यादव ने जमानत अर्जी खारिज होने के बाद जेल से लिखा 3 पन्नों का पत्र, कहा- ' 44 साल में पहला चुनाव है, जिसमें आपके बीच नहीं हूँ'
By पल्लवी कुमारी | Published: April 10, 2019 09:04 PM2019-04-10T21:04:06+5:302019-04-10T21:04:06+5:30
लालू प्रसाद यादव ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांगी थी। जिसे बुधवार 10 अप्रैल को खारिज कर दिया गया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह लालू को जमानत पर रिहा करने की इच्छुक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर कहा, 44 सालों में पहली बार है, जब चुनाव में मैं आपके साथ नहीं हूं। लालू यादव ने लिखा, ''44 वर्षों में पहला चुनाव है जिसमें आपके बीच नहीं हूँ। चुनावी उत्सव में आप सबों के दर्शन नहीं होने का अफ़सोस है। आपकी कमी खली रही है इसलिए जेल से ही आप सबों के नाम पत्र लिखा है। आशा है आप इसे पढ़ियेगा एवं लोकतंत्र और संविधान को बचाइयेगा। जय हिंद, जय भारत।'' लालू यादव ने ट्वीट के साथ तीन पन्नों का पत्र शेयर किया है।
लालू प्रसाद यादव ने पत्र में क्या लिखा
लालू यादव ने लिखा है,
मेरे प्यारे बिहार वासियों,
आप सबको मेरा प्रणाम, नमस्कार, सलाम
''इस वक्त जब बिहार एक नई गाथा लिखने जा रहा है। लोकतंत्र का उत्सव चल रहा है। यहां रांची के अस्पताल में अकेले बैठकर मैं सोच रहा हूं कि क्या विध्वंसकारी शक्तियां मुझे इस तरह कैद कराके बिहार में पिर किसी षड्यंत्र की पठकथा लिखने में सफल हो पाएंगी। मेरे रहते बिहारवासियों के साथ मैं फिर से धोखा नहीं होने दूंगा। मैं कैद में हूं मेरे विचार वहीं। अपने विचारों को आपसे साझा कर रहा हूं, क्योंकि एक दूसरे से विचारों को साझा करके ही हम इन बांटने वाली ताकतो से लड़ सकते हैं। देश में बहुत बार चुनाव हुआ लेकिन इस बार का चुनाव पहले जैसा नहीं है। इस बार चुनाव में सबकुछ दांव पर है. इस बार का चुनाव पहले जैसा नहीं है। देश, समाज, लालू यानी आपका बराबरी से सिर उठाकर चलने का जज्बा देने वाला और आपके हक और इज्जत और गरिमा सब दांव पर है। लड़ाई आर-पार की है। मेरे गले में सरकार और चालबाजों का फंदा फंसा हुआ है। उम्र के साथ शरीर साथ नहीं दे रहा पर आन और आबरू की लड़ाई में लालू की ललकार हमेशा रहेगी।''
यहां पढें पूरा पत्र- 44 वर्षों में पहला चुनाव है जिसमें आपके बीच नहीं हूँ। चुनावी उत्सव में आप सबों के दर्शन नहीं होने का अफ़सोस है। आपकी कमी खली रही है इसलिए जेल से ही आप सबों के नाम पत्र लिखा है। आशा है आप इसे पढ़ियेगा एवं लोकतंत्र और संविधान को बचाइयेगा। जय हिंद, जय भारत। pic.twitter.com/QDAR03adSf
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की लालू की याचिका क्यों की खारिज?
लालू प्रसाद यादव ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांगी थी। जिसे बुधवार 10 अप्रैल को खारिज कर दिया गया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह लालू को जमानत पर रिहा करने की इच्छुक नहीं है। पीठ ने लालू के 24 महीनों से जेल में होने की दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि उन्हें दी गई 14 साल के जेल की सजा की तुलना में 24 महीने कुछ भी नहीं हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, इस समय हम केवल जमानत अपील पर सुनवाई कर रहे हैं। लालू प्रसाद यादव ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते कहा था कि वह मधुमेह, रक्तचाप और कई अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं और उन्हें चारा घोटाले से संबंधित एक मामले में पहले ही जमानत मिल गयी है।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में लालू की जमानत याचिका का किया विरोध
सीबीआई ने लालू की जमानत याचिका का विरोध किया था। सीबीआई ने कहा था कि लालू यादव लोकसभा चुनाव के लिए जमानत मांग रहे हैं। सीबीआई ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में लालू की जमानत याचिका का जोरदार विरोध करते हुए कहा था कि आगामी लोकसभा चुनाव में राजनीतिक गतिविधियां शुरू करने के लिए बीमार नेता ने अचानक से 'पूरी तरह से फिट' होने का दावा किया है। जेल की जगह पिछले आठ महीनों से अस्पताल में भर्ती लालू ने मेडिकल आधार पर और साथ ही अपनी पार्टी का नेतृत्व करने के लिये जमानत की मांग की थी।
राजद सुप्रीमो को झारखण्ड में स्थित देवघर, दुमका और चाईबासा के दो कोषागार से धोखे से धन निकालने के अपराध में दोषी ठहराया गया है। इस समय उन पर दोरंडा कोषागार से धन निकाले जाने से संबंधित मामले में मुकदमा चल रहा है। वह पिछले कुछ महीने से रांची के राजेन्द्र चिकित्सा विज्ञान संस्थान (रिम्स) में उपचाराधीन हैं।