LAC पर लाखों सैनिक आमने-सामने, फिर भी लद्दाख प्रशासन ने मोल लिया यह खतरा
By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 13, 2021 04:12 PM2021-01-13T16:12:59+5:302021-01-13T16:29:53+5:30
सर्दियों में पूरी तरह से जम चुकी और गर्मियों में दिन में कई बार रंग बदलने वाले खारे पानी वाली पैंगांग झील 150 किमी लंबी और 7 से 12 किमी चौड़ी है और इसका 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा चीनी कब्जे में है।
जम्मू, 13 जनवरी। माइन्स 35 डिग्री तापमान। समुद्रतल से ऊंचाई करीब 15 हजार फुट। बर्फीली हवाएं ऐसे चल रही हैं जैसे अभी वहां खड़े व्यक्ति को टुकड़ों में काट देंगी। ऐसे माहौल में रोमांच में विश्वास रखने वाले पर्यटक तो जा सकते हैं लेकिन ऐसे माहौल में अगर दो देशों की सेनाएं आमने सामने एक दूसरे पर हमला बोलने की पोजिशन में हों तो क्या पर्यटन का आनंद लिया जा सकता है?
इसके प्रति शासद लद्दाख प्रशासन ने नहीं सोचा होगा जिसने उस पैंगांग झील तक पर्यटकों को जाने की अनुमति प्रदान कर दी है जिसके दोनों किनारों पर कई किमी तक हिन्दुस्तानी और चीनी फौज के करीब दो लाख सैनिक आमने सामने हैं। सिर्फ सैनिक ही नहीं बल्कि दोनों ओर से एक दूसरे पर टूट पड़ने के इरादों से तोपखाने व टैंक भी गरज रहे हैं।
तोपखानें और टैंक एक दूसरे पर गोले तो नहीं बरसा रहे पर उन्हें माइन्स 35 डिग्री तापमान में गर्म रखने की खातिर उनका लाइव अभ्यास जारी है। और ऐसे माहौल में लद्दाख यूटी प्रशासन ने टूरिस्टों को पैंगांग झील का नजारा लेने का न्यौता दिया है। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो जंग का मैदान बन चुकी पैंगांग झील में ‘मौत का सामना’ करने का न्यौता दिया गया है।
हालांकि लेह के अतिरिक्त उपायुक्त सोनम चाओस ऐसा नहीं मानते। उन्होंने ही 10 जनवरी से इस अनुमति को प्रदान करने का आदेश निकाला था। वे कहते थे कि माना कि दोनों सेनाएं आमने सामने हैं पर कोई जंग नहीं हो रही है। दरअसल पिछले 10 महीनों से, चीनी सेना की बढ़त से दो माह पहले से ही कोरोना के कारण पैंगांग झील में पर्यटकों की आवाजाही रोक दी गई थी।