सर्दी ही नहीं संपूर्ण मौसम चक्र बदलाव के दौर में है: डॉक्टर कुलदीप श्रीवास्तव

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 1, 2019 12:42 PM2019-12-01T12:42:59+5:302019-12-01T12:42:59+5:30

वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक और मौसम विभाग की उत्तर क्षेत्रीय पूर्वानुमान इकाई के प्रमुख डा कुलदीप श्रीवास्तव, सर्दी में साल दर साल कमी को ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम मानते हुये कहते हैं कि इस बदलाव के दायरे में सिर्फ सर्दी ही नहीं बल्कि समूचा मौसम चक्र है। मौसम चक्र में बदलाव और प्रभाव पर डा. श्रीवास्तव से भाषा के पांच सवाल और उनके सवाल-जवाब मौसम विभाग ने इस साल भी अपेक्षाकृत कम सर्दी होने का अनुमान व्यक्त किया है।

Kuldeep Srivastava says that weather circle is totally change now | सर्दी ही नहीं संपूर्ण मौसम चक्र बदलाव के दौर में है: डॉक्टर कुलदीप श्रीवास्तव

पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता में इजाफा होना है। गत जनवरी फरवरी में पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा आये, अभी नवंबर में ही अब तक चार पश्चिमी विक्षोभ आ चुके हैं।

Highlightsउत्तर पश्चिमी क्षेत्र का औसत तापमान 1.5 डिग्री बढ़ा है, इसके मद्देनजर अगले 50 सालों में तापमान बढ़ोतरी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता में इजाफा होना है। गत जनवरी फरवरी में पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा आये, अभी नवंबर में ही अब तक चार पश्चिमी विक्षोभ आ चुके हैं।

 मौसम विभाग ने इस साल सर्दी में मामूली कमी का पूर्वानुमान व्यक्त कर जलवायु परिवर्तन की आसन्न चुनौती की चिंता को बढ़ा दिया है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक और मौसम विभाग की उत्तर क्षेत्रीय पूर्वानुमान इकाई के प्रमुख डा कुलदीप श्रीवास्तव, सर्दी में साल दर साल कमी को ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम मानते हुये कहते हैं कि इस बदलाव के दायरे में सिर्फ सर्दी ही नहीं बल्कि समूचा मौसम चक्र है।

मौसम चक्र में बदलाव और प्रभाव पर डा. श्रीवास्तव से भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब। सवाल: मौसम विभाग ने इस साल भी अपेक्षाकृत कम सर्दी होने का अनुमान व्यक्त किया है। साल दर साल सर्दी के कम होने की वजह और संभावित प्रभाव क्या हैं? जवाब: इस साल पूरे देश में सर्दी के दौरान सामान्य तापमान में आधा डिग्री के इजाफे का अनुमान है। अगर इसे क्षेत्रीय स्तर पर देंखें तो उत्तर और उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों का सर्दी में तापमान सामान्य रहेगा, लेकिन दक्षिणी क्षेत्र में औसत तापमान बढ़ने की संभावना थोड़ी असामान्य बात है।

पिछले दो सालों में मौसम की गतिविधियों को देखते हुये इसकी तात्कालिक वजह पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता में इजाफा होना है। गत जनवरी फरवरी में पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा आये, अभी नवंबर में ही अब तक चार पश्चिमी विक्षोभ आ चुके हैं। कम समय के अंतराल पर बार बार पश्चिमी विक्षोभ के आने के कारण न्यूनतम तापमान में गिरावट नहीं हो पाती है। इस वजह से शीत लहर की स्थिति नहीं बन पाने के कारण सर्दी जोर नहीं पकड़ पाती है। जहां तक इसके प्रभाव की बात है तो स्पष्ट है कि सर्दी कम होने से वर्षा चक्र पर असर पड़ता है और गर्मी भी बढ़ती है। इस प्रकार समूचा मौसम चक्र प्रभावित होता है।

सवाल: क्या इसे ग्लोबल वार्मिंग के संभावित प्रभावों का भी हिस्सा माना जाये? जवाब: बेशक !

इसे ग्लोबल वार्मिंग से अलग करके नहीं देखा जा सकता है। यह ग्लोबल वार्मिंग के दीर्घकालिक परिणाम के दायरे में आयेगा, जिसकी एक वजह जलवायु परिवर्तन की आसन्न चुनौती भी है। मौसम संबंधी गतिविधियों के दीर्घकालिक विश्लेषण से पहले ही जाहिर हो गया है कि पिछले 50 सालों में उत्तर पश्चिम भारत में औसत तापमान 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ा है।

इसका असर सर्दी के मौसम की तीव्रता पर पड़ना स्वाभाविक है। सवाल: मौसम चक्र में बदलाव की तात्कालिक वजह बने पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता में बढ़ोतरी का क्या कारण है? जवाब: समग्र रूप में देखें तो धरती के प्राकृतिक संतुलन को कायम रखने वाले कारकों में बदलाव का असर मौसम की गतिविधियों पर सबसे पहले पड़ता है। प्राकृतिक संतुलन के कारकों में पर्यावरण संतुलन प्रमुख है। यह संतुलन बिगड़ने का पहला प्रभाव धरती के मौसम चक्र को निर्धारित करने वाली हवाओं के परिसंचरण तंत्र पर पड़ता है। इसे मौसम विज्ञान की भाषा में विक्षोभ कहते हैं। प्राकृतिक असंतुलन बढ़ने के कारण विक्षोभ की तीव्रता बढ़ती है जिसकी वजह से क्षेत्र विशेष का मौसम चक्र प्रभावित होता है। इसका वैश्विक प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के रूप में दिख रहा है। सवाल: पिछले कुछ सालों से लगातार सर्दी का कम होना जलवायु परिवर्तन के लिहाज से किस प्रकार के संकेत देता है? जवाब: जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि पिछले 50 सालों में उत्तर पश्चिमी क्षेत्र का औसत तापमान 1.5 डिग्री बढ़ा है, इसके मद्देनजर अगले 50 सालों में तापमान बढ़ोतरी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

मौसम की मौजूदा गतिविधियों को देखते हुये तापमान में इजाफे का संकेत साफ है। हां, यह जरूर है कि तापमान कितना बढ़ेगा, इसका सटीक अनुमान अभी नहीं लगाया जा सकता है। यह भविष्य की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। अगर प्राकृतिक संतुलन की बाधाओं को दूर करने के कारगर उपाय समय रहते कर लिये जायें, तो स्थिति अनुकूल रूप से बदल भी सकती है। सवाल: जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के तात्कालिक कारगर उपाय क्या हो सकते हैं? जवाब: ग्लोबल वार्मिग और जलवायु परिवर्तन की चुनौती की एकमात्र तात्कालिक वजह इंसानी गतिविधियों के कारण कार्बन उत्सर्जन की अधिकता है।

इसका सीधा असर प्राकृतिक असंतुलन के रूप में सामने आया है। प्रकृति का संतुलन, जल, जंगल, जमीन, पर्वत और पठार जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर टिका है। कार्बन की मात्रा को संतुलित करने वाले इन संसाधनों के अविवेकपूर्ण और अनियंत्रित दोहन ने प्राकृतिक असंतुलन पैदा किया। स्पष्ट है कि प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण ही इस चुनौती से निपटने का एकमात्र तात्कालिक और दीर्घकालिक उपाय है।

Web Title: Kuldeep Srivastava says that weather circle is totally change now

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