कलम का संघर्षः लोकल के साथ ग्लोबल मुद्दा उठाकर जीता प्रतिष्ठित पुरस्कार, जानिए कृतिका पांडे के बारे में

By भाषा | Published: July 10, 2020 02:43 PM2020-07-10T14:43:57+5:302020-07-10T14:43:57+5:30

एक महीने बाद ओवरऑल विजेता के नाम की घोषणा की गई और कृतिका पांडे की साढ़े तीन हजार शब्दों की कहानी ‘द ग्रेट इंडियन टी एंड स्नैक्स’ सवा दो अरब की आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रमंडल देशों में अव्वल रही। कृतिका ने अपनी कहानी में दो अलग धर्म के किरदारों के बीच प्रेम संबंधों को दर्शाया है।

Kritika Pandey Ranchi Jharkhand winner of the 2020 Commonwealth Short Story Prize story The Great Indian Tee and Snakes | कलम का संघर्षः लोकल के साथ ग्लोबल मुद्दा उठाकर जीता प्रतिष्ठित पुरस्कार, जानिए कृतिका पांडे के बारे में

इस वर्ष 49 राष्ट्रमंडल देशों के 5,107 प्रतिभागियों ने अपनी लघुकथाओं को इस कार्यक्रम के लिए भेजा। (file photo)

Highlightsराष्ट्रमंडल फाउंडेशन द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के तौर पर हर वर्ष लघु कथा लेखकों को पुरस्कृत किया जाता है और इसके लिए दुनियाभर से प्रविष्टियां आमंत्रित की जाती हैं।रांची की 29 वर्षीय कृतिका पांडे की एक छोटी सी कहानी ने उसे लोकल से ग्लोबल बना दिया और इंजीनियरिंग छोड़कर कलम थामने के उसके फैसले को सही साबित कर दिया। दो जून को पांच क्षेत्रीय विजेताओं का नाम घोषित किया गया, जिसमें भारत की कृतिका पांडे को एशिया का क्षेत्रीय पुरस्कार दिया गया।

नई दिल्लीः वह एक महीना पहले राष्ट्रमंडल लघुकथा पुरस्कार के क्षेत्रीय वर्ग में एशिया का खिताब जीतकर बहुत खुश थी, लेकिन उसका और उसकी कलम का संघर्ष कुछ बेहतर का हकदार था।

रांची की 29 वर्षीय कृतिका पांडे की एक छोटी सी कहानी ने उसे लोकल से ग्लोबल बना दिया और इंजीनियरिंग छोड़कर कलम थामने के उसके फैसले को सही साबित कर दिया। राष्ट्रमंडल फाउंडेशन द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के तौर पर हर वर्ष लघु कथा लेखकों को पुरस्कृत किया जाता है और इसके लिए दुनियाभर से प्रविष्टियां आमंत्रित की जाती हैं।

इस वर्ष 49 राष्ट्रमंडल देशों के 5,107 प्रतिभागियों ने अपनी लघुकथाओं को इस कार्यक्रम के लिए भेजा। दो जून को पांच क्षेत्रीय विजेताओं का नाम घोषित किया गया, जिसमें भारत की कृतिका पांडे को एशिया का क्षेत्रीय पुरस्कार दिया गया।

कृतिका पांडे की साढ़े तीन हजार शब्दों की कहानी ‘द ग्रेट इंडियन टी एंड स्नैक्स’

तकरीबन एक महीने बाद ओवरऑल विजेता के नाम की घोषणा की गई और कृतिका पांडे की साढ़े तीन हजार शब्दों की कहानी ‘द ग्रेट इंडियन टी एंड स्नैक्स’ सवा दो अरब की आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रमंडल देशों में अव्वल रही। कृतिका ने अपनी कहानी में दो अलग धर्म के किरदारों के बीच प्रेम संबंधों को दर्शाया है।

कहानी में लड़की और लड़के को कोई नाम दिए बिना वह लड़की के माथे पर बिंदी और लड़के के सिर पर गोल टोपी को उनकी पहचान बनाती हैं। लड़की अपने पिता की चाय की दुकान पर उनका हाथ बंटाती है, जहां लड़का कीमा समोसा खाने आता है। कृतिका ने बहुत छोटी-छोटी घटनाओं के साथ इस चाय की दुकान के आसपास अपनी कहानी का ताना-बाना बुना है।

कहानी की पृष्ठभूमि भले ही झारखंड की है, लेकिन कृतिका बड़े मासूम ढंग से देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के आज के हालात की दुखद स्थिति बयां करती हैं। यह प्रेम कहानी होते हुए भी सिर्फ प्रेम कहानी नहीं है। उनका कहना है कि लेखन उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था।

लड़कियों को एक उम्र के बाद अपने माता-पिता की बात मानकर शादी कर लेनी चाहिए

रांची के किसी मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा होने वाली लड़कियों को एक उम्र के बाद अपने माता-पिता की बात मानकर शादी कर लेनी चाहिए, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाईं और उन्हें एक अर्से तक इस बात का मलाल रहा कि वह एक ‘अच्छी बेटी’ नहीं हैं, लेकिन यह पुरस्कार मिलने के बाद उन्हें अपने फैसले पर अब कोई मलाल नहीं है।

उनकी पुरस्कार विजेता कहानी को अन्तरराष्ट्रीय साहित्यिक पत्रिका ‘ग्रांटा’ में प्रकाशित किया जाएगा। रांची के लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद एसडी जैन मॉडर्न स्कूल और डीपीएस रांची से पढ़ाई करने के बाद कृतिका ने परिवार के दबाव में मेसरा के बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की। उनका कहना है कि स्कूल में टॉप करने के बाद वह अपने पिता को समझा ही नहीं पाईं कि वह साहित्य के क्षेत्र में कुछ करना चाहती हैं।

उस समय उनके पास परिवार की बात मान लेने के अलावा कोई चारा भी नहीं था, लेकिन उसके बाद उनके पंख खुलने लगे और उनकी कलम की उड़ान उन्हें सात समंदर पार ले गई। वर्ष 2014 में उन्हें एडिनबरा यूनिवर्सिटी में रचनात्मक लेखन के लिए चार्ल्स वॉलेस इंडिया ट्रस्ट की स्कॉलरशिप मिली। 2018 में उन्हें हार्वे स्वडोस फिक्शन पुरस्कार और कारा परावानी मेमोरियल अवार्ड के लिए चुना गया।

2020 में उन्होंने जेम्स डब्ल्यू फोले मेमोरियल अवार्ड जीतने के साथ ही एलिजाबेथ जॉर्ज फाउंडेशन अनुदान हासिल किया। इससे पहले उन्हें दो बार राष्ट्रमंडल लघु कथा लेखन पुरस्कार के लिए नामित किया जा चुका है और एक बार वह पुशकार्ट पुरस्कार के लिए भी नामित हो चुकी हैं।

अमेरिका के एम्हर्स्ट में मैसाच्यूसेट्स यूनिवर्सिटी में मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स में अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही कृतिका को लगता है कि इस पुरस्कार के मिलने से एक लेखक के तौर पर उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। वह ऐसे लोगों के लिए लिखते रहना चाहती हैं, जिनकी आवाज को दबाया जाता रहा है।

Web Title: Kritika Pandey Ranchi Jharkhand winner of the 2020 Commonwealth Short Story Prize story The Great Indian Tee and Snakes

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे