कोविड-19 ने रोकी इंदौर के हिंदू परिवार द्वारा शहर काजी को बग्घी से ईदगाह ले जाने की रिवायत
By भाषा | Published: July 21, 2021 07:19 PM2021-07-21T19:19:33+5:302021-07-21T19:19:33+5:30
इंदौर (मध्य प्रदेश), 21 जुलाई कोविड-19 के प्रकोप ने इंदौर में सांप्रदायिक सद्भाव की एक अनूठी परंपरा रोक रखी है। कोई 50 साल पुरानी इस परंपरा के तहत एक हिंदू परिवार हर बार ईद के मौके पर शहर काजी को उनके घर से पूरे सम्मान के साथ बग्घी पर बैठाकर ईदगाह ले जाता और वापस छोड़ता रहा है।
गंगा-जमुनी तहजीब की यह परंपरा निभा रहे परिवार के सदस्य सत्यनारायण सलवाड़िया (55) ने बुधवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया, "मेरे पिता रामचंद्र सलवाड़िया ने शहर काजी को उनके घर से बग्घी में बैठाकर ईदगाह ले जाने और नमाज के बाद उन्हें वापस घर छोड़ने की परम्परा करीब 50 साल तक निभाई।"
उन्होंने बताया, "2017 में मेरे पिता के निधन के बाद यह परंपरा मैं निभाने लगा। हालांकि, महामारी की बंदिशों के कारण हम पिछली तीन ईद से शहर काजी को उनके घर से बग्घी में बैठाकर ईदगाह ले जाने और नमाज के बाद वापस घर छोड़ने की परंपरा नहीं निभा पा रहे हैं।"
बहरहाल, सलवाड़िया ने बताया कि उन्होंने ईद के मौके पर शहर काजी के घर जाकर उन्हें इस त्योहार की मुबारकबाद देने का सिलसिला बरकरार रखा है।
सलवाड़िया ने बुधवार को ईद-उल-अजहा (बकरीद) पर मौजूदा शहर काजी इशरत अली के घर जाकर उनका सम्मान किया।
इस मौके पर शहर काजी ने ईद के त्योहार से जुड़ी सलवाड़िया परिवार की परंपरा का जिक्र करते हुए कहा, "आपको पूरी दुनिया में कौमी भाईचारे और सद्भाव की ऐसी अनूठी रिवायत कहीं नहीं मिलेगी। अली ने कहा, "भारत की जमीनी हकीकत यही है कि हम सब एक हैं।
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