कोविड-19 : जेलों में भीड़ कम करने के लिये न्यायालय ने कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया

By भाषा | Published: May 8, 2021 05:51 PM2021-05-08T17:51:33+5:302021-05-08T17:51:33+5:30

Kovid-19: Court ordered release of prisoners to reduce congestion in jails | कोविड-19 : जेलों में भीड़ कम करने के लिये न्यायालय ने कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया

कोविड-19 : जेलों में भीड़ कम करने के लिये न्यायालय ने कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया

नयी दिल्ली, आठ मई देश में कोविड-19 के मामलों में “अभूतपूर्व वृद्धि” पर संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को जेलों में भीड़ कम करने का निर्देश देते हुए कहा कि जिन कैदियों को पिछले साल महामारी के मद्देनजर जमानत या पैरोल दी गई थी उन सभी को फिर वह सुविधा दी जाए।

देश की जेलों में बंद करीब चार लाख कैदियों और उनकी निगरानी के लिये तैनात पुलिस कर्मियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की एक पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बनाई गई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा पिछले साल मार्च में जिन कैदियों को जमानत की मंजूरी दी गई थी, उन सभी को समितियों द्वारा पुनर्विचार के बगैर पुन: वह राहत दी जाए, जिससे विलंब से बचा जा सके।

उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर शनिवार को अपलोड हुए आदेश में कहा गया, “इसके अलावा हम निर्देश देते हैं कि जिन कैदियों को हमारे पूर्व के आदेशों पर पैरोल दी गई थी उन्हें भी महामारी पर लगाम लगाने की कोशिश के तहत फिर से 90 दिनों की अवधि के लिये पैरोल दी जाए।”

पीठ ने कहा कि क्षमता से ज्यादा भरी जेलों में कोविड-19 के प्रसार को लेकर गंभीर चिंता है जहां उचित साफ-सफाई, स्वच्छता और चिकित्सा सुविधाओं का आभाव है।

पीठ ने कहा, “इस जानलेवा वायरस को हराने के लिये जेल की चारदीवारी के अंदर महामारी के प्रभावी प्रबंधन की जरूरत है।”

उच्चतम न्यायालय ने अपने 23 मार्च 2020 के आदेश का संज्ञान लिया जिसमें उसने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कैदियों को परोल और अंतरिम जमानत पर रिहा करने पर विचार के लिये उच्चाधिकार समिति गठित करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही न्यायालय ने उन विचाराधीन कैदियों को भी परोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने को कहा था जिनमें अपराध की अधिकतम सजा सात वर्ष कैद तक है।

अदालत ने राज्यों को निर्देश दिया था कि समिति में राज्य विधिक सेवा समिति, प्रमुख सचिव (गृह/कारागार), महानिदेशक कारागार को शामिल किया जाए जो यह निर्धारित करेगी कि किन श्रेणी के कैदियों को परोल या अंतरिम जमानत पर उस अवधि तक के लिये रिहा किया जा सकता है जो उन्हें उचित लगे।

पीठ की तरफ से आदेश लिखते हुए प्रधान न्यायाधीश रमण ने कहा, “क्षमता से ज्यादा भरी जेलों में कैदियों के बीच तेजी से फैलता वायरस गंभीर चिंता का विषय है।”

आदेश में कहा गया कि सभी उच्चाधिकार प्राप्त समितियों को पिछले साल उनके द्वारा अपनाए गए दिशानिर्देशों को अपनाते हुए यथाशीघ्र कैदियों की रिहाई पर विचार करना चाहिए। जिन राज्यों ने पिछले साल समिति का गठन नहीं किया था उन्हें तत्काल ऐसा करने का निर्देश दिया जाता है। आदेश में कहा गया कि दिल्ली के पुलिस आयुक्त भी दिल्ली की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के एक सदस्य होने चाहिए।

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Web Title: Kovid-19: Court ordered release of prisoners to reduce congestion in jails

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