कोलकाता में कोविड से ठीक हो रहे मरीजों की जा रही आवाज! क्या है कारण, जानें डॉक्टरों ने क्या कहा?
By विनीत कुमार | Published: September 27, 2021 11:28 AM2021-09-27T11:28:13+5:302021-09-27T12:02:18+5:30
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में कुछ ऐसे मामले आए हैं, जहां कोविड से ठीक हो रहे मरीज अपनी आवाज खोने की शिकायत कर रहे हैं। जानकारों ने इसे चिंताजनक नहीं बताया है।
कोलकाता: भारत में कोरोना के कम होते केस के बीच पश्चिम बंगाल की राजधानी में इस महामारी से जुड़े कुछ हैरान करने वाले मामले सामने आए हैं। दरअसल, शहर में कोरोना से ठीक हो रहे कई लोगों ने अपनी आवाज खोने की शिकायत की है।
इसे लेकर कई मरीज घबराए भी हुए हैं। हालांकि डॉक्टरों ने कहा है कि कोविड के मामलों के बाद ऐसा हो सकता है। ऐसा लैरिंक्स (कंठ) संक्रमण के कारण हो रहा है और ये ठीक हो जाता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसी हालत कई लोगों के कोविड संक्रमण में फेफड़े के प्रभावित होने के कारण होता है। इसे 'लंग्स फाइब्रोसिस' कहते हैं। ऐसे मामलों में कुछ हफ्तों के लिए आवाज जा सकती है। इसका सीधा कारण कोविड नहीं है बल्कि यह कोरोना की वजह से हुए लैरिंक्स संक्रमण के कारण होता है।
सीएमआरआई अस्पताल के पल्मोनोलॉजी विभाग के निदेशक राजा धर ने कहा, 'कोविड की वजह से हुआ लंग फाइब्रोसिस आवाज के नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, कुछ लोग गले में संक्रमण से पीड़ित हैं और ये उनकी आवाज को प्रभावित कर रहा है। लेकिन इससे कोई दीर्घकालिक नुकसान होने की संभावना नहीं है।'
बॉलीवुड की बड़ी हस्ती बप्पी लाहिड़ी की भी अप्रैल में कोविड के बाद आवाज कुछ समय के लिए खो गई थी।
कोविड के बाद तीन महीने तक रह सकता है गले पर असर
विशेषज्ञों के अनुसार कोविड संक्रमण के पहले और तीसरे सप्ताह के बीच कई बार वायरस ऊपरी श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है और तीन महीने तक बना रह सकता है। वैसे, इसमें अभी तक किसी के पूरी तरह से आवाज खोने के मामले सामने नहीं आए हैं।
आरएन टैगोर इंटरनेशनल इंस्टट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेस (RTIICS) के सौरेन पांजा ने कहा, 'ऐसे मामले मरीजों और उनके परिवारों के बीच दहशत जरूर पैदा करता है। इसने प्रभावित रोगी अवसाद में भी आ जाते हैं और कुछ के लिए काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है।'
पांजा के अनुसार कोविड के बाद अचानक आवाज कम होने के पीछे एक और कारण फेफड़ों में संक्रमण भी है। उन्होंने कहा, 'फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है, इसलिए बोलने में काफी मेहनत लगती है और आवाज धीमी हो जाती है। कभी-कभी इन रोगियों को बोलने में काफी कठिनाई होती है और ऐसे में हम उन्हें सलाह देते हैं कि बोलते समय वे ब्रेक लें। समय के साथ इसमें सुधार होता है क्योंकि संक्रमण ठीक होता चला जाता है।'