यहां घुमंतू खानाबदोश कुररियाड समाज की अपनी है अलग अदालत, ऐसे दी जाती है दोषियों को सजा

By एस पी सिन्हा | Published: July 23, 2019 07:15 PM2019-07-23T19:15:43+5:302019-07-23T19:15:43+5:30

घुमंतू खानाबदोश कुररियाड महासंघ की साल में एक बार पांच दिनों के लिए गोवर्धन अदालत लगती है, जहां इस समुदाय में अपने कानून और अपनी न्यायिक प्रक्रिया के तहत गुनाहगारों को सजा दी जाती है जो अपने आप में अनोखी होती है.

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यहां घुमंतू खानाबदोश कुररियाड समाज की अपनी है अलग अदालत, ऐसे दी जाती है दोषियों को सजा

Highlightsबिहार के समस्तीपुर जिले में घुमंतू खानाबदोश कुररियाड महासंघ की पंचायत इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. इस पंचायत (निजी अदालत) में इस समुदाय के निजी कानून और न्यायिक प्रक्रिया के तहत दोषियों को सजा दी गई. विधि विधान के साथ कुलदेवता की पूजा के साथ न्याय के प्रतीक खंभे को गड्ढा खोदकर खड़ा किया जाता है. एक बड़ा गोलाकार चिह्न बनाकर लोग इसके चारों ओर बैठ जाते हैं.

बिहार के समस्तीपुर जिले में घुमंतू खानाबदोश कुररियाड महासंघ की पंचायत इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. इस पंचायत (निजी अदालत) में इस समुदाय के निजी कानून और न्यायिक प्रक्रिया के तहत दोषियों को सजा दी गई. 

जिले में घुमंतू खानाबदोश कुररियाड महासंघ की साल में एक बार पांच दिनों के लिए गोवर्धन अदालत लगती है, जहां इस समुदाय में अपने कानून और अपनी न्यायिक प्रक्रिया के तहत गुनाहगारों को सजा दी जाती है जो अपने आप में अनोखी होती है. समाज के सभी लोग अपने सभी विवाद निपटाते हैं. ये लोग न थाने जाते हैं और न कचहरी.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, विधि विधान के साथ कुलदेवता की पूजा के साथ न्याय के प्रतीक खंभे को गड्ढा खोदकर खड़ा किया जाता है. एक बड़ा गोलाकार चिह्न बनाकर लोग इसके चारों ओर बैठ जाते हैं. इसमें हत्या और घरेलू विवाद से जुड़े चार केस में सुनवाई की गई. इनमें खंभे से बांधने, उल्टा कर खंभे से लटकाने और महिलाओं के सिर के बाल कटाने तक की सजा दी गई. लाखों में आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया. 

गोवर्धन अदालत के 32 तथा कासमा और मिरदाहा के आठ-आठ जज सिर पर सफेद पगड़ी बांधकर मामले की सुनवाई कर रहे थे. इस समाज के परंपरागत रीति रिवाज और कानून के आधार पर मामले की सुनवाई करते हुए दोषियों को सजा दी गई. 

सूत्रों का कहना है कि इस पंचायत में न्यायाधीश और पुलिस भी समाज के ही लोग होते हैं तथा दोषी भी समाज के ही लोग होते हैं. यही कारण है कि इस अदालत की शिकायत पुलिस तक नहीं पहुंच पाती है. 

बताया जाता है कि गोवर्धन अदालत में जज का फैसला सर्वमान्य होता है. इसके बाद किसी दूसरी अदालत में मामले की अपील नहीं की जाती है. खास बात यह है कि किसी महिला द्वारा पति को छोड़कर किसी दूसरे पुरुष से अनैतिक संबंध बनाने पर उसके पति या अभिभावक को भी सजा दी जाती है. 

जघन्य अपराध करने वालों को समाज से वंचित कर दिया जाता है. गोवर्धन अदालत में राज्य के विभिन्न जिलों से लगभग 25 हजार लोग शामिल हुए. मौके पर काफी संख्या में स्थानीय लोग भी मौजूद रहे.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, गोवर्धन अदालत में जज ने हत्या के प्रयास और दुष्कर्म समेत विभिन्न मामलों की सुनवाई करते हुए सात दोषियों को शारीरिक और आर्थिक सजा दी. अदालत के बीच न्याय के खंभे से बांधकर दोषियों के चेहरे पर कालिख और चूना लगाया गया. 

वहीं, सरायरंजन प्रखंड के रामचंद्रपुर निवासी मिथुन कुरेरी को भाई की हत्या के प्रयास के फलस्वरूप 51 हजार रुपये आर्थिक दंड के साथ खंभे से बांधकर चेहरे पर कालिख और चूना लगाया गया. जबकि दलसिंहसराय के एक व्यक्ति की पत्नी को दूसरे से अनैतिक संबंध बनाने के कारण खंभे से बांधकर चेहरे पर कालिख और चूना लगाया गया. इतना ही नहीं सिर के बाल काट दिए गए. 

इसके साथ ही ढाई लाख रुपये अर्थदंड की सजा दी गई. वहीं, दरभंगा जिले के सोनखी निवासी एक जोड़े को अनैतिक संबंध बनाने व सोशल मीडिया पर वायरल करने के मामले में चेहरे पर कालिख लगाकर सिर के बाल काटने के साथ चार लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई. 
हसनपुर दुधपुरा निवासी एक युवक तथा उसकी माता को वेश्यावृति में संलिप्त रहने के आरोप में चेहरे पर कालिख और चूना लगाकर सिर के बाल काटने का आदेश दिया गया. साथ ही 1 लाख 51 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई. 

बताया जाता है कि मुगलकाल से ही इस समाज की न्यायिक व्यवस्था और कार्यप्रणाली सरकार की विधि व्यवस्था और कानून से अलग है. इस समाज के लोगों का कहना है कि वे अपनी समस्याओं और विभिन्न मामलों को लेकर पुलिस या कोर्ट कचहरी का चक्कर नहीं लगाते. 

यहां समाजिक स्तर पर पारंपरिक न्याय व्यवस्था और कानून के आधार पर मामले की सुनवाई होती है. गोवर्धन अदालत इस समाज का सर्वोच्च न्यायालय है. इसके बाद किसी दूसरे न्यायालय में मामले की अपील नहीं होती. जज का फैसला सर्वमान्य है. इसे लोग स्वीकार करते हैं. 

महासंघ के अध्यक्ष कमल कुरेडी ने कहा कि हमलोग भारतीय संविधान और मानवाधिकार का सम्मान करते हैं. समाज द्वारा यह परंपरा मुगलकाल से ही चली आ रही है. करोडी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमल करोडी ने बताया कि वे कानून की इज्जत करते हैं. पंचायत में मानवाधिकार का हनन नहीं होता है. समाज के लोग आपस में बैठक कर सामने आने वाले मामलों को अपने स्तर पर समाधान खोज लेते हैं.

Web Title: know about ghumantu khanabadosh samaj, who has independent court

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