केरल की वामपंथी नेता के आर गौरी अम्मा का निधन

By भाषा | Published: May 11, 2021 06:52 PM2021-05-11T18:52:02+5:302021-05-11T18:52:02+5:30

Kerala's leftist leader KR Gowri Amma passes away | केरल की वामपंथी नेता के आर गौरी अम्मा का निधन

केरल की वामपंथी नेता के आर गौरी अम्मा का निधन

तिरुवनंतपुरम, 11 मई केरल की वयोवृद्ध नेता एवं 1957 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ई. एम. एस. नंबूदरीपाद के नेतृत्व वाली पहली कम्युनिस्ट सरकार की सदस्य रहीं के आर गौरी अम्मा का मंगलवार को निधन हो गया।

वह 102 वर्ष की थीं। वह उम्र संबंधी बीमारियों के कारण एक निजी अस्पताल में भर्ती थीं।

अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि गौरी अम्मा ने मंगलवार को सुबह सात बजे आईसीयू में अंतिम सांस ली।

अम्मा के पार्थिव शरीर को कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए श्रद्धांजलि देने के वास्ते कुछ देर के लिये यहां अय्यानकाली हॉल में रखा गया।

राज्यापाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन समेत विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने अम्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके गृह जिले अलप्पुझा ले जाया गया और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

केरल की सबसे शक्तिशाली महिला नेताओं में से एक मानी जाने वाली गौरी अम्मा पहली केरल विधानसभा की एकमात्र जीवित सदस्य थीं।

1994 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से निष्कासित किए जाने के बाद गौरी अम्मा ने अपने दल जनाधिपत्य संरक्षण समिति (जेएसएस) का गठन किया, जो राज्य में कांग्रेस नीत यूडीएफ का घटक बना।

उनका विवाह टी वी थॉमस से हुआ था, जो उनके कैबिनेट सहयोगी भी रहे थे। थॉमस का 1977 में निधन हो गया था।

नंबूदरीपाद मंत्रालय में राजस्व मंत्री रहीं गौरी अम्मा को क्रांतिकारी कृषि संबंधी विधेयक लाने में अहम भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है, जिसके तहत किसी परिवार के पास जमीन की सीमा तय की गई है। इसी के कारण अतिरिक्त जमीन पर अपना दावा पेश करने का भूमि रहित किसानों के लिए मार्ग प्रशस्त हो सका।

1964 में कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन के बाद, गौरी अम्मा माकपा में शामिल हुईं, जबकि उनके पति भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) में रहे।

गौरी अम्मा का जन्म तटीय अलप्पुझा के पट्टनक्कड़ गांव में 14 जुलाई, 1919 को के ए रमनन और पार्वती अम्मा के घर हुआ था। युवावस्था से ही उनकी राजनीति में रुचि थी।

वह 1948 में कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुईं और इसी साल जेल गईं। बेबाकी से अपने विचार रखने वाली गौरी अम्मा 1952 और 1954 में त्रावणकोर-कोच्चि विधानसभा सीट से चुनी गई थीं।

राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अलावा विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

राज्यपाल खान ने अपने शोक संदेश में कहा कि गौरी अम्मा अपने असाधारण साहस और प्रेरणास्रोत नेतृत्व के दम पर महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन प्रतीक रहीं।

उन्होंने कहा, ''के आर गौरी ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिये संघर्ष किया। केरल में भूमि सुधारों तथा औद्योगिक विकास में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनकी आत्मा को मुक्ति मिले।''

विजयन ने कहा, '' केरल उन्हें सदैव साहस के प्रतीक के रूप में देखता रहा है...वह ऐसी व्यक्ति थीं, जिन्होंने संघर्ष के दम पर यह स्थापित किया कि महिलाओं की अपनी हस्ती और पहचान होती है। उस समय वामपंथी आंदोलन ने उन्हें मजबूती प्रदान की थी।''

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उन्हें ''केरल की राजनीति में ऊंचे कद'' के नेता के तौर पर याद किया।

उन्होंने ट्वीट किया, ''के आर गौरी अम्मा जी के परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना प्रकट करता हूं। केरल की राजनीति में ऊंचे कद वाली नेता के तौर पर वह हमेशा अनेक लोगों के लिये प्रेरणास्रोत रहीं। उनकी शानदार जीवन यात्रा के लिये उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।''

भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा केन्द्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि जब महिलाएं राजनीति में सक्रिय नहीं थीं तब गौरी ने अपना अलग राजनीतिक मुकाम हासिल किया।

भाजपा नेता ने शोक संदेश में कहा, ''उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर पुरुष प्रधानता और जातीय घृणा का शिकार होने के बाद भी अपना सिर नहीं झुकाया।

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