केरल: लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट देने का वादा करने वाले कैथोलिक बिशप के बयान पर शुरू हुई सियासत, भाजपा ने दिया समर्थन, चर्च और लेफ्ट ने की बयान की आलोचना
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 22, 2023 02:54 PM2023-03-22T14:54:25+5:302023-03-22T15:01:00+5:30
केरल के रोमन कैथोलिक चर्च के आर्क बिशप मार जोसेफ पामप्लानी ने भाजपा के सामने शर्त रखी थी कि अगर केंद्र सरकार रबर की कीमतों में 100 फीसदी इजाफा करती है तो उनका चर्च आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को वोट देने की अपील कर सकती है। अब इसी मुद्दे को लेकर केरल में सियासत शुरू हो गई है।
तिरुवनंतपुरम: केरल के रोमन कैथोलिक चर्च के आर्क बिशप मार जोसेफ पामप्लानी द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को समर्थन दिये जाने के ऐलान पर सियासी विवाद शुरू हो गया है। उत्तर केरल में कैथोलिक समूह के चर्च की अगुवाई करने वाले आर्क बिशप मार जोसेफ ने खुला ऐलान किया था कि अगर केंद्र में सत्ता की अगुवाई कर रही भाजपा नीत सरकार रबर के दामों में 100 फीसदी का इजाफा करने का ऐलान करती है तो कैथोलिक चर्च के अनुयायी अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट देंगे।
आर्क बिशप मार जोसेफ द्वारा रबर की कीमत बढ़ाने की शर्त पर भाजपा को वोट देने के बयान पर उनके समर्थक और विरोधी आमने-सामने आ गये हैं। अगर आर्क बिशप मार जोसेफ को इस मुद्दे पर मिलने वाले समर्थन की बात करें तो बीते सोमवार 20 मार्च को केंद्रीय विदेश और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने दिल्ली में उनके बयान का स्वागत करते हुए कहा कि आर्क बिशप मार जोसेफ की मांग पर केंद्र सरकार बैठक करने के लिए तैयार है। इस मामले में न केवल केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन बल्कि केरल भाजपा के प्रमुख के सुरेंद्रन सहित कई अन्य नेता भी बिशप की मांग पर सकारात्मक विचार और समर्थन देने की बात कह रहे हैं।
समाचार वेबसाइट द न्यूज मिनट के अनुसार आर्क बिशप मार जोसेफ के बयान की केरल के कैथोलिक समुदाय के बाहर और भीतर भी इसकी तीखी आलोचना की जा रही है। कैथोलिकों के कुछ गुटों और चर्च के आलोचकों द्वाराआर्क बिशप मार जोसेफ के बयान की निंदा करते हुए 300 रुपये की तुलना उन 30 चांदी के सिक्कों से की गई है, जिसके बारे में बाइबिल में कहा गया है कि 30 चांदी के सिक्कों के लिए जूडस इस्केरियट ने यीशु मसीह को धोखा दिया था।
इस संबंध में मार्टिन एन एंटनी ने अपने फेसबुक पेज पर ऑर्डर ऑफ द धन्य वर्जिन मैरी के कैथोलिक पुजारी ने लिखा है, “आर्क बिशप मार जोसेफ के 300 रुपये की मांग में सब कुछ शामिल है। ओडिशा के कंधमाल में साल 2008 में ईसाइयों पर हुआ हमला, स्टेन स्वामी का जेल में मर जाना, झारखंड में चर्च को नष्ट करना। रबर की 300 रुपये कीमत करने के लिए आर्क बिशप मार जोसेफ ने न केवल किसानों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है बल्कि ये मलयाली सवर्ण अभिजात वर्ग की मांग प्रतीत हो रहा है। आर्क बिशप मार जोसेफ ने भाजपा के एक सांसद की कीमत 300 रुपये लगा दी है, जिस तरह जूडस इस्केरियट ने 30 चांदी के सिक्कों के लिए यीशु मसीह को धोखा दिया था।”
इतना ही नहीं केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल के बाइबिल आयोग के सचिव जोशी मय्यत्तिल ने ईसाइयों के भाजपा के पक्ष में हो रहे ध्रुवीकरण के लिए कांग्रेस और वाम दलों को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि वाम और कांग्रेस की भारी असफलता है कि पिछले कुछ वर्षों में कुछ कैथोलिक चर्च के धार्मिक नेता भाजपा के प्रति सहानुभूति रखने लगे हैं।
मालूम हो कि आर्क बिशप मार जोसेफ ने बीते 18 मार्च को कन्नूर जिले के अलाकोड में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि अगर केंद्र सरकार रबर के दामों को 300 रुपये किलो कर देती है, जो कि दिसंबर 2022 से मार्च 2023 के बीच 131 रुपये से 151 रुपये प्रति किलो था, तो हम भाजपा को वोट देने के लिए तैयार हैं।
इस बयान के बाद जब आर्क बिशप मार जोसेफ पर जुबानी हमले होने लगे तो उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वह अपने बयान पर कायम है और कहा कि चर्च किसी भी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा, “मेरे द्वारा किसानों के पक्ष में लिये गये निर्णय एकदम सही हैं। हम किसी के लिए रेड कार्पेट नहीं बिछा रहे हैं। जब हम किसानों के बारे में बात करते हैं, तो हम उन लोगों से नहीं डरेंगे, जो चिल्ला रहे हैं कि हम भाजपा का समर्थन कर रहे हैं।”
वहीं सूबे की सत्ताधारी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य एमए बेबी ने आर्क बिशप मार जोसेफ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "विश्व कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस हमेशा न्याय के पक्ष में खड़े होने के लिए कहते हैं, न कि सत्ता के साये में, जो मांगने पर 300 रुपये भी नहीं देंगे। यह सर्वविदित है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित केंद्र सरकार रबड़ के दाम नहीं बढ़ाएगी। इतना ही नहीं ईसाई किसानों को केवल रबर के बारे में नहीं बल्कि फादर स्टेन स्वामी सहित अन्य घटनाओं को भी याद रखना चाहिए कि क्या उनसे ईसाइयों को सभी न्याय मिला है।"