केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की, कहा- चुपचाप तमाशा नहीं देखूंगा
By भाषा | Published: January 19, 2020 07:56 PM2020-01-19T19:56:42+5:302020-01-19T22:28:29+5:30
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर हमला बोलते हुए इससे पहले कहा था कि सार्वजनिक कार्य और सरकार के कामकाज को “किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल की मर्जी” के मुताबिक नहीं चलाया जा सकता और हर किसी को नियम का पालना करना चाहिए।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर केरल की वाम मोर्चा सरकार के साथ खींचतान के बीच राज्य के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को स्पष्ट किया कि वह एक 'मूक दर्शक' नहीं बने रहेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि देश का कानून कायम रहे। खान ने रविवार शाम बेंगलुरू से यहां पहुंचने पर संवाददाताओं से कहा, 'संविधान कायम रखना होगा और यह कोई निजी लड़ाई नहीं है।'
उन्होंने कहा, ‘‘मैं मूक दर्शक बनकर नहीं बैठा रहूंगा..यह सुनिश्चित करूंगा कि नियम और कानून कायम रहें।’’ राज्यपाल ने राज्य सरकार के उनसे ‘‘मशविरा किये बिना’’ संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर आपत्ति जताते हुए मुख्य सचिव से एक रिपोर्ट मांगी है।
राज भवन के एक शीर्ष सूत्र ने रविवार को कहा, “राज्यपाल कार्यालय ने सीएए के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख करने के सरकार के कदम के बारे में उन्हें सूचित नहीं करने को लेकर मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है।” एलडीएफ सरकार ने इस कानून के खिलाफ 13 जनवरी को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और अनुरोध किया था कि यह घोषित किया जाए कि यह संविधान के अनुरूप नहीं है।
खान ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर हमला बोलते हुए इससे पहले कहा था कि सार्वजनिक कार्य और सरकार के कामकाज को “किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल की मर्जी” के मुताबिक नहीं चलाया जा सकता और हर किसी को नियम का पालना करना चाहिए। केरल सीएए के खिलाफ राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने वाला और नये कानून को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय जाने वाला पहला राज्य है। अपनी अप्रसन्नता को सार्वजनिक तौर पर जाहिर कर चुके राज्यपाल ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा था कि कामकाज के नियम की धारा 34(2) की उपधारा 5 के तहत प्रदेश सरकार को राज्य एवं केंद्र के रिश्तों को प्रभावित करने वालों की जानकारी राज्यपाल को देनी चाहिए।
हालांकि, राज्य इस बात पर कायम है कि उसने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया और राज्यपाल कार्यालय की शक्ति को चुनौती देने के लिए जानबूझ कर कोई प्रयास नहीं किए गए। कानून मंत्री ए के बालन ने शनिवार को कहा कि सरकार खान द्वारा उठाए गए सभी संशयों को दूर करेगी। माकपा के मुखपत्र देशाभिमानी में सख्त लहजे में लिखे संपादकीय में राज्यपाल पर हमला बोलने के एक दिन बाद, पार्टी के प्रदेश सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन ने रविवार को खान पर सरकार के रोजाना के काम-काज में बेवजह हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।
पार्टी के समाचारपत्र में एक लेख में उन्होंने कहा, “राज्यपाल राज्य के लोगों द्वारा चुनी गई सरकार को बदनाम कर रहे हैं। राज्यपाल का पद राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए नहीं होता।” इस बीच खान ने रविवार को कोझिकोड में तय सार्वजनिक कार्यक्रम को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए रद्द कर दिया। राज्यपाल को केरल साहित्य महोत्सव (केएलएफ) के एक सत्र में शामिल होना था। राजभवन के सूत्रों ने कहा, “आयोजकों ने हमें बताया कि राज्यपाल के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना उनके लिए मुश्किल होगा क्योंकि केएलएफ एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें हजारों लोग शामिल होंगे। उन्होंने हमसे तिथि बदलने का आग्रह किया।” ऐसी खबरें थीं कि राज्यपाल ने सीएए के विरोध खासकर साहित्यिक कार्यक्रम में विरोध के भय से यह कार्यक्रम रद्द किया।