केरल: तिरुवनंतपुरम के चाला में सरकारी बॉयज स्कूल में 40 साल बाद लड़कियों ने लिया दाखिला, मुस्लिम लीग ने किया विरोध
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 26, 2022 09:00 AM2022-08-26T09:00:57+5:302022-08-26T09:37:03+5:30
प्रधानाचार्य फेलिशिया ने कहा,"स्कूल में लड़कियों के दाखिले की शुरूआत हुई। उन्होंने कहा कि अभी 12 लड़कियों ने दाखिला लिया है...
केरल: तिरुवनंतपुरम के चाला में सरकारी बॉयज स्कूल में 40 साल बाद लड़कियों का दाखिला शुरू हुआ। गवर्नमेंट मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल फॉर बॉयज के कक्षा 11 में छात्राओं के पहले बैच को गुरुवार शामिल किया गया। प्रधानाचार्य फेलिशिया ने कहा,"स्कूल में लड़कियों के दाखिले की शुरूआत हुई। उन्होंने कहा कि ''अभी 12 लड़कियों ने दाखिला लिया है मगर हमें उम्मीद है कि अनुपूरक आवंटन में और अधिक लड़कियां दाखिला लेंगी।"
पिछले 40 वर्षों से यह सरकारी स्कूल केवल लड़कों के लिए था। इसे सह-शिक्षा विद्यालय बनाने के कदम का छात्र-छात्राओं ने स्वागत किया है। कुछ नए छात्राओं ने मीडिया को बताया कि लड़कों के साथ पढ़ने के लिए वे स्कूल में वैसे ही शामिल हुईं जैसा वह चाहती थीं।
पहले बैच में प्रवेश लेने वाली छात्राओं को बधाई देते हुए परिवहन मंत्री एंटनी राजू ने कहा कि एक समय में स्कूल में सबसे अधिक छात्र थे। यह एक दुर्लभ संस्था थी जहाँ शिक्षा का माध्यम मलयालम, तमिल और अंग्रेजी था। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षाएँ और प्रयोगशालाएँ स्मार्ट हो गई हैं।केरल: तिरुवनंतपुरम के चाला में सरकारी बॉयज स्कूल में 40 साल बाद लड़कियों का दाखिला शुरू हुआ।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 26, 2022
प्रधानाचार्य फ़ेलिशिया ने कहा,"स्कूल में लड़कियों के दाखिले की शुरूआत हुई। अभी 12 लड़कियों ने दाखिला लिया है मगर हमें उम्मीद है कि अनुपूरक आवंटन में और अधिक लड़कियां दाखिला लेंगी।"(25.8) pic.twitter.com/fHyBYZyLbe
मंत्री ने आगे कहा, सरकार इन स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने में भी सफल रही है। सामान्य छात्रों को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के इसके प्रयासों के परिणाम सामने आए हैं। लड़कियों के स्कूल में प्रवेश लेने से, यह न केवल शिक्षा में बल्कि पाठ्येतर गतिविधियों में भी उत्कृष्टता प्राप्त करने में सक्षम होगी। श्री राजू ने कहा कि कला, साहित्य, खेल और अन्य गतिविधियों में अपने कौशल का सम्मान करते हुए, उन्हें एक सामाजिक जिम्मेदारी के साथ नागरिक बनना चाहिए। मंत्री ने कहा कि स्कूल के बुनियादी विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए एक तत्काल बैठक बुलाई जाएगी।
लड़कों ने भी इस कदम का स्वागत किया क्योंकि उन्होंने स्कूल के गेट से अंदर जाने पर लड़कियों के पहले बैच को स्टैंडिंग ओवेशन दिया। लड़कों ने कहा कि वे अपने नए स्कूल के साथियों के फैसले का समर्थन करेंगे।
ईयूएमएल विधायक एम के मुनीर ने इसका विरोध किया
उधर, इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) विधायक एम के मुनीर ने इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा कि समाज और सीपीआई (एम) ने इसे स्वीकार करने के लिए पूर्णता प्राप्त नहीं की है। कोझिकोड में पत्रकारों से बात करते हुए मुनीर ने कहा कि लैंगिक भेदभाव को दूर किया जाना चाहिए, फिर लैंगिक संवेदनशीलता और लैंगिक न्याय होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वर्दी के संबंध में सीएम की प्रतिक्रिया एलडीएफ विधायक के के शैलजा के एक प्रश्न पर आई, जिससे पता चलता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता भी पूछ रहे हैं कि ऐसी नीति कहां से आई है और किसने बनाई है।
उन्होंने सरकार की नवीनतम शिक्षा नीति से एलजीबीटीक्यू जैसी कुछ शब्दावली को हटाने का भी स्वागत करते हुए कहा कि वह इसे एक सकारात्मक कदम के रूप में देखते हैं। राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने राज्य की राजधानी में मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार ने यह कभी नहीं कहा कि यह अनिवार्य रूप से या जबरन लड़कों और लड़कियों को एक साथ पढ़ाएगी।