प्रदूषण को मात देने के लिए केजरीवाल का नया प्लान- 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ'
By गुणातीत ओझा | Published: October 15, 2020 02:09 PM2020-10-15T14:09:20+5:302020-10-15T14:09:20+5:30
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि प्रदूषण से लड़ने के लिए आज से रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ (Red Light On, Gaadi Off) अभियान की शुरुआत कर रहे हैं।
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में ठंड के दस्तक देते ही प्रदूषण ने भी पांव पसारना शुरू कर दिया है। तेजी से बढ़ता प्रदूषण दिल्ली सरकार और प्रशासन के लिए इस समय सबसे बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है। इसके तहत प्रदूषण की अनदेखी करने वालों पर लाखों का जुर्माना लगाने से लेकर जनरेटर पर प्रतिबंध लगाना तक शामिल है।
Red light on, gaadi off.
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 15, 2020
Delhi starts this today as a part of our campaign “Yudh, pradushan ke virudh” in our bid to tackle pollution.
Lets all pledge to turn off our vehicles at red lights. Every single effort will contribute in reducing pollution.
प्रदूषण से दिल्ली को निजात दिलाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि प्रदूषण से लड़ने के लिए आज से रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ (Red Light On, Gaadi Off) अभियान की शुरुआत कर रहे हैं। इस अभियान के तहत सभी लोग यह संकल्प लें कि रेड लाइट पर हम अपनी गाड़ी बंद करेंगे। केजरीवाल ने कहा कि एक गाड़ी रोज तकरीबन 15-20 मिनट रेड लाइट पर बिताती है और उसमें तकरीबन 200 ML तेल की खपत होती है। अगर आप रेड लाइट पर गाड़ी बंद करना शुरू कर दें तो आपके 7000 रुपये साल के बच सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में करीब एक करोड़ वाहन पंजीकृत हैं। अगर 10 लाख वाहन चालक भी रेड लाइट पर अपनी गाड़ी बंद करना शुरू कर दें तो विशेषज्ञों ने मुझे गणना करके दी है कि साल में PM 10 प्रदूषण 1.5 टन कम हो जाएगा और PM 2.5 प्रदूषण 0.4 टन कम हो जाएगा।
While waiting on a traffic signal, we must switch our vehicles off. Launching another initiative to tackle air pollution in Delhi | LIVE https://t.co/CCNIdHgbHJ
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 15, 2020
दिल्ली-एनसीआर में इलेक्ट्रिक जेनरेटर पर रोक
दिल्ली सरकार ने आवश्यक या आपातकालीन सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले जेनरेटर को छोड़कर बृहस्पतिवार से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में विद्युत जेनरेटर के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत यह निर्देश जारी किया गया है। जीआरएपी प्रदूषण रोधी उपाय है जिसे स्थिति की गंभीरता के मुताबिक दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इसे 2017 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ने उच्चतम न्यायाालय की तरफ से अनिवार्य किए गए पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण के मार्फत लागू करने के लिए अधिसूचित किया था। एक सरकारी आदेश के मुताबिक, ‘‘दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) 15 अक्टूबर से अगले आदेश तक दिल्ली में डीजल, पेट्रोल या केरोसिन से चलने वाले सभी क्षमता के विद्युत जेनरेटर के उपयोग को प्रबंधित करती है। यह आदेश आवश्यक एवं आपातकालीन सेवाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले जेनरेटर सेट पर लागू नहीं होगा।’’ आवश्यक सेवाओं में स्वास्थ्य सुविधाएं, एलेवेटर, रेलवे सेवाएं, दिल्ली मेट्रो, हवाई अड्डे और अंतरराज्यीय बस टर्मिनल तथा नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर की तरफ से संचालित डाटा सेंटर शामिल हैं।
सीपीसीबी की 50 टीमें हमेशा रखेंगी नजर
आगामी शीत ऋतु में बेहतर वायु गुणवत्ता सुनिश्चित करने के प्रयास के तहत दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। यह जानकारी बुधवार को पर्यावरण मंत्रालय ने दी। इसने कहा कि इस वर्ष 15 अक्टूबर से अगले वर्ष 28 फरवरी तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 50 टीमें व्यापक क्षेत्र दौरे के लिए तैनात की जाएंगी। पर्यावरण मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि टीम दिल्ली और एनसीआर के शहरों- नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, गुरुग्राम, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, झज्जर, पानीपत, सोनीपत, भिवाड़ी, अलवर, भरतपुर का दौरा करेगी। इसने कहा कि ये टीम उन स्थानों पर ज्यादा ध्यान देगी जहां समस्या ज्यादा है। इसने कहा, ‘‘आगामी सर्दी के मौसम में प्रदूषण गतिविधियों के खिलाफ कड़ी नजर रखी जाएगी। बिना उपयुक्त नियंत्रण उपाय के बड़ी निर्माण गतिविधियों, सड़कों के किनारे और खुले प्लॉट में कचरा और निर्माण अपशिष्ट डालने, कचरे को खुले में जलाने और औद्योगिक कचरे से जुड़ी रिपोर्टिंग समीर ऐप के माध्यम से की जाएगी।’’ इसने कहा, ‘‘प्रदूषण गतिविधियों पर फीडबैक संबंधित एजेंसियों के साथ त्वरित कार्रवाई के लिए साझा किया जाएगा। इससे समय रहते कार्रवाई करने में मदद मिलेगी और संबंधित एजेंसियों द्वारा उपयुक्त स्तर पर निगरानी की जा सकेगी।’’ मंत्रालय ने कहा कि सीपीसीबी के मुख्यालयों में केंद्रीय नियंत्रण कक्ष बनाया गया है ताकि हर घंटे प्रदूषण की निगरानी हो सके और राज्य की एजेंसियों के साथ समन्वय बनाया जा सके।