प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मुफ्त रेवड़ी' वाले बयान पर केसीआर ने कहा, 'यह कल्याणकारी योजनाओं का अपमान है'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 15, 2022 08:00 PM2022-08-15T20:00:28+5:302022-08-15T20:04:55+5:30
पीएम मोदी द्वारा कहे 'मुफ्त रेवड़ी' के मुद्दे पर हो रही बहस में तेलंगाना के सीएम केसीआर ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि ऐसा कहना जनता का और कल्याणकारी योजनाओं का घोर अपमान है।
हैदराबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राज्यों की ओर से जनता के लिए घोषित किये जा रहे मुफ्त योजनाओं को 'मुफ्त रेवड़ी' कहा जाना अब गहरे विवाद का प्रश्न बनता जा रहा है। पीएम मोदी के बयान को आम आदमी पार्टी पहले ही आपत्तिजनक बता चुकी है और अब इसी क्रम में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है।
'मुफ्त रेवड़ी' के मुद्दे पर हो रही बहस में सीएम केसीआर ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि ऐसा कहना जनता का और कल्याणकारी योजनाओं का घोर अपमान है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सोमवार को उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा राज्य जिन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से जनकल्याण का काम कर रहे हैं, उन्हें 'मुफ्त रेवड़ी' बताना दरअसल जनता का ‘अपमान’ है।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख राव ने केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार लगातार संघीय मूल्यों को नुकसान पंहुचा रही है और वो वित्तिया रूप से भी राज्यों को कमजोर कर रही है। केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि वो सारी शक्तियों को केंद्रीकृत करके अपने पास रखे।
इसके साथ ही केसीआर ने मोदी सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि उसने दूध और कब्रिस्तानों सहित आम इंसान से जुड़ी हर चीज पर टैक्स लगाकर गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों का जीना दूभर कर दिया है।
प्रधानमंत्री के विवादित कथन ‘मुफ्त रेवड़ी’ के विषय में प्रतिक्रिया देते हुए केसीआर ने कहा, ‘‘जनता सरकारों को इसलिए चुनती है ताकि वो आम लोगों का कल्याण कर सके और राज्य सरकारों की यह पहली जिम्मेदारी भी है। आज के समय में जब केंद्र राज्यों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं है और उसके बाद वो राज्यों के कल्याणकारी योजनाओं को मुफ्त की रेवड़ी का नाम दे रही है तो इसका सीधा अर्थ है कि केंद्र सरकार राज्य की जनता और उनके लिए चलाई जा रही योजनाओं का अपमान कर रही है।’’
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कहा था कि राज्य सरकारों की ओर से दी जा रही मुफ्त की सौगात भारत के आत्मनिर्भर बनने की राह में बाधा बन रही है और साथ ही इससे करदाताओं पर बोझ पड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी ने मुफ्त की सौगात की राजनीति में शामिल होने को लेकर कुछ राजनीतिक दलों की आलोचना भी की थी।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गोलकुंडा किले पर ध्वजारोहण के बाद राव ने एक कार्यक्रम में कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने देश में संघीय ढांचा इसलिए बनाया था ताकि वो केंद्र और राज्य के पारस्परिक सहयोग से देश का विकास की अवधारणा पर यकीन रखते थे। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली की मौजूदा सरकार सीधे तौर पर संघीय मूल्यों को नुकसान पहुंचा रही है। केंद्र राज्यों को वित्तीय तौर पर कमजोर करने की साजिश में संलिप्त है, यह जिस डाल पर बैठे हो उसी को काटने जैसा है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा एकत्रित राजस्व में से 41 फीसदी राज्यों को मिलना चाहिए, लेकिन वह राज्यों की हिस्सेदारी कम करने के लिए टैक्स की बजाय सेस (उप कर) लगाकर परोक्ष रूप से राजस्व जुटा रही है। उन्होंने कहा कि इसके जरिये केंद्र वर्ष 2022-23 में राज्यों की आय में 11.4 फीसदी की कमी लाई है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि केंद्र 41 फीसदी के बजाय 29.6 फीसदी हिस्सेदारी देकर राज्यों के साथ अन्याय कर रहा है।
इतना ही नहीं केसीआर ने केंद्र पर आरोप लगाया कि केंद्र केवल टैक्स के जरिये नहीं बल्कि विभिन्न तरह से पाबंदी लगाकर राज्यों की आर्थिक आजादी को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने दावा किया कि एक तरफ तो केंद्र सरकार सहकारी संघवाद के आदर्श की बात करती है, लेकिन वास्तव में वह पूरी तरह से सत्ता के केंद्रीकरण में संलग्न है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)