काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामलाः एएसआई सर्वेक्षण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगाई, जानें क्या है पूरा मामला
By सतीश कुमार सिंह | Published: September 9, 2021 04:59 PM2021-09-09T16:59:39+5:302021-09-09T17:47:01+5:30
काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामलाः उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण पर रोक लगा दी है।
काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामलाः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को वाराणसी सिविल कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का व्यापक भौतिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के संपूर्ण परिसर का पुरातत्व सर्वेक्षण करने संबंधी वाराणसी की अदालत के आदेश पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड और ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति- अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
अदालत ने कहा, रिकार्ड से यह स्पष्ट है कि इस अदालत ने सभी लंबित याचिकाओं पर निर्णय 15 मार्च, 2021 को सुरक्षित रख लिया था। निचली अदालत को इस बात की पूरी जानकारी थी। इसे ध्यान में रखते हुए निचली अदालत को आगे सुनवाई कर सर्वेक्षण का आदेश नहीं देना चाहिए था, बल्कि इस अदालत के समक्ष लंबित याचिकाओं पर फैसला आने का इंतजार करना चाहिए था।
अदालत ने प्रतिवादियों के सभी वकीलों को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया और इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख आठ अक्टूबर निर्धारित की। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, वाराणसी की स्थानीय अदालत ने 8 अप्रैल को एक आदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था जोकि अवैध और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी की अदालत में लंबित मुकदमा विचार करने योग्य है या नहीं, इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था, लेकिन वाराणसी की अदालत दूसरे पक्षकार (मंदिर न्यास) की दलीलें सुनती रही।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी की अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को दो हिंदू, दो मुस्लिम सदस्यों और एक पुरातत्व विशेषज्ञ की पांच सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया था जो सदियों पुरानी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के समग्र भौतिक सर्वेक्षण का काम देखेगी। इस मामले में दलील दी गई थी कि वाराणसी में यह मस्जिद, मंदिर के हिस्से में बनाई गई है। मूल रूप से मुकदमा 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में दायर किया गया था जिसमें उस प्राचीन मंदिर की पूरी जगह उसे देने का अनुरोध किया गया जहां वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है।
इससे पूर्व, याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने दलील दी थी कि वह याचिका जिस पर वाराणसी की अदालत ने आठ अप्रैल को आदेश पारित किया है, पूजास्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 4 के तहत स्वयं में विचारणीय नहीं है क्योंकि यह धारा 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी पूजास्थल की धार्मिक प्रकृति के परिवर्तन के संबंध में मुकदमा दायर करने या किसी अन्य कानूनी कार्यवाही से रोकती है।
उन्होंने कहा कि 1991 के कानून के मुताबिक, 15 अगस्त, 1947 को मौजूद एक धार्मिक स्थल के संबंध में कोई दावा नहीं किया जा सकता है और न ही किसी धार्मिक स्थल की स्थिति में परिवर्तन के लिए राहत मांगी जा सकती है।
याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने आगे अपनी दलील में कहा कि जब उच्च न्यायालय ने उक्त मुकदमे की विचारणीयता के मुद्दे पर अपना फैसला पहले ही सुरक्षित रख लिया है, निचली अदालत को उच्च न्यायालय का फैसला आने तक इस मामले में कोई आदेश नहीं पारित करना चाहिए था।