कर्नाटक: राज्य सरकार के तीन कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे किसान, 26 जनवरी को बड़े आंदोलन की तैयारी

By विशाल कुमार | Published: November 21, 2021 01:04 PM2021-11-21T13:04:17+5:302021-11-21T13:07:22+5:30

किसानों का कहना है कि ये तीनों कानून उनके फसल की कीमतों को प्रभावित करेंगे, उनकी कृषि योग्य भूमि के लिए खतरा पैदा करेंगी और उन पर बूढ़े बैलों और सांड़ों की रखवाली का बोझ डालेंगी।

karnataka three laws farmers protests sugarcane farmers basavaraj bommai | कर्नाटक: राज्य सरकार के तीन कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे किसान, 26 जनवरी को बड़े आंदोलन की तैयारी

कर्नाटक: राज्य सरकार के तीन कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे किसान, 26 जनवरी को बड़े आंदोलन की तैयारी

Highlightsकर्नाटक के किसान राज्य के तीन कानूनों के खिलाफ अपना विरोध तेज करने की तैयारी में हैं।किसानों का कहना है कि ये तीनों कानून उनके फसल की कीमतों को प्रभावित करेंगे।गन्ना उत्पादकों ने सितंबर में बैंगलोर में एक बड़ा प्रदर्शन किया था।

बेंगलुरु: केंद्र सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद कर्नाटक के किसान राज्य सरकार के तीन कानूनों के खिलाफ अपना विरोध तेज करने की तैयारी में हैं।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों का कहना है कि ये तीनों कानून उनके फसल की कीमतों को प्रभावित करेंगे, उनकी कृषि योग्य भूमि के लिए खतरा पैदा करेंगी और उन पर बूढ़े बैलों और सांड़ों की रखवाली का बोझ डालेंगी।

किसान संगठनों ने भाजपा के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से कर्नाटक वध रोकथाम और पशु संरक्षण अधिनियम को रद्द करने के साथ-साथ कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) अधिनियम और कर्नाटक भूमि सुधार अधिनियम में हालिया संशोधनों को रद्द करने का आग्रह किया है।

एपीएमसी अधिनियम में सितंबर 2020 का संशोधन निजी खरीदारों को सीधे किसानों से संपर्क करने की अनुमति देता है। किसानों का आरोप है कि इससे कॉरपोरेट खरीदारों को कीमतें तय करने में मदद मिलती है।

कर्नाटक भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन खेती नहीं करने वालों को भी कृषि भूमि खरीदने में सक्षम बनाता है, जो पहले केवल किसानों के लिए आरक्षित थी।

दिसंबर में राज्य सरकार ने नया पशु वध कानून पारित किया, जो कम से कम 13 वर्ष के प्रमाणित होने पर दोनों लिंगों के भैंसों के वध की अनुमति देता है। यह उल्लंघन के लिए तीन से सात साल की जेल और 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान करता है। इससे पहले भैंसों और सांड़ों के वध पर प्रतिबंध नहीं था.

कर्नाटक राज्य रायथा संघ के अध्यक्ष बडगलपुरा नागेंद्र राज्य के किसान संयुक्त होराता, किसान समूहों के गठबंधन के बैनर तले 26 नवंबर को राष्ट्रीय राजमार्गों पर आंदोलन करेंगे। गणतंत्र दिवस पर लाखों किसानों के बड़े विरोध में भाग लेने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को हम किसानों और एपीएमसी बाजारों पर इन तीन कानूनों के प्रतिकूल प्रभाव पर विस्तृत अध्ययन जारी करेंगे। गणतंत्र दिवस पर राज्य भर की किसान पंचायतें भी नजर आएंगी।

उचित कीमत को लेकर गन्ना किसान भी कर रहे विरोध

कर्नाटक ने पिछले एक साल में तीन केंद्रीय कानूनों के खिलाफ कई किसान आंदोलन देखा था, जिसे बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वापस ले लिया।

इसके अलावा, गन्ना उत्पादकों ने सितंबर में बैंगलोर में एक बड़ा प्रदर्शन किया था, जिसमें केंद्र से उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) बढ़ाने का आग्रह किया गया था।

जहां केंद्र सरकार ने गन्ने के लिए एफआरपी 50 रुपये बढ़ाकर 2,900 रुपये प्रति टन कर दिया है, वहीं किसानों का कहना है कि यह उनकी लागत को भी पूरा नहीं करता है, जो कि 3,200 रुपये प्रति टन है।

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