कर्नाटक पाठ्यपुस्तक विवाद: पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, "सीएम बोम्मई समीक्षा समिति को भंग करने की बजाय संशोधित पाठ्यपुस्तक को वापस लें"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 5, 2022 04:25 PM2022-06-05T16:25:14+5:302022-06-05T16:31:42+5:30
कर्नाटक पाठ्यपुस्तक विवाद पर ट्वीट करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने राज्य सरकार द्वारा समीक्षा समिति को भंग किये जाने के फैसले को नाकाफी बताते हुए कहा कि संशोधित पाठ्यपुस्तक को वापस लेने की जरूरत है, न कि उस समिति को जो पहले ही अपना एजेंडा पूरा कर चुकी है।
बेंगलुरु:कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता सिद्धारमैया ने मौजूदा बोम्मई सरकार द्वारा राज्य संचालित स्कूलों के पाठ्यक्रम बदलाव पर बनाई गई समीक्षा समिति को भंग किये जाने पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने राज्य सरकार द्वारा समीक्षा समिति को भंग किये जाने के फैसले को नाकाफी बताते हुए ट्वीट करके कहा, "संशोधित पाठ्यपुस्तक को वापस लेने की जरूरत है, न कि उस समिति को जो पहले ही अपना एजेंडा पूरा कर चुकी है। यदि पूर्वाग्रह से ग्रस्त समिति के अध्यक्ष को हटा दिया जाता है, तो उससे क्या होगा। हम किस तरह से समिति द्वारा संशोधित पाठ्यपुस्तक को स्वीकार कर सकते हैं?"
It is the revised textbook that needs to be withdrawn and not the committee which has already fulfilled its agenda.
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) June 4, 2022
If a prejudiced Chairman is removed, then how can we accept the textbook revised by his committee.#SaveKarnataka
इससे पहले शुक्रवार को कर्नाटक पाठ्यपुस्तक विवाद में बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई पाठ्यक्रम समीक्षा समिति को भंग करने का ऐलान किया था। इतना ही नहीं ही सीएम बोम्मई ने समिति को भंग करते हुए इस बात का भी आश्वासन दिया था कि अगर शिक्षाविदों को कंटेंट के सेलेक्शन पर किसी तरह की आपत्ति है तो सरकार उसमें संशोधन के लिए तैयार हैं।
शनिवार को विवादित पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति को भंग करते हुए मुख्यमंत्री ने इस मामले में किसी भी नई समिति के गठन से स्पष्ट इनकार कर दिया था।
मालूम हो कि धार्मिक द्वंद में घिरे कर्नाटक में पाठ्यपुस्तक संशोधन विवाद इसलिए तूल पकड़ लिया क्योंकि राज्य के शिक्षाविदों ने आरोप लगाया कि सरकार स्कूली पाठ्यपुस्तकों में 12वीं शताब्दी के समाज सुधारक बसवन्ना को लेकर भ्रामक तथ्यों को शामिल कर रही है और पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति ने राज्य के सम्मानित कवि कुवेम्पु का भी अपमान करने का प्रयास किया है।
पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति को भंग करते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बयान जारी करते हुए कहा कि पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाता है क्योंकि इसने पाठ्यक्रम बदलाव संबंधी दिये हुए कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
इसके साथ ही बोम्मई ने कहा कि यदि राज्य के शिक्षाविदों को लगता है कि समिति ने पाठ्यक्रम में कोई आपत्तिजनक सामग्री शामिल कर दिया है और उसे पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होना चाहिए तो सरकार उनके द्वारा लाये गये संशोधनों पर विचार करने के लिए तैयार है।
कर्नाटक स्कूली पाठ्यक्रम समीक्षा समीति के अध्यक्ष रोहित चक्रतीर्थ को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस और राज्य के शिक्षाविदों को बड़ी आपत्ति थी। उन पर आरोप था कि वो स्कूली पाठ्यपुस्तकों को संशोधित करने के बहाने स्कूली शिक्षा के भगवाकरण का प्रयास कर रहे हैं।
इस विवाद ने सूबे में इतना बड़ा बवंडर खड़ा कर दिया था कि विपक्ष रोहित चक्रतीर्थ को समिति के अध्यक्ष पद से बर्खास्त करने करने की मांग कर रहा था।