सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कर्नाटक का मुद्दा, इस्तीफा दे चुके विधायकों ने स्पीकर पर लगाये गंभीर आरोप, कल सुनवाई
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 10, 2019 10:49 AM2019-07-10T10:49:40+5:302019-07-10T10:56:43+5:30
कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों ने अपनी याचिका में आरोप लगाये हैं कि विधानसभा के स्पीकर उनके इस्तीफे को स्वीकार करने में देरी कर उन्हें उनके संवैधानिक दायित्व को पूरा करने से रोक रहे हैं।
कर्नाटक में जारी सियासी ड्रामा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। विधान सभी की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके बागी विधायकों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर विधान सभा के स्पीकर पर गंभीर आरोप लगाये हैं। कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों ने अपनी याचिका में आरोप लगाये हैं कि विधानसभा के स्पीकर उनके इस्तीफे को स्वीकार करने में देरी कर उन्हें उनके संवैधानिक दायित्व को पूरा करने से रोक रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई गुरुवार को करेगा।
इस बीच कर्नाटक में सरकार को बचाने की कवायद अभी जारी है। कांग्रेस के संकटमोचक और कुमारस्वामी सरकार में मंत्री डीके शिवकुमार बागी विधायकों से मिलने बुधवार सुबह मुंबई पहुंचे। हालांकि, उनकी मुलाकात विधायकों से नहीं हो सकी। मुंबई पुलिस ने उन्हें उस होटल के बाहर ही रोक दिया जिसमें बागी विधायक ठहरे हुए हैं। डीके शिवकुमार ने होटल में जाने के लिए यह दावा किया उन्होंने एक कमरा होटल में बुक किया है। दिलचस्प ये रहा कि उनकी बुकिंग को मुंबई कन्वेंशन सेंटर होटल ने 'होटल में कुछ आपात स्थिति' का हवाला देते हुए रद्द कर दिया।
#Karnataka rebel Congress and JD(S) leaders who have resigned from Assembly, move Supreme Court accusing the Speaker of abandoning his constitutional duty and deliberately delaying acceptance of their resignations. Supreme Court to hear the matter tomorrow. pic.twitter.com/ef3cgICKYC
— ANI (@ANI) July 10, 2019
इससे पहले मंगलवार मध्यरात्रि को पवई के ठहरे हुए 12 में से 10 विधायकों ने मुंबई पुलिस को पत्र लिखकर अपनी जान को खतरा बताया और कहा कि शिवकुमार को होटल में नही आने दिया जाए।
बता दें कि कर्नाटक में गठबंधन सरकार बचाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष से उसके बागी विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने की मंगलवार को मांग की और भाजपा पर उसके सदस्यों को लुभाने के लिए धनबल के इस्तेमाल का आरोप लगाया था।
कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 13 विधायकों के शनिवार को इस्तीफे के बाद उपजे संकट से निपटने के मंगलवार को बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक भी हुई जिसमें यह फैसला लिया गया था कि जिन बागी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, पार्टी उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग करेगी। कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार के सभी मंत्रियों ने सोमवार को इस्तीफे देकर असंतुष्ट विधायकों को शामिल करने के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल का मार्ग प्रशस्त किया था।
इस बीच, शिवाजीनगर से कांग्रेस के विधायक आर रोशन बेग ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। बेग को कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए हाल में ही निलंबित किया गया था।
महाराष्ट्र में डेरा डाले बागी विधायक हालांकि कांग्रेस की ओर से उन्हें अयोग्य ठहराये जाने के लिये उठाए गए कदम से बेपरवाह नजर आये और उन्होंने कहा कि इस्तीफे वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है। कांग्रेस विधायक एस टी सोमशेखर ने पत्रकारों से कहा, 'इस्तीफा वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है। हमने स्वेच्छा से इस्तीफे दिये हैं और हम किसी पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल नहीं हैं।'
दो अन्य बागी विधायकों रमेश जार्किहोली और बी बसवराज ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किये। विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख दिनेश गुंडू राव ने पत्रकारों को बताया कि कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के निर्णय के अनुसार उन्होंने 'इस्तीफा देने वाले और सरकार को गिराने के लिए भाजपा से साठगांठ करने वाले' विधायकों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की स्पीकर से मांग की है। उन्होंने दावा किया कि उन पर (बागी विधायकों) दलबदल विरोधी कानून लागू होता है और अब अध्यक्ष को आगे की कार्रवाई करनी है।
विधानसभा अध्यक्ष को 13 विधायकों के इस्तीफे पर मंगलवार को विचार करना था। बाद में उन्होंने कांग्रेस नेताओं से अपनी याचिका के समर्थन में 11 जुलाई को ठोस साक्ष्य पेश करने को कहा और कहा कि उन्हें सुनने के बाद वह भावी कार्रवाई के बारे में फैसला करेंगे।
बताते चलें कि 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ भाजपा के पास 107 विधायक हैं जबकि बहुमत का आंकड़ा 113 है। अगर इन 14 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिये जाते है तो कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या घटकर 102 हो जायेगी। इसके अलावा विधानसभा अध्यक्ष का भी एक वोट है।
(पीटीआई इनपुट के साथ)