खनन, अतिक्रमण सहित जिसपर दर्ज हैं 15 आपराधिक केस, BJP ने उसे कर्नाटक के उसी विभाग का बनाया मंत्री, दो बार जेल चुके जानें कौन हैं आनंद सिंह

By पल्लवी कुमारी | Published: February 14, 2020 01:27 PM2020-02-14T13:27:10+5:302020-02-14T13:27:10+5:30

आनंद सिंह कांग्रेस के उन 14 विधायकों में शामिल हैं जिन्होंने विधायकी से इस्तीफा देकर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की कुमारस्वामी सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी।

Karnataka new forest minister Anand Singh have 15 criminal case illegal mining forest, know about him | खनन, अतिक्रमण सहित जिसपर दर्ज हैं 15 आपराधिक केस, BJP ने उसे कर्नाटक के उसी विभाग का बनाया मंत्री, दो बार जेल चुके जानें कौन हैं आनंद सिंह

आंनद सिंह (फाइल फोटो)

Highlightsवन विभाग के केस के अलावा आनंद सिंह पर आपराधिक षडयंत्र, चोरी, आपराधिक तौर पर भरोसा तोड़ने, धोखाधड़ी और बेईमानी समेत आपराधिक फर्जीवाड़े के आरोप हैं। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, विधायक आंनद सिंह खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का मंत्री बनाए जाने को लेकर खुश नहीं थे, जिसके बाद उन्होंने वन विभाग के लिए मांग की। 

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने 6 फरवरी को अपने कैबिनट का विस्तार करते हुए 10 विधायकों मंत्री पद सौंपा था। जिसमें एक विधायक थे- आनंद सिंह। आनंद सिंह को वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाया गया है। वन एवं पर्यावरण मंत्री आनंद सिंह पर 15 आपराधिक मामले दर्ज हैं। हैरानी की बात यह है कि कर्नाटक में बीजेपी की बी. एस. येदियुरप्पा की सरकार ने आनंद सिंह को उसी विभाद का मंत्री बनाया है, जिस विभाग के घोटालों को लेकर उनपर 15 केस दर्ज हैं। 2018 के चुनावी एफिडेविट के मुताबिक आनंद सिंह पर अवैध खनन, अतिक्रमण के तहत फॉरेस्ट कानून से जुड़े 15 केस लंबित हैं। 

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक विजयनगर से विधायक आनंद सिंह पर दर्ज इन 15 केसों में से तीन की जांच सीबीआई और और एक केस की जांच फॉरेस्ट विभाग कर रहा है। 

पहले बनाया गया था खाद्य विभाग का मंत्री लेकिन फिर सौंपा गया वन विभाग 

53 वर्षीय विजयनगर से विधायक आंनद सिंह को पहले खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का मंत्री बनाया गया था। लेकिन 24 घंटे के भीतर ही उन्हें वन एवं पर्यावरण मंत्री बना दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ऐसा तब किया जब आंनद सिंह ने उनसे मांग की कि उन्हें वन मंत्रालय दिया जाए। बी. एस. येदियुरप्पा ने वन विभाग से जुड़े 15 केसों को अनदेखा करते हुए आनंद सिंह को वन एवं पर्यावरण मंत्री बना दिया गया। 

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, विधायक आंनद सिंह खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का मंत्री बनाए जाने को लेकर खुश नहीं थे, जिसके बाद उन्होंने वन विभाग के लिए मांग की। 

2019 के दिसंबर में हुए उप-चुनाव में चुनावी हलफनामे में आनंद सिंह ने बताया था कि उनके पास 173 करोड़ रुपये की संपत्ति है। आनंद सिंह पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी के साथ ही उस केस में आरोपी हैं, जिसमें अवैध उत्खनन के जरिए सरकारी खजाने को करीब 200 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप हैं। 

वन विभाग के केस के अलावा आनंद सिंह पर आपराधिक षडयंत्र, चोरी, आपराधिक तौर पर भरोसा तोड़ने, धोखाधड़ी और बेईमानी समेत आपराधिक फर्जीवाड़े के आरोप हैं। यह मामला बेंगलुरू की स्पेशल कोर्ट में चल रहा है और 26 फरवरी को सुनवाई होनी है।

CBI ने 2013 में मंत्री आनंद सिंह को किया था गिरफ्तार 

सीबीआई (CBI) ने आनंद सिंह को 2013 में गिरफ्तार भी किया था। लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। ये मामले पिछली बीजेपी सरकार (2008-13) के कार्यकाल से जुड़े हैं। 2015 में आनंद सिंह को इन्ही मामलों में एसआईटी (SIT) ने गिरफ्तार किया था। जिसमें भी उन्हें बेल मिल गया था। 

जुलाई 2019 में कांग्रेस से दिया था आनंद सिंह ने इस्तीफा

आनंद सिंह कांग्रेस के उन 14 विधायकों में शामिल हैं जिन्होंने विधायकी से इस्तीफा देकर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की कुमारस्वामी सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी। आनंद सिंह ने बाद में दिसंबर 2019 में बीजेपी के टिकट पर बेल्लारी के विजयनगर सीट से चुनाव जीता था। सिंह ने दावा किया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी ने विजयनगर को एक अलग जिले की मांग को नहीं माना था, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया है। 

जानें कौन है आनंद सिंह? 

विजयनगर के 53 वर्षीय विधायक आनंद सिंह मूल रूप से बेल्लारी के निवासी हैं। वह विजयनगर के हैट-ट्रिक हीरो के नाम से फेमस हैं। दिसंबर 2019 में हुए उपचुनाव में आनंद सिंह  विजयनगर से चुनाव लड़े थे और 30 हजार वोटों से जीते थे। 

आनंद सिंह रेड्डी बंधुओं की तरह ही खनन माफिया हैं। चुनावी हलफनामे में उन्होंने खुद को एक बिजनेसमैन बताया है। रेड्डी बंधुओं के साथ ही आनंद सिंह ने राजनीति में 2008 में कदम रखा था। 

आनंद सिंह 2008-13 तक रही येदियुरप्पा सरकार में पर्यटन मंत्री थे। 2018 में बीजेपी छोड़ वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लेकिन 19 मई 2019 को जब येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट दिया था तो वह गायब थे। जिसके बाद वह फिर बीजेपी में फिर से शामिल हो गए थे।

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