कर्नाटक: भाजपा सरकार ने मुस्लिमों के 4 फीसदी आरक्षण को किया खत्म, औवैसी ने कहा, "यह नरेंद्र मोदी का पसमांदा मुसलमानों के लिए प्यार है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 26, 2023 10:33 AM2023-03-26T10:33:57+5:302023-03-26T10:43:44+5:30
कर्नाटक में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने मुसलमानों को ओबीसी के तहत मिलने वाले 4 फीसदी कोटे को खत्म कर दिया और उस 4 फीसदी को सूबे की सियासत में प्रभावशाली माने जाने वाले लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के बीच बांट दिया है।

कर्नाटक: भाजपा सरकार ने मुस्लिमों के 4 फीसदी आरक्षण को किया खत्म, औवैसी ने कहा, "यह नरेंद्र मोदी का पसमांदा मुसलमानों के लिए प्यार है"
बेंगलुरु:कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा फैसला लेते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के भीतर मुसलमानों के मिलने वाले 4 फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अगुवाई वाली सरकार ने खत्म किये गये 4 फीसदी मुस्लिम कोटे को सूबे की सियासत में प्रभावशाली माने जाने वाले लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के बीच बांट दिया है।
बोम्मई कैबिनेट ने इस संबंध में शुक्रवार को फैसले लेते हुए ओबीसी कोटा के तहत मुसलमानों को मिलने वाले 4 फीसदी आरक्षण को खत्म करके उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए तय 10 फीसदी कोटे में शामिल कर दिया है, जिसमें ब्राह्मण और अन्य ऊंची जातियां समेत कई समुदाय शामिल हैं।
समाचार वेबसाइट द टेलीग्राफ के अनुसार बोम्मई सरकार द्वारा खत्म किये गये 4 फीसदी मुस्लिम कोटे को 2-2 फीसदी लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के बीच बांटा गया है, जिसके बाद ओबीसी आरक्षण में उन दोनों समुदायों का कोटा क्रमशः 7 और 6 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
कैबिनेट फैसले के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सूबे के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस कदम को सही ठहराते हुए बताया कि संविधान की मान्यता के अनुसार धर्म आधारित आरक्षण की कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए अन्य सभी समुदाय के गरीब ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए आरक्षण का लाभ उठाने के लिए पात्र होंगे।
वहीं लिंगायत समुदाय की बात करें तो यह समुदाय बीते लंबे समय से भाजपा का साथ देता रहा है और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा इस समुदाय के बेहद शक्तिशाली नेता माने जाते हैं। लेकिन बदली हुई सियासी परिस्थितियों में भाजपा को भय सता रहा है कि कहीं लिंगायत समुदाय का वोट उससे दूर न हो जाए। यही कारण है कि मुस्लिम आरक्षण के 4 फीसदी में से 2 पीसदी उसने लिंगायत और साथ ही 2 फीसदी वोक्कालिगा समुदाय को भी इस कारण दिया है कि अगर कहीं लिंगायत के वोट में कांग्रेस की सेंधमारी होती है तो वोक्कालिगा समुदाय का वोट उसे मिल सके।
बोम्मई सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिनेश गुंडू राव ने कहा, “भाजपा की एक ही नीति है, बांटो, अपमान करो, राज करो। आखिर सरकार को क्या जरूरत थी कि वो लिंगायत और वोक्कालिगा को खुश करने के लिए मुसलमानों की कुर्बानी दे। जबकि दोनों को अलग से भीआरक्षण दिया जा सकता था।”
वहीं एआईएमआईएम के प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बोम्मई सरकार के फैसले पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा, "यह नरेंद्र मोदी की 'मुस्लिम आउटरीच' और पसमांदा मुसलमानों के लिए प्यार है। चाहे वह हिजाब हो या आरक्षण हो, उनका लक्ष्य हमेशा मुसलमानों की शिक्षा और रोजगार में प्रगति से रहा है।
कर्नाटक की भाजपा सरकार द्वारा मुसलमानों का 4 फीसदी आरक्षण खत्म किये जाने के फैसले पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि पूरा मुस्लिम समुदाय कर्नाटक सरकार के फैसले का विरोध करता है। मुसलमानों के लिए दिये गये आरक्षण के साथ छेड़छाड़ बेहद निंदनीय है और यद देश की व्यापक विकास नीति के खिलाफ है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से जारी बयान में मौलाना मदनी के हवाले से कहा गया है कि कर्नाटक में सभी मुस्लिम आरक्षण के दायरे में नहीं आते हैं बदकिस्मती से भाजपा सरकार दावा करती है कि धार्मिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है, लेकिन वह मुस्लिम पिछड़ेपन पर कभी विचार नहीं करती है। जहां तक कर्नाटक का सवाल है, यहां धर्म आधार नहीं है और सभी मुसलमानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।