कपिल सिब्बल ने कहा, "मोदी सरकार देश को केवल 'कांग्रेस मुक्त' नहीं बल्कि 'विपक्ष मुक्त' करना चाहती है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 3, 2022 03:35 PM2022-07-03T15:35:26+5:302022-07-03T15:38:43+5:30
नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर होते हुए सिब्बल ने कहा कि इस समय देश में जिस तरह की परिस्थितियां उसे देखकर साफ कहा जा सकता है कि यहां पर "वास्तविक आपातकाल" लागू है।
दिल्ली: समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा पहुंचने वाले पूर्व कांग्रेसी नेता और देश के दिग्गज वकील कपिल सिब्बल ने मौजूदा न्यायपालिका की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "हाल में संस्था के कुछ सदस्यों ने हमें नीचा दिखाया जिसके कारण मेरा सिर शर्म से झुका हुआ है।"
समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ बात करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल के वर्षों में जिस तरह से फ्री स्पीच की व्याख्या की गई है। वह बेदह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इसे संवैधानिक रूप से इसके अनुमति का एक तरीका है।
नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर होते हुए सिब्बल ने कहा कि इस समय देश में जिस तरह की स्थितियां उससे कहा जा सकता है कि यहां पर "वास्तविक आपातकाल" लागू है।
उन्होंने आरोप लगाया कि दैनिक शासन में जिस तरह से कानून का "उल्लंघन" किया जा रहा है, वह बेहद चिंता का विषय है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली की मौजूद सरकार देश को केवल 'कांग्रेस मुक्त' नहीं बल्कि 'विपक्ष मुक्त' करना चाहती है।
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के बारे में पूछे जाने पर कपिल सिब्बल ने कहा कि हमारे सामने इससे भी बड़े चिंताजनक मुद्दे सामने हैं कि न्यायपालिका के कुछ सदस्यों के कारण हमें निराश हुई है।
उन्होंने कहा, "मैं भी बीते 50 साल से न्यायपालिका का हिस्सा रहा हूं, जिसने हमें निराश किया। मेरी सिर शर्म से झुक जाता है जब न्यायपालिका नियम के उल्लंघन पर अपनी आंखें मूंद लेती है। कानून के शासन की रक्षा के लिए बनाई गई संस्था आखिर कैसे अपनी खुली आंखों से उसके उल्लंघन की अनुमति देती है? ”
जुबैर की गिरफ्तारी और कोर्ट से जमानत न मिलने पर आश्चर्य जताते हुए कपिल सिब्बल ने कहा, "चार साल पहले बिना किसी सांप्रदायिक कारण किये गये एक ट्वीट के लिए उसे गिरफ्तार किया जाना, मेरे ख्याल से अकल्पनीय है।
वहीं गोधरा मामले से जुड़ी जकिया जाफरी केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा, "चूंकि वह जकिया जाफरी केस में वकील रहे हैं, इसलिए उनका इस मामले में किसी भी स्तर पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।"
उन्होंने कहा, "मैं किसी विशेष मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि इस संस्थान का हिस्सा होने के नाते, हाल के दिनों में जो कुछ हुआ है, उसके लिए मैं सिर शर्म से झुक जाता है।"
पैगंबर मोहम्मद पर नूपुर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणी का जिक्र करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि यह असहिष्णुता और नफरत की संस्कृति का परिणाम है, जो हमारे नेशनल स्पीच में घुस गई है।
उन्होंने कहा, "क्यों हो रहा है यह सब, क्योंकि नफरत चुनावी लाभ का सबसे बड़ा हथियार बन गई है। अगर चुनाव जीतने के लिए नफरत से इस समाज को विभाजित किया जाएगा तो तो आपके पास ऐसे कई उदाहरण दिखाई देंगे, जैसा की अभी-अभी उदयपुर में दिखाई दिया। यह अस्वीकार्य अमानवीय और भयावह कृत्य है और ऐसे एजेंडे का परिणाम अंत नें यही होता है कि समाज एकजुट होने की बजाय विभाजित हो जाता है।"
सिब्बल ने कहा कि आज देश की स्थिति वाकई बहुत खराब है क्योंकि कानून के अधिकार के बिना "वास्तविक आपातकाल" लागू है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)