कन्नड़ संगठनों ने ''हिंदी थोपने'' का विरोध किया
By भाषा | Published: September 14, 2021 07:09 PM2021-09-14T19:09:33+5:302021-09-14T19:09:33+5:30
बेंगलुरु, 14 सितंबर कर्नाटक में कन्नड़ संगठनों ने मंगलवार को हिंदी दिवस के मौके पर, ''हिंदी थोपने'' के विरोध में ट्विटर अभियान चलाया और कई हिस्सों में बैंकों के सामने धरना दिया।
कर्नाटक रक्षा वेदिक (केआरवी) ने मंगलवार को सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक हैशटैग ''स्टॉप हिंदी इंपोजिशन'' के साथ ट्विटर अभियान चलाया जबकि इसके कार्यकर्ताओं ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में बैंकों के सामने धरना दिया।
केआरवी ने सेदाम, चिंचोली, रॉन, हुंगुंड, हिरियुर, पांडवपुरा, बेंगलुरु, विजयपुरा, कलबुर्गी, चिकबल्लापुरा, तीर्थहल्ली, उडुपी, उत्तर कन्नड़, कोलार, मांड्या और धारवाड़ सहित कई अन्य स्थानों पर धरना दे रहे अपने कार्यकर्ताओं की तस्वीरें ट्वीट की हैं।
उन्होंने बैंकों के प्रबंधकों से एक याचिका दायर कर कथित तौर पर हिंदी थोपने को रोकने व कन्नड़ में सेवाएं प्रदान करने का आग्रह किया।
कर्नाटक रक्षा वेदिक (केआरवी) के प्रदेश संगठन सचिव अरुण जावगल के अनुसार राष्ट्रीयकृत बैंकों के सामने विरोध प्रदर्शन करने का उद्देश्य जनता में जागरूकता बढ़ाना है और इस तरह कर्नाटक के लोगों को ''हिंदी थोपने'' के तरीके के बारे में बताना है। राज्य में कार्यरत बैंकों में हजारों कन्नड़ लोगों से नौकरियां छीन ली गई हैं।
उन्होंने ट्वीट किया, ''देश भर से करदाताओं के पैसे का उपयोग करना और फिर भी, भारत जैसे बहुभाषी देश में केवल हिंदी को अनुचित महत्व देने का केआरवी कड़ा विरोध करता है।''
केआरवी के प्रदेश अध्यक्ष नारायणगौद्रू टी ए ने हिंदी दिवस समारोह को ''लोकतांत्रिक और अनैतिक'' करार दिया।
उन्होंने कहा, ''यह (हिंदी दिवस) संविधान की आत्मा के खिलाफ है, जो कहता है कि सभी नागरिक समान हैं।''
जद (एस) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने हिंदी दिवस समारोह के खिलाफ आवाज के समर्थन ट्वीट किया, ''कर्नाटक में पहले कन्नड़ है। हिंदी दिवस समारोह अनावश्यक है। हिंदी थोपने वालों को बहुभाषी भारत में शांति भंग न करने दें।''
कर्नाटक जनाधिकार पक्ष जैसे कई अन्य संगठनों ने इसे 'काले दिवस' के रूप में मनाया।
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