मीसाबंदियों के विरोध के बाद अब कमलनाथ सरकार ने बदला अपना फैसला, उठाने जा रही है ये कदम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 17, 2019 05:31 AM2019-01-17T05:31:56+5:302019-01-17T05:31:56+5:30
आदेश में ये कहा गया है कि मीसाबंदियों को मिलने वाली सम्मान निधि के भुगतान के लिए मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन होगा. इसमें लोकतंत्र सेनानियों और उनके आश्रित भी शामिल रहेंगे, जिन्हें इसका फायदा मिल रहा है.
मीसाबंदी पेंशन को बंद करने के मामले में मीसाबंदियों के विरोध के बाद अब कमलनाथ सरकार ने अपना फैसला बदलकर मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन कराने का फैसला लिया है. इसके लिए सरकार ने आदेश भी जारी कर दिए हैं. प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने मीसाबंदियों की पेंशन बंदकर करने के फैसले के बाद लगातार विरोध को देखते हुए अब मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन कराने का निर्णय लिया है.
इस आशय के आदेश भी सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी कर दिए गए हैं. सामान्य प्रशासन विभाग के उपसचिव धरणेन्द्र कुमार जैन द्वारा जारी आदेश में प्रदेश के सभी कलेक्टर को आदेश दिए हैं कि मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन राजस्व निरीक्षक से कराया जाए और स्थानीय लोगों से भी तस्दीक की जाए.
आदेश में ये कहा गया है कि मीसाबंदियों को मिलने वाली सम्मान निधि के भुगतान के लिए मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन होगा. इसमें लोकतंत्र सेनानियों और उनके आश्रित भी शामिल रहेंगे, जिन्हें इसका फायदा मिल रहा है. आदेश के अनुसार यह काम राजस्व निरीक्षक से नीचे का कोई कर्मचारी करेगा. वहीं सत्यापन के दौरान कर्मचारी स्थानीय लोगों से पूछताछ करेगा और पूरी जांच हो जाने के बाद ही मीसाबंदियों को सम्मान निधि जारी की जाएगी.
उल्लेखनीय है कि सरकार ने फिजूलखर्ची कहते हुए मीसाबंदियों की पेंशन बंद कर दी थी. इसका मीसाबंदियों ने विरोध किया था. मीसाबंदियों को हर महीने 25 हजार रुपए मिलते थे. इन पर शासन के 75 करोड़ रुपये प्रति माह खर्च होते थे. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार ने अपने खास लोगों को उपकृत करने के लिए करोड़ों की फिजूलखर्ची की है.
साल 2008 में शिवराज सरकार ने मीसा बंदियों को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया. बाद में पेंशन राशि बढ़ाकर 10 हजार रुपए की गई. साल 2017 में मीसा बंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25 हजार रुपए की गई.