मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने खुद के खिलाफ किये ट्वीट पर लिया स्वत: संज्ञान, दिया अवमानना का केस दर्ज करने का आदेश
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 20, 2022 08:36 PM2022-07-20T20:36:59+5:302022-07-20T20:45:52+5:30
मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने यूट्यूबर सवुक्कू शंकर द्वारा खुद के खिलाफ ट्विटर पर किये गये आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में आपराधिक अवमानना का केस चलाने का आदेश दिया है।
चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने खुद के खिलाफ किये गये एक ट्वीट के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए मदुरै बेंच के रजिस्ट्रार को यूट्यूबर सवुक्कू शंकर के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
जस्टिस स्वामीनाथन के आदेश पर कोर्ट ने फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया को मामले में पक्षकार बनाने का भी नोटिस भेजा है। इसके अलावा कोर्ट ने आरोपी सवुक्कू शंकर के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव को भी पक्षकार बनाया है।
समाचार वेबसाइट 'लाइव लॉ' के मुताबिक सवुक्कू शंकर के किये ट्वीट में कहा गया था कि जस्टिस स्वामीनाथन ने एक अन्य यूट्यूबर मारिदास के खिलाफ कार्यवाही के मामले में फैसले से पहले किसी से मुलाकात की थी और इस कथित मुलाकात के बाद जस्टिस स्वामीनाथन ने मारिदास के पक्ष में फैसला दिया।
शंकर ने ट्वीट में जस्टिस स्वामीनाथन पर आरोप लगाया कि वो मुलाकात करने वाले व्यक्ति से कथिततौर पर प्रभावित थे। इस कारण उन्होंने मारिदास के खिलाफ आपराधिक मुकदमा रद्द करने का फैसला दिया। बताया जा रहा है कि यूट्यूबर मारिदास के खिलाफ आरोप था कि उसने तमिलनाडु की मौजूद डीएमके सरकार के खिलाफ ट्विटर पर आपत्तिजनक कमेंट किया था।
यूट्यूबर शंकर के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस दर्ज करते हुए जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि वो आदतन पिछले कई बार से उनके फैसले के खिलाफ "अमानवीय भाषा" में टिप्पणी करके व्यक्तिगत हमला कर चुके हैं। हालांकि वह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखने में यकीन करते हैं लेकिन शंकर ने संविधान प्रदत्त मिली इस स्वतंत्रता की "लक्ष्मण रेखा" पार कर दी है, लिहाजा उन्हें अब इसके लिए नहीं बख्शा जा सकता है।
उन्होंने कहा, "शंकर ने उनके दिये फैसलों की निंदा के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया है। मैं मानता हूं कि वो मेरे फैसले की निंदा कर सकते हैं लेकिन उन्हेंने ट्वीट करके मेरी ईमानदारी को चोट पहुंचाई है। लिहाजा इस मामले में उनका व्यवहार किसी अपराधी की तरह है।"
जस्टिस स्वामीनाथन ने आगे कहा, "उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि जब मैं मारिदास के मामले की सुनवाी कर रहा था तो उस वक्त मैंने अज़गर कोइल में शाम 06.00 बजे किससे मुलाकात की थी और इस प्रश्न के आधार पर शंकर यह आरोप लगा रहे हैं कि मैंने मारिदास मामले का फैसला उस व्यक्ति से प्रभावित होकर दिया। यह निश्चित तौ पर जस्टिस को बदनाम करने का प्रयास है और इसके लिए शंकर आपराधिक अवमानना के दोषी प्रतीत होते हैं।"
उन्होंने कहा कि शंकर के खिलाफ आपराधिक अवमानना का आदेश पर दस्तखत से पहले उन्होंने बतौर जज के रूप में अब तक के 5 साल के कार्यकाल में दिये सभी फैसलों के आंकड़ों को निकाला।
जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा, "मैंने बतौर जज जो वेतन और लाभ को हासिल किया, उसके हिसाब से मैंने अपना काम पूरी निष्ठा और ईानदारी के साथ किया है। हर दिन सुबह 09.30 बजे में कोर्ट में बैठता हूं और घंटों अदालती कामों को निपटाने को अपनी उपलब्धि मानता हूं। लेकिन शंकर द्वारा मेरी अदालती कार्रवाई का मजाक उड़ाया गया है। यह विडंबना है कि सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी निदेशालय में एक मंत्रिस्तरीय कर्मचारी के रूप में कार्यरत शंकर के बारे में कहा जाता है कि उन्हें बीते कई वर्षों से निर्वाह भत्ता मिल रहा है। यानी की वो व्यक्ति, जो राज्य सरकार द्वारा बिना किसी काम के भत्ता ले रहा है। वह उस न्यायाधीश का मजाक उड़ाने का दुस्साहस करता है, जो अपने काम से राजकोष से मिलने वाले हर पैसे को जायज ठहराता है।"
जस्टिस स्वामीनाथन ने यह भी कहा कि ट्विटर ने शंकर के आपत्तिजनक आचरण को देखते हुए उनका अकाउंट निलंबित कर दिया गया था, लेकिन उसके बाद उन्होंने एक और ट्विटर अकाउंट बनाने लिया और उनके खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाते रहे।