जस्टिस सीकरी ने ठुकराया मोदी सरकार का प्रस्ताव, सीएसएटी में नामित करने के लिये दी सहमति वापस ली
By भाषा | Published: January 13, 2019 10:43 PM2019-01-13T22:43:15+5:302019-01-13T22:43:15+5:30
प्रधान न्यायाधीश के बाद देश के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के एक करीबी सूत्र ने बताया कि जब न्यायाधीश ने रविवार शाम को लिखकर सहमति वापस ले ली।
न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने उस सरकारी प्रस्ताव के लिये दी गई अपनी सहमति रविवार को वापस ले ली जिसके तहत उन्हें लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (सीएसएटी) में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था।
प्रधान न्यायाधीश के बाद देश के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के एक करीबी सूत्र ने बताया कि जब न्यायाधीश ने रविवार शाम को लिखकर सहमति वापस ले ली। सूत्रों ने कहा, “सरकार ने इस जिम्मेदारी के लिये पिछले महीने उनसे संपर्क किया था। उन्होंने अपनी सहमति दी थी। इस पद पर रहते हुए प्रतिवर्ष दो से तीन सुनवाई के लिए वहां जाना होता और यह बिना मेहनताना वाला पद था।
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि सरकार को लंदन के राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के अध्यक्ष/सदस्य के खाली पड़े पद पर न्यायमूर्ति सिकरी को नामित करने पर ‘काफी बातों का जवाब देने’ की जरूरत है।
पटेल ने एक मीडिया रिपोर्ट को टैग करते हुए कहा, ‘सरकार को कई बातों का जवाब देने की जरूरत है।' हालांकि शाम को सूत्रों के हवाले से यह खबर आई कि न्यायमूर्ति एके सीकरी ने राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में सरकार को उन्हें नामित करने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस ले ली।
न्यायमूर्ति सीकरी उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे वाले तीन सदस्यों के पैनल के सदस्य थे। इसी पैनल ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने का निर्णय लिया था।
सीकरी के वोट ने वर्मा को हटाने में अहम भूमिका अदा की थी क्योंकि खड़गे ने इसका कड़ाई से विरोध किया था। न्यायमूर्ति सिकरी ने सरकार का समर्थन किया था।